देहरादून: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने देहरादून में कई मदरसों का औचक निरीक्षण करने के बाद कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है जिसका मूल सनातन अवधारणा है। यहां 196 हिंदू बच्चे मदरसों में पढ़ रहे है, खास बात ये है कि पूर्व में लिखे गए पत्र के बावजूद शासन प्रशासन ने इस बारे में कोई ठोस कारवाई नहीं की। उल्लेखनीय है कि हरिद्वार जिले में इस तरह की खबरों का राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने संज्ञान लेकर उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखा था।
देहरादून मीडिया सेंटर में श्री प्रियांक ने कहा कि उत्तराखंड में फर्जी मदरसे चल रहे हैं, जहां चार सौ से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं, इन मदरसों को बंद कराना चाहिए। इसमें शिक्षा विभाग,अल्पसंख्यक विभाग और जिला प्रशासन को ठोस कारवाई करनी चाहिए थी जो कि नहीं की गई है।
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उन्होंने कहा कि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा उन्हें जानकारी दी गई है कि जिला प्रशासन के द्वारा अवैध मदरसों की मैपिंग करने में कोई प्रयास नहीं किए है, अतः सभी 13 जिलों के डीएम को सम्मन भेज कर दिल्ली तलब किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण के प्रति सरकार जागरूक रहे इसलिए आज उन्हें उत्तराखंड आना पड़ा।
कारगीग्रांट स्थित मदरसों का औचक निरीक्षण करने के दौरान श्री प्रियंक ने पाया कि दो मदरसों में फीस लेकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यूपी बिहार के 21 बच्चे, इतनी दूर से लाकर यहां क्यों पढ़ाए जा रहे हैं। ये जांच का विषय भी है। उनकी यहां शिक्षा, संदेह पैदा करती है।
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उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है, सनातन की, अध्यात्म की भूमि है यहां फर्जी मदरसों की बाढ़ आ गई है जिन पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखेंगे अथवा उनसे मुलाकात करके जानकारी साझा करेंगे। मीडिया से वार्ता के दौरान उनके साथ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा गीता खन्ना भी मौजूद रही।
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