दिल्ली शराब घोटाले ने अरविंद केजरीवाल सरकार की किरकिरी कर दी है। इससे न केवल सरकार की साख पर बट्टा लगा है, बल्कि सरकारी खजाने पर भी कानूनी लड़ाई का भारी बोझ पड़ रहा है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में दिल्ली सरकार ने वकीलों पर कोई खर्च नहीं किया था, लेकिन 2021-2022 (30 नवंबर तक) में शीर्ष वकीलों को ₹25.25 करोड़ का भुगतान किया गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की गहन जांच कर रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी को पिछले 18 महीनों में केस लड़ने के लिए ₹18.97 करोड़ का भुगतान किया गया है, जबकि वकील राहुल मेहरा को पिछले 28 महीनों में ₹5.30 करोड़ का भुगतान किया गया है। 2021-22 और 2022-23 में विभिन्न विभागों ने कानूनी लड़ाई पर कुल ₹28 करोड़ खर्च किए, जिनमें से ₹25 करोड़ अकेले शराब उत्पाद शुल्क मामले से संबंधित मामलों पर खर्च किए गए थे।
इस बीच, प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में शराब उत्पाद शुल्क नीति मामले में दूसरी चार्जशीट दायर की है। सूत्रों के मुताबिक, इस आरोप पत्र में कुल 12 आरोपियों के नाम का उल्लेख है, जिनमें 5 गिरफ्तार व्यक्ति (विजय नायर, शरथ रेड्डी, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमित अरोड़ा) और 7 कंपनियां शामिल हैं। इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी आरोपी हैं।
ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया है कि उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ कर दिया गया या कम कर दिया गया, और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया। लाभार्थियों ने “अवैध” लाभ को आरोपी अधिकारियों तक पहुँचाया और पहचान से बचने के लिए अपने खाते की किताबों में गलत प्रविष्टियाँ कीं।
वहीं अब हाईकोर्ट ने कहा- “सिसोदिया दिल्ली के सत्ता गलियारे में बहुत शक्तिशाली और प्रभावी व्यक्ति हैं, उनके पास 18 विभाग थे।सिसोदिया इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य सहित महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने में शामिल थे।” इस टिप्पणी ने मामले को और गंभीर बना दिया है, जिससे दिल्ली सरकार और उसके प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं।
इस घोटाले ने न केवल केजरीवाल सरकार की छवि को धूमिल किया है, बल्कि इसके कारण जनता के बीच भी सरकार की नीतियों पर अविश्वास बढ़ा है। देखना यह है कि इस कानूनी लड़ाई का अंत क्या होगा और इससे दिल्ली की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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