बठिंडा। काउन्टर इंटेलिजेंस (सीआइ) बठिंडा और ज़िला पुलिस बठिंडा ने संयुक्त ऑपरेशन के दौरान सिख्स फॉर जस्टिस ( एसएफजे) के तीन गुर्गों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने बठिंडा और दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर खालिस्तानी नारा लिखा था। यह जानकारी डीजीपी गौरव यादव ने दी।
न्यूयार्क आधारित एसएफजे का मास्टरमाइंड गुरपतवंत सिंह पन्नू है। एसएफजे को भारत सरकार ने गैरकानूनी संगठन घोषित किया है। हाल ही में 24 अप्रैल को बठिंडा के ज़िला प्रशासनिक परिसर और कोर्ट परिसर की दीवारों पर खालिस्तानी नारे लिखे पाए गए थे। इसके कुछ दिनों बाद 9 मई को दिल्ली के झंडेवालान मेट्रो स्टेशन और करोल बाग़ मेट्रो स्टेशन पर भी ऐसे ही नारे लिखे दिखे थे।
पंजाब पुलिस के मुताबिक गिरफ़्तार किए गए आरोपियों की पहचान गोगी सिंह निवासी गाँव जीवन सिंह वाला, बठिंडा और जौनी निवासी गाँव जिओण सिंह वाला, तलवंडी साबो के तौर पर हुई है। तीसरा आरोपी प्रितपाल सिंह है। वह गाँव डोड, फरीदकोट का रहने वाला है। प्रितपाल को जी- 20 के दौरान दिल्ली मेट्रो और बठिंडा थर्मल प्लांट पर खालिस्तानी नारे लिखने के दोष में भी गिरफ़्तार किया गया था।
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि गोगी सिंह, जोकि एसएफजे का मुख्य संचालक है, गुरपतवंत सिंह पन्नू के सीधे संपर्क में था और उसने पन्नू के निर्देशों पर पैसों के बदले ये काम किया। आरोपियों ने दीवारों पर लिखे नारों की फोटो/ वीडियो भी पन्नू से साझा की थी। पुलिस टीम ने उसके पास से तीन मोबाइल फ़ोन, दो डोंगल, आधार कार्ड और एटीएम कार्ड भी बरामद किया है।
इस मामले को सुलझाने के लिए काउन्टर इंटेलिजेंस बठिंडा और बठिंडा पुलिस ने साझा तौर पर पेशेवर और वैज्ञानिक ढंग से जांच की। एसएसपी बठिंडा दीपक पारिक ने बताया कि बठिंडा पुलिस ने पहले जौनी को पकड़ा। जौनी ने खुलासा किया कि बठिंडा में अलग-अलग स्थानों पर नारे लिखते समय वह गोगी के साथ था। इसके बाद गोगी को दबोचा गया।
एआईजी सीआइ बठिंडा अवनीत कौर सिद्धू ने बताया कि आबकारी एक्ट के अंतर्गत बठिंडा पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किये गोगी की बठिंडा जेल में प्रितपाल सिंह के साथ मुलाकात हुई थी और जेल से बाहर आने के बाद वह उसके संपर्क में रहा। प्रितपाल ने गोगी की जान-पहचान गुरपतवंत सिंह पन्नू से करवाई। उसने गोगी को खालिस्तान नारे लिखने का काम सौंपा और मुक्तसर कोटकपूरा रोड पर छिपाए गए 50 हजार रुपए लेने के लिए कहा।
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