आजमगढ़ । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए आयोजित जनसभा में एक बार फिर समाजवादियों ने ही जमकर हंगामा किया। इसके चलते अखिलेश यादव सभा को आनन-फानन में ही संबोधित कर चले गए।
अखिलेश यादव जौनपुर जिले के लालगंज लोकसभा सीट से पार्टी के प्रत्याशी दारोगा प्रसाद सरोज के लिए मंगलवार को आयोजित सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। सरायमीर बाजार के खरेवा मोड़ पर आयोजित इस सभा में उनके पहुंचने से पहले ही सपा कार्यकर्ताओं के दो गुटों में खींचतान शुरू हो गई थी। दरअसल मंच के सामने पहुंचने की होड़ के चलते चारों तरफ से कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए। किसी तरह से पुलिस ने कार्यकर्ताओं को बैरिकेडिंग के अंदर किया।
दरअसल बेलगाम सपा कार्यकर्ताओं ने जनसभा स्थल पर अखिलेश यादव के आते ही बैरिकेडिंग को तोड़ डाला और मंच की तरफ बढ़ने लगे। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो कार्यकर्ता पुलिसकर्मियों से ही झड़प करते हुए मंच के काफी नजदीक पहुंच गए और उपद्रव शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने उपद्रवियों को पीछे खदेड़ने के लिए लाठियों का सहारा लिया।
किसी अनहोनी को टालने के लिए पुलिस के बल प्रयोग से नाराज सपा कार्यकर्ता इसके बाद जनसभा स्थल पर लगी कुर्सियों को तोड़कर पुलिसकर्मियों और मंच की तरफ फेंकने लगे। इतना ही नहीं तो सभा स्थल पर लगे बड़े-बड़े लाउडस्पीकर्स के स्टैंड को भी उपद्रवी सपा कार्यकर्ताओं ने गिरा दिया। इस दौरान सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मंच पर बैठे रहे और संचालक लगातार कार्यकर्ताओं से संयम बरतने की अपील करते रहे, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा।
काफी मशक्कत के बाद जनसभा को अखिलेश यादव ने आनन-फानन में समाप्त किया और जल्दी ही चले गए। छठवें चरण में आजमगढ़ में 25 मई को मतदान को लेकर अखिलेश यादव की जनपद में यह पहली जनसभा थी, लेकिन इसमें जिस प्रकार से हंगामा हुआ वह एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिया है। सभा में शामिल कुछ लोगों का कहना था कि यह कार्यकर्ताओं का उत्साह नहीं उपद्रव है। अगर ये शांति से अपने नेता की बात नहीं सुन सकते, उसकी अपील पर हंगामा नहीं रोक सकते तो इनसे क्या उम्मीद करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रयागराज के फूलपुर में आयोजित एक जनसभा में भी सपा कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। इसके चलते उसे संबोधित करने आए कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सपा नेता अखिलेश यादव को मंच पर पहुंचने के बाद भी बिना सभा को संबोधित किए बैरंग वापस लौटना पड़ा था।
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