प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज दुनिया उन चंद देशों में गिना जाने लगा है जिनकी प्रगति की मिसालें दी जाती हैं, भूराजनीति में जिनकी सलाह ध्यान से सुनी जाती है। नए भारत के इन बढ़ते कदमों से पड़ोसी जिन्ना के देश की बेचैनी बढ़नी स्वाभाविक ही है।
अमेरिका में बसे पाकिस्तानी मूल के बड़े उद्योगपति साजिद तरार ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और उनकी सरकार के शासन में देश में हो रही प्रगति की खुलकर प्रशंसा की है। इतना ही नहीं, उन्होंने तो यहां तक कहा कि, काश पाकिस्तान में भी मोदी जैसा कोई नेता होता। अभी हाल में पाकिस्तान के एक सांसद ने सार्वजनिक रूप से स्वीकारा है कि भारत हमसे कहीं आगे जा चुका है। इतना आगे कि खुद प्रधानमंत्री मोदी को अब पाकिस्तान की तरफ से कोई चिंता नहीं करनी पड़ती।
यह पाकिस्तानी सांसद हैं एमक्यूएम के सैयद मुस्तफा कमाल। मुस्तफा ने दुखी स्वर में कहा कि भारत तो चांद पर जा रहा है और हमारे बच्चे गटर में गिरकर मर रहे हैं। यहां बता दें कि हाल में कराची में एक बच्चा खुले गटर में गिरकर मर गया था। उसी के संदर्भ में मुस्तफा ने यह टिप्पणी की थी।
मजहब के नाम पर जिन्ना का बनाया इस्लामी पाकिस्तान आज भी मदरसाई मानसिकता में जी रहा है। गठन के 70 साल बाद भी, वहां के कठमुल्ले मदरसे की तालीम को सबसे बेहतर मानते हैं। ऐसी सोच वाले देश का हाल का चंद्र अभियान किस कदर नाकाम रहा, उसके बारे में वहां का पढ़ा—लिखा तबका शर्मसार है। पाकिस्तान में भ्रष्टाचार और अपराध सिर चढ़कर बोल रहे हैं। सैन्य और राजनीतिक क्षेत्र से किसी को अब कोई उम्मीद नहीं बची है।
ऐसे में आम पाकिस्तानी भारत को देखकर हैरान है और अनेक ने तो कैमरे के सामने माना है कि मोदी जैसा नेता हमें भी चाहिए। इन परिस्थितियों में पाकिस्तानी सांसद सैयद मुस्तफा कमाल का ताजा बयान उल्लेखनीय है। उनका कहना है कि कहां तो आज भारत चांद पर जा पहुंचा है, लेकिन दूसरी तरफ हमारे बच्चे कराची के गटर में गिरकर मर रहे हैं।
मुस्तफा ने आगे भारत में दी जा रही शिक्षा की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया को सीईओ तैयार करके दे रहा है, जबकि पाकिस्तान की तालीम बेरोजगारों की फौज बढ़ा रही है।
यह बात सही है कि पढ़ाई—लिखाई के मामले में पाकिस्तान फिसड्डी ही बनाए रखा गया है। वहां कॉलेज, विश्वविद्यालय तो बहुत हैं लेकिन पढ़ाई के मामले में उनकी गुणवत्ता संदिग्ध रही है। डिग्रियां दी तो जाती हैं, लेकिन उनका कोई बहुत मोल नहीं होता। इसलिए किसी दूसरे देश में अच्छी पगार पर नौकरी नहीं मिल पाती। यह पढ़ाई भी गरीब आमजन की पहुंच से कोसों दूर है। पाकिस्तानी कहते हैं कि आज दुनिया में बड़ी बड़ी कंपनियों भारत के लोग बड़े ओहदों पर बैठे हैं जबकि जिन्ना के देश में तो ज्यादातर बच्चों को पढ़ने तक की सुविधा नहीं है।
वजह साफ है और खुद पाकिस्तान के कुछ समझबूझ वाले कैमरे पर यह स्वीकारते भी हैं। वे कहते हैं कि यहां सरकार किसी भी रही हो, किसी ने शिक्षा के क्षेत्र पर कभी ध्यान नहीं दिया। जो इस तरफ कुछ करता है तो वह सरकार ही गिरा दी जाती रही है। इसके पीछे जैसे कोई योजना काम कर रही है। कुछ पढ़े लिखे आम पाकिस्तानी कहते हैं कि हम अपनी भारत से तो कोई तुलना कर ही नहीं सकते। अरे, बांग्लादेश तक शिक्षा के मामले में पाकिस्तान से आगे होगा। पाकिस्तान की हालत तो यह है कि अगर कोई कभी किसी तरह का अच्छा काम करने को बढ़ता है तो उसमें अड़ंगे डालने वाले पहले आ खड़े होते हैं।
यह बात सही है कि पढ़ाई—लिखाई के मामले में पाकिस्तान फिसड्डी ही बनाए रखा गया है। वहां कॉलेज, विश्वविद्यालय तो बहुत हैं लेकिन पढ़ाई के मामले में उनकी गुणवत्ता संदिग्ध रही है। डिग्रियां दी तो जाती हैं, लेकिन उनका कोई बहुत मोल नहीं होता। इसलिए किसी दूसरे देश में अच्छी पगार पर नौकरी नहीं मिल पाती। यह पढ़ाई भी गरीब आमजन की पहुंच से कोसों दूर है। पाकिस्तानी कहते हैं कि आज दुनिया में बड़ी बड़ी कंपनियों भारत के लोग बड़े ओहदों पर बैठे हैं जबकि जिन्ना के देश में तो ज्यादातर बच्चों को पढ़ने तक की सुविधा नहीं है। ऐसों को कहीं काम मिलना तो बहुत दूर की बात है।
भारत के पड़ोसी इस्लामी देश की अवाम के हौंसले पस्त हो चुके हैं। उन्हें उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही है। बहुतों का तो कहना है कि जिस कश्मीर को पाकिस्तान छीनने की बात करता है वहां आज मोदी सरकार में खुशहाली दिखाई देती है, पाकिस्तान में तो बड़े शहरों तक में रोटी के लाले पड़े हुए हैं।
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