महाराष्ट्र के पुणे में हुई भीमा कोरेगाव हिंसा के आरोपी और अर्बन नक्सल गौतम नवलखा को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है। इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर नेटिजन्स देश की न्यायिक व्यवस्था और जजों के निर्णय के खिलाफ अपना आक्रोश जता रहे हैं।
Bhima Koregaon case: Supreme Court grants bail to activist Gautam Navlakha pic.twitter.com/hJE2BVM6QL
— ANI (@ANI) May 14, 2024
इस पर नंदनी इंदनानी नाम की एक्स यूजर सुप्रीम कोर्ट पर खीझ निकालते हुए कहा कि अभी आम लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
जेम्स ऑफ बिहार नाम के यूजर ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, “सबको जमानत मिल रही है बस गरीब लोगों को छोड़कर।”
शिवा बारिक नाम के यूजर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक्स पर टैग करते हुए कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) हमारी जरूरत है।
वहीं एक अन्य यूजर ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर तंज किया। उसने लिखा, “आतंकियों, नक्सलियों, रेपिस्टों और घोटालेबाजों को बेल ये बेल दे रहे हैं। फिर ये हमसे उम्मीद करते हैं कि देश की आम जनता कोर्ट पर भरोसा करें।”
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे में 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम का आयोजन वामपंथियों और अर्बन नक्सलियों द्वारा किया गया। इनका उद्येश्य दलितों और अन्य समुदायों की भावनाओं को भड़काने और भीमा कोरेगांव सहित महाराष्ट्र में कई जगहों पर हिंसा करना था। साथ ही इनकी कोशिश भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना था। इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 24 अगस्त 2021 को एक मसौदा पेश किया था। इसमें 15 आरोपियों के नाम थे। सभी आरोपी ‘वार्षिक तौर पर एम-4 (परिष्कृत हथियार) की सप्लाई’ के लिए 8 करोड़ रुपये जुटाने की भी साजिश रची थी और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों से छात्रों को अपने साथ जोड़ा था।
इन पर लगे थे आरोप
हालांकि, आरोपियों पर जहां 16 सामान्य धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे, वहीं उन पर अन्य धाराओं के तहत अलग-अलग आरोप भी लगाए गए थे। जैसे एकडेमिशियन आनंद तेलतुम्बडे पर सबूत नष्ट करने से संबंधित एक धारा के तहत आरोप लगाया गया थे। एनआईए ने जिन अन्य लोगों के खिलाफ आरोप लगाए थे; उनमें सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गॉडलिंग, शोमा सेन, महेश राऊत, पी. वरवरा राव, वर्नोन गोंजाल्वेज, अरुण फेरिरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, हैनी बाबू, रमेश गायचोर, ज्योति जगताप और सुरेंद्र गोरखे भी शामिल हैं। मसौदे में फादर स्टैन स्वामी का भी जिक्र है, हालांकि पिछले महीने मौत के बाद उनके खिलाफ मामला रोक दिया गया है। इसके अलावा मामले में अन्य लोगों का जिक्र है, जिन्हें फरार करार दिया गया है।
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