13 मई 2024 को पूरा विश्व कश्मीर की दो तस्वीरें देख रहा है। ये तस्वीरें रोचक हैं और ये तस्वीरें दुनिया को यह दिखाने के लिए पर्याप्त हैं कि इतने वर्षों से जो एजेंडा चलाया जा रहा था, कश्मीर को लेकर जो कहानियाँ चलाई जा रही थीं, वह किस सीमा तक एकतरफा थीं।
आज 13 मई को भारत के कश्मीर प्रांत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव मनाया जा रहा है। अर्थात कश्मीर में मतदान हो रहा है। जहां पहले मतदान के बहिष्कार के नारे लगा करते थे, वहाँ पर अब लोग लंबी-लंबी कतारों मे मत देने के लिए खड़े हुए हैं। पहले उस कश्मीर की तस्वीर देखते हैं, जो समृद्ध है, जो खुलकर सांस ले रहा है, जो अपनी पहचान से जुड़कर लोकतंत्र का एक नया अध्याय लिख रहा है, फिर भारत के उस हिस्से पर बात करेंगे, जिसे पाकिस्तान ने जबरन छीन रखा है और जो इधर के कश्मीर को देखकर अपनी स्थिति पर उबल रहे हैं।
भारत में जब जनता अपने मन से अपनी सरकार चुनने के लिए बेधड़क होकर, निर्भय होकर मतदान कर रही है, उस समय औपनिवेशिक मीडिया तनिक भी उन कश्मीरियों को नहीं देख रही है, जो अपने देश में अपने लोकतान्त्रिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए घर से निकले हैं।
Pulwama in Under Polling, Principal Correspondent @MakhdoomiEmaad reports from the polling station to capture the mood.
This is the first major election happening in Jammu and Kashmir after abrogation of Article 370. Pulwama is voting in Phase 4 of the elections.… pic.twitter.com/X7mMZzOvWT
— The New Indian (@TheNewIndian_in) May 13, 2024
यहाँ पर जश्न का माहौल है। यहाँ के नागरिक उस एजेंडे को तोड़ रहे हैं, जो वर्षों से भारत का कथित सेक्युलर मीडिया और पश्चिम का औपनिवेशिक मीडिया दिखाता आ रहा था। जिस एजेंडे को पाकिस्तान लगातार कई मंचों पर उठाता आ रहा है और हमेशा मुंह की खाते हुए आ रहा है। आज भारत के उस विकास की हवा कश्मीर में भी उसी रफ्तार से चल रही है, जिसे वर्षों से एजेंडे के कारण वंचित रहना पड़ा था।
यह कश्मीर का वह सौभाग्यशाली भाग है, जो अपनी मूल पहचान के साथ है अर्थात भारत के साथ है। वहीं, भारत का वह दुर्भाग्यशाली हिस्सा, जो छल के द्वारा पाकिस्तान के कब्जे मे है। वहां पर जनता का असंतोष पाकिस्तान सरकार के दमनकारी रवैये से भड़का हुआ है। पहले तो पाकिस्तान का वहाँ पर कब्जा होना ही पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए शर्म की बात है और उससे भी अधिक शर्म और धिक्कार की बात उसी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए यह है कि वह जहां लोकतान्त्रिक पथ पर चलने वाली भारत सरकार पर कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर हल्ला मचाती रहती है, वही औपनिवेशिक और कम्युनिस्ट मीडिया पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय कश्मीर की जनता पर होने वाले अत्याचारों पर मौन है।
जहाँ भारत में कश्मीरी प्रसन्न हैं तो वहीं पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग उबल रहे हैं। वहाँ पर बवाल मचा हुआ है। लोग सड़कों पर हैं। पाकिस्तान की पुलिस को भगाया जा रहा है। हमेशा भारत के कश्मीर में आजादी के नारे से बरगलाने वाले लोग आजादी के उन असली नारों के प्रति उदासीन हैं, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर के बेबस लोग लगा रहे हैं। वहाँ पर जनता पर किए जा रहे अत्याचारों के वीडियो सामने आ रहे हैं। वहाँ पर आजादी के नारे लग रहे हैं, युवाओं को हिरासत में डाला जा रहा है।
Protest explodes against the arrest of student leaders in Muzaffarabad and slogans of freedom from Pakistan are being raised. #Pakistan #POKRising #Muzaffarabad #Kashmir #Protest #PoK #PakistanOccupiedKashmir pic.twitter.com/IAxwczxJJT
— The UnderLine (@TheUnderLineIN) May 13, 2024
परंतु इस स्थिति पर पाकिस्तान को कठघरे में क्यों नहीं खड़ा किया जा रहा है? आज के दिन इंटरनेट पर उपलब्ध एक ही क्षेत्र के दो वीडियो वह अंतर बता रहे हैं, जो भारत इतने वर्षों से कहता चला आ रहा है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। कश्यप ऋषि के नाम पर बसा हुआ कश्मीर, जो भारत के नैरेटिव का प्रारंभ बिन्दु है, जहाँ पर शारदा पीठ है, जिसे स्मरण करके ही विद्या का आरंभ होता है, उसी कश्मीर की भारत की संस्कृति की पहचान नष्ट करने वाला मीडिया न ही भारत की लोकतान्त्रिक प्रक्रिया की प्रशंसा कर पा रहा है और न ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हो रहे उन तमाम अत्याचारों पर विरोधात्मक कुछ लिख पा रहा है, जिस पर आज तक इस दृष्टिकोण से न ही लिखा गया और न ही रिपोर्ट्स आदि बनाई गईं।
क्या वहाँ पर रहने वाले नागरिकों के मानवाधिकार नहीं हैं? क्या उनके पास जीवन जीने का अधिकार नहीं है? पाकिस्तान के अत्याचारों का विरोध वहाँ के लोग कर रहे हैं, वे अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर हैं, मगर उनका सड़कों पर होना उस प्रकार की कवरेज से वंचित क्यों है, जो गाजा के पक्ष मे प्रदर्शन करने वालों को मिल रही है? आखिर इन बेचारों की पीड़ा की, इनके जेल जाते युवाओं की, महिलाओं के सड़कों पर उतरने की चर्चा आखिर क्यों नहीं हो रही है?
क्यों इन मुस्लिमों की पीड़ा को न ही कम्युनिस्ट मीडिया में स्थान मिल पाया है और न ही कट्टर इस्लामिस्ट मीडिया में, जबकि सोशल मीडिया पर जो वीडियो हैं, वह पानी की तरह स्पष्ट हैं कि उन्हें आजादी चाहिए। उन्हें आजादी चाहिए उन अत्याचारों से जो पाकिस्तान ने उन पर लगातार किए और करता चला आ रहा है।
Where are our so-called human rights organizations?
In the past, you kept giving us lectures on human rights violations in Kashmir. This is the condition of people in #POK.
India has always been an ambassador of peace and development across the world. So stop giving us… pic.twitter.com/zurTjD6q9t
— Avinash K Jha (@iavinashkjha) May 11, 2024
यह विरोध प्रदर्शन उन विसंगतियों पर विश्व की दृष्टि चाहता है, जिन पर विश्व बात करने से डरता है। हालांकि, इन बेचारे नागरिकों की पीड़ा को सुना नहीं जाता है, परंतु आज जब कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से जो दो वृहद तस्वीरें सामने आ रही हैं, ऐसे में बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि मानवाधिकारों के उस हनन की बात हो जो इतने वर्षों से लगातार सीमा के पार उन नागरिकों के साथ हो रहा है, जो जबरन एक अस्थिर, आततायी देश के कब्जे में अपनी मर्जी के बिना रहने के लिए बाध्य हैं।
यह भी बात की जाए कि जो प्रताड़ित हो रहे हैं, वे भारतीय ही हैं और जो अपने देश से दूर होकर प्रसन्न नहीं हैं, वे अपने उस क्षेत्र का विलय भारत में चाहते हैं, जहां से उन्हें जबरन छीन लिया गया है।
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