नोएडा : मनुष्य के सामाजिक जीवन में पुस्तक का महत्व रेखांकित करते हुए प्रख्यात साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र दीपक ने कहा कि पुस्तक नायक है और गूगल सहायक। गूगल जो भी साहित्यक सामग्री आपके समक्ष प्रस्तुत करता है वह किसी न किसी साहित्यकार की साधना का फल होता है। डॉ. देवेंद्र दीपक रविवार को नोएडा स्थित प्रेरणा शोध संस्थान में प्रो. अरुण कुमार भगत द्वारा सम्पादित पुस्तक “काव्य पुरुष: डॉ. देवेन्द्र दीपक – दृष्टि और मूल्यांकन” के विमोचन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
डॉ. देवेन्द्र दीपक ने कहा कि रेलवे स्टेशन से पुस्तक स्टॉल का गायब होना एक चिंता का विषय है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पुस्तकें पढ़ी जा रही हैं। हालांकि उनका स्वरूप बदल गया है जैसे की अब ई-बुक का प्रचलन बढ़ गया है। पुस्तक नायक है, गूगल सहायक है। उन्होंने जो देकर कहा कि पुस्तक उद्घाटन के मंचों पर लेखक और लेखिका के जीवनसाथी का भी सम्मान होना चाहिए इससे बदलते सामाजिक परिदृश्य में पारिवारिक समरसता बढ़ेगी।
पुस्तक का विमोचन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के क्षेत्र प्रचार प्रमुख पद्म सिंह जी ने कहा कि देवेन्द्र जी ने केवल शब्दों से ही नहीं बल्कि अपने आचरण से देश और समाज को जोड़ने वाला विमर्श खड़ा किया। उनकी कविताओं में देश, धर्म, और संस्कृत का विचार होता है। उन्होंने अपने नाम के अनुरूप दीपक की तरह जलकर समाज का मार्गदर्शन किया। इस अवसर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि देवेन्द्र जी ने आपातकाल को सहा और उसे शब्दों में पिरोया। उन्होंने नौकरियां छोड़ी लेकिन झुके नहीं, वह वक्ता रहे किसी के प्रवक्ता नहीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि सत्तर के दशक में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा थोपा गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है, यह लोकतंत्र पर एक धब्बा रहा है। डॉ. देवेन्द्र दीपक सच्चे अर्थों मे एक भारतीय साहित्यकार हैं क्योंकि वह अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिसकी वैचारिकी के सूचकांक विदेशी हों वो भारतीय साहित्यकार कैसे हो सकता है।
पुस्तक के लेखक प्रो. अरुण कुमार भगत प्रख्यात पत्रकार और साहित्यकार हैं। वह वर्तमान में बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य हैं। अपने संबोधन में प्रो. अरुण भगत ने कहा कि डॉ. देवेन्द्र दीपक की रचनाओं में सूक्तियों की भरमार है जोकि जीवन के मार्गदर्शक का कार्य करती हैं। 205 पृष्ठों की इस पुस्तक में 48 लेख हैं और इसका प्रकाशन यश प्रकाशन ने किया है। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अनिल निगम ने किया। इस अवसर पर कई विश्वविद्यलयों के शिक्षक, क्षात्र, मीडियाकर्मी, साहित्यकार, लेखक आदि उपस्थित रहे.
डॉ. देवेन्द्र दीपक के लेखन में दिखता है राष्ट्र
डॉ. देवेन्द्र दीपक (94) राष्ट्रीय चेतना के शिक्षक, पत्रकार और साहित्यकार रहे हैं। वह मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक के अतिरिक्त कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवा दे चुके हैं। डॉ. देवेन्द्र दीपक ने आपातकाल, दलित चिंतन, भारतीय संस्कृति के मूल्यों पर 24 से अधिक पुस्तकों की रचना की है।
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