खाड़ी के इस्लामिक देश कुवैत में उठापटक के बीच पहले अमीर ने संसद भंग की और अब शाही फरमान के तहत कुवैत ने शेख अहमद अब्दुल्ला अल सबा की अध्यक्षता में नई कैबिनेट का गठन किया है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कुवैत के अमीर शेख मिशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के नए आदेश के मुताबिक, इमाद अल अल-अतीकी, अनवर अली अल-मुदाफ और अब्दुल्ला अली अल-याह्या ने क्रमशः तेल, वित्त और विदेश मंत्री के रूप में अपने पद बरकरार रखे। शेख अहमद अमीर के भतीजे हैं और उन्हें पहले अप्रैल में प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया था।
लेकिन, अब शेख मिशाल द्वारा संसद को भंग करने और नई सरकार के गठन के बाद नए आदेश में प्रधानमंत्री और मंत्रियों को शाही फरमान को लागू करने को कहा गया है।
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क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि कुवैत की सरकार और निर्वाचित संसद के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर लंबे वक्त से खींचतान चली आ रही थी। इसी को देखते हुए अमीर ने बीते शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए संसद को भंग कर दिया था। इसके साथ ही अमीर ने कुवैती संविधान के कुछ अनुच्छेदों को भी खत्म कर दिया था। निलंबित अनुच्छेंदों में नई सरकार का दो माह के भीतर गठन करने की बात कही गई थी।
हालांकि, अनुच्छेदों को खत्म करने के बाद अमीर की शक्तियां और अधिक बढ़ गई हैं। अमीर के आदेशों के मुताबिक, चार साल तक के लिए अनुच्छेदों को भंग किया जाएगा औऱ इस दौरान लोकतांत्रिक पहलुओं पर विचार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष यह दूसरी बार है, जब अमीर ने संसद भंग की है।
भ्रष्टाचार बड़ी समस्या
कुवैत में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ा है। इस बात को खुद कुवैत के अमीर ने स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में राज्य के विभागों में भ्रष्टाचार बड़ी समस्या बनकर उभरा है। इससे कुवैत का माहौल खराब हुआ है। अमीर ने कहा है कि यह भ्रष्टाचार देश के सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक पहुंच गया है। उन्होंने देश की न्याय प्रणाली में भी भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत में है राजशाही
दरअसल, कुवैत में बाकी के अरब देशों की ही तरह शेख के नेतृत्व में राजशाही शासन व्यवस्था है। हालांकि, कुवैती जनरल असेंबली अरब के बाकी देशों के मुकाबले अधिक शक्तिशाली है। बीते कुछ वक्त से जनरल असेंबली और संसद के बीच टकराव के कारण उठापटक मची हुई है।
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