आतंकवाद के जनक और अपने यहां जिहादी फैक्ट्रियों में आतंकवादियों को पोसने वाले जिन्ना के इस्लामी देश के साथ अमेरिका का ‘आतंकवाद के खात्मे’ के लिए हाथ मिलाना कुछ अटपटा लगता है। लेकिन वाशिंगटन में दोनों देशों में इसे लेकर एक रजामंदी जैसी हो गई है। पाकिस्तान दुनियाभर में स्यापा मचा रहा है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने उसे बर्बाद कर रखा है। इस जिहादी गुट ने उनका जीना मुहाल किया हुआ है। साथ ही आईएसआईएस का भी खौफ है। तो इन दोनों इस्लामी जिहादी गुटों को ठिकाने लगाने के लिए पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद की गुहार लगाई है।
बताते हैं कि दोनों में इस बात को लेकर सहमति बनी है कि अब न टीटीपी को छोड़ेंगे, न आईएसआईएस को। अब इस काम में अमेरिका कैसी और कितनी मदद करने वाला है, इस बाबत दोनों देशों ने वॉशिंगटन में बात की है। इस वार्ता के दौरान अमेरिका ने वादा किया है कि वह आतंकवाद को जड़—मूल से खत्म करके मानेगा। इसमें वह पाकिस्तान के साथ खड़ा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आतंकवाद के विरुद्ध बने इस गठजोड़ से तालिबान कुछ तनाव में आ सकता है। कारण यह कि टीटीपी को तालिबान की शह मिली हुई है। पाकिस्तान ऐसा आरोप कई बार लगा चुका है।
पाकिस्तान और अमेरिका का गठजोड़ इस सोच पर गढ़ा गया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) तथा आईएसआईएस क्षेत्रीय तथा वैश्विक सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर चुनौती हैं जिनको खत्म करना ही होगा। लेकिन अब अफगानिस्तान में बंदूक के दम पर कुर्सी पर जमे बैठे इस्लामवादी तालिबान का क्या रुख होगा, इस पर सुरक्षा विशेषज्ञ गौर कर रहे हैं। जैसा पहले बताया, टीटीपी को तालिबान से खाद—पानी मिल रहा है यानी टीटीपी पर चोट तालिबान पर परोक्ष चोट ही होगी। टीटीपी पाकिस्तान का जीना हराम किए हुए हैं, विशेषकर सुरक्षाकर्मियों के लिए टीटीपी सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
पाकिस्तान द्वारा जारी बयान में है कि दोनों ही देश मानते हैं कि आईएसआईएस-खुरासान, टीटीपी तथा दूसरे जिहादी गुटों को ठिकाने लगाने के लिए सहयोग किया जाएगा। इसके साथ ही, दुनियाभर में आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए दोनों देशों में क्षेत्रीय सहयोग का एक खाका काम में लिया जाएगा।
इस संबंध में पाकिस्तान के विदेश विभाग ने एक बयान जारी किया है। इसमें वाशिंगटन में हुई मुलाकात का ब्योरा दिया गया है। चर्चा संयुक्त राष्ट्र तथा ओआईसी के अतिरिक्त विदेश सचिव सैयद हैदर शाह तथा अमेरिकी विदेश विभाग में आतंकवाद निरोध की समन्वयक एलिजाबेथ रिचर्ड के बीच गत 10 मई को हुई थी। इस वार्ता में साझे हित के तमाम आयामों सहित आतंकवाद से निपटने के प्रयासों पर भी विस्तार से बात हुई।
बैठक में पाकिस्तान तथा अमेरिका के अधिकारियों ने आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग तथा क्षमता को बढ़ाने के तरीकों पर बात की। इसमें तकनीक के साथ ही तौर—तरीके, जांच आदि में सहायता, सीमा की सुरक्षा और प्रशिक्षण के खाके की बात हुई। कहा गया कि इसके लिए 300 से ज्यादा पुलिस के साथ ही प्रशिक्षित अमेरिका सुरक्षाकर्मी मदद करेंगे।
पाकिस्तान द्वारा जारी इस बयान में है कि दोनों ही देश मानते हैं कि आईएसआईएस-खुरासान, टीटीपी तथा दूसरे जिहादी गुटों को ठिकाने लगाने के लिए सहयोग किया जाएगा। इसके साथ ही, दुनियाभर में आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए दोनों देशों में क्षेत्रीय सहयोग का एक खाका काम में लिया जाएगा। दोनों देशों की सरकारों ने इस बारे में जानकारी साझा करके जिहादी तत्वों को खोजने में एक दूसरे की मदद का वादा किया है।
पाकिस्तान की एक संस्था द्वारा जारी एक रिपोर्ट बताती है कि इस साल के शुरू के तीन महीनों में खैबर पख्तूनख्वा तथा बलूचिस्तान प्रांतों में आतंकवादी घटनाओं ने भीषण रक्तपात मचाया है। आतंकवादी हमलों तथा आतंक रोधी कार्रवाइयों की 245 घटनाओं में 432 मौतें हुई हैं जिनमें नागरिक, सुरक्षाकर्मी तथा जिहादी मारे गए हैं।
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