इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच चल रहे युद्ध के 6 माह बीत चुके हैं। लेकिन, हालात जस के तस बने हुए हैं। खुद को तकनीकी रूप से उन्नत मानने वाला इजरायल हमास जैसे आतंकी संगठन को हरा नहीं पाया है। 45 किलोमीटर के दायरे वाले गाजा को उसने तहस-नहस कर दिया, लेकिन अभी भी हमास की सुरंगों की भूल-भुलैया इजरायल के लिए सिरदर्द बनी हुई है। अब तो खुद पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलेंट के बीच ही मतभेद उभर कर सामने आ रहे हैं। रक्षा मंत्री गैलेंट ने पीएम नेतन्याहू को चेताया है कि वो गाजा में इजरायली मिलिट्री या सिविल शासन के लिए सहमति नहीं देंगे।
यौव गैलेंट ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से अपील की है कि उन्हें उन्हें गाजा के गैर-हमास शासन को आगे बढ़ाने के लिए “कठोर निर्णय” लेने चाहिए, चाहे व्यक्तिगत या राजनीतिक लागत कुछ भी हो। रक्षा मंत्री के मुताबिक, युद्ध के जो लाभ हैं वो कम होते जा रहे हैं और इज़रायल की दीर्घकालिक सुरक्षा दांव पर है। उनका मानना है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा गैर हमास और फिलिस्तीनी संस्थाओं के द्वारा गाजा पर शासन इजरायल के हित में है।
उल्लेखनीय है कि युद्ध के शुरू होने के बाद से ऐसा पहली बार है जब खुद इजरायली सरकार के अंदर से ही पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को डायरेक्ट चैलेंज किया गया है। वह इस मामले पर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि हमास के खात्मे तक इस मुद्दे पर चर्चा करना ही निरर्थक है।
खास बात ये है कि रक्षा मंत्री योव गैलेंट के इस बयान के बाद अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय समुदायों में भी इस बात को लेकर बहस तेज हो गई है कि युद्ध के बाद गाजा पट्टी पर किसका शासन होगा। गैलेंट का स्पष्ट रूप से ये मानना है कि युद्ध के बाद अगर इजरायल गाजा पट्टी में हमास की जगह लेने वाला नहीं खोजा गया को इजरायल की सैन्य उपलब्धियां कमजोर हो जाएंगी। उनका कहना है कि अगर गाजा को ऐसे ही छोड़ दिया तो हमास एक बार से संगठित होकर समस्या खड़ी करेगा।
रक्षा मंत्री के मुताबिक, हमें हमास की शासन करने की क्षमताओं को खत्म करना होगा और वहां पर शासन करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी।
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