नैनीताल। उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं मानव जनित हैं। स्थानीय लोग चीड़ के पत्तों पिरुल में आग इसलिए लगाते हैं क्योंकि बारिश में जानवरों के लिए हरी घास का लोभ रहता है। लेकिन इस साल उत्तराखंड में चार ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें बाहर से यहां आकर रहने वाले मुस्लिम समुदाय के युवकों द्वारा जंगल में आग लगाई गई है। आग लगाने की घटनाओं में अब तक मुस्लिम समुदाय के सात युवकों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट लिख कर गिरफ्तारी की गई है।
शुक्रवार को गांव चोपड़ा वन पंचायत सरपंच कमलेश जीना द्वारा मनोरा रेंज, नैनीताल वन प्रभाग के कर्मचारियों की मदद से प्रात: 10.30 बजे इस्लाम (निवासी कैला खेड़ा, बहुधा नगर बाजपुर, जिला उधम सिंह नगर) को आग लगाते पकड़ा एवं नैनीताल थाने में एफआईआर दर्ज की गई।
वन विभाग के अधिकारियों ने मुस्लिम समुदाय के युवकों द्वारा जंगल में आग लगाने की घटनाओं को सामान्य अपराध बताया है, जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि ये लोग बाहर से यहां आकर मजदूरी करते हैं लेकिन साथ ही जंगल से वन संपदा की चोरी में भी लिप्त रहते हैं। वन विभाग के लोग इस लिए खामोश रहते हैं क्योंकि उक्त चोरी की जवाबदेही उनकी बनती है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में जंगल में अवैध रूप से पेड़ों के कटान के मामले सामने आते रहे हैं, जिसमें 25 अधिक वनकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।
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