श्रीलंका के विदेश मंत्री का कहना है कि वे भारत की सुरक्षा चिंताओं को अनदेखा करके चीन से कोई समझौता नहीं करेंगे। श्रीलंका पर चीन के कसते शिकंजे और उससे कुछ समय पहले उस देश की हुई जबरदस्त बदहाली के संदर्भ में श्रीलंका के विदेश मंत्री का ऐसा कहना चर्चा का विषय बना है। दरअसल एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने चीन और भारत के बीच विभिन्न मोर्चों पर चल रहे तनाव और श्रीलंका की भूमिका पर जवाब देते हुए उक्त बातें कहीं।
विदेश मंत्री साबरी ने आगे यह भी कहा कि श्रीलंका जानता है कि भारत के सुरक्षा हितों को क्या चुनौतियां हैं लेकिन उनका देश पड़ोसी भारत का बचाव करने से पीछे नहीं हटेगा। उनके अनुसार, श्रीलंका एक जिम्मेदार पड़ोसी देश के नाते किसी को यह इजाजत नहीं देगा कि वह भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी करे।
भारत के पड़ोसी श्रीलंका में चीन के जहाजों के आकर अन्वेषण अभियानों को चलाने के बारे में विदेश मंत्री साबरी भारत की चिंता से अवगत हैं। इस विषय में उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि किसी भी देश के साथ उनका व्यवहार एकदम पारदर्शी होना जरूरी है। किसी और देश की कीमत पर श्रीलंका चीन अथवा किसी भी अन्य देश के साथ काम नहीं करेगा।
इस सवाल पर कि भारत में वर्तमान में जारी आम चुनावों को कैसे देखते हैं, अली साबरी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां आम चुनाव एक उत्सव की तरह चल रहा है। यह एक बड़ी बात है। साबरी कहते हैं कि भारत के लोग पढ़े—लिखे हैं, वे जानते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा और क्या बुरा है। यहां के लोग विस्तृत चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से सरकार चुनते हैं। नई सरकार की संभावनाओं के संबंध में बोलते हुए साबरी ने कहा कि सरकार जो भी बने, श्रीलंका भारत के साथ मिलकर काम करते रहने को तैयार है।
भारत के पड़ोसी श्रीलंका में चीन के जहाजों के आकर अन्वेषण अभियानों को चलाने के बारे में विदेश मंत्री साबरी भारत की चिंता से अवगत हैं। इस विषय में उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि किसी भी देश के साथ उनका व्यवहार एकदम पारदर्शी होना जरूरी है। किसी और देश की कीमत पर श्रीलंका चीन अथवा किसी भी अन्य देश के साथ काम नहीं करेगा।
साबरी ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि चीन वह देश है जो भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार है। इस संदर्भ में उसके साथ काम करने को लेकर उनका स्पष्ट कहना है कि जैसे भारत चीन के साथ काम कर रहा है, वे भी उसी तरह का व्यवहार रखते हुए काम करने के इच्छुक हैं।
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