मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला के 51वें दिन के सर्वे में परिसर के दक्षिणी हिस्से में कई तरह की सीढ़ीनुमा संरचनाएं मिली हैं। इसी के साथ इस बात की भी संभावनाएं बढ़ गई हैं कि तलघर हो सकता है। इसके साथ ही खुदाई के दौरान एक सिक्का भी मिला है।
भोजशाला मामले के सहायक याचिकाकर्ता आशीष गोयल बताते हैं कि भोज शाला में गर्भगृह के दक्षिण दिशा में एक ट्रेंच मिली है, जिसके भीतर तक कई छोटी और बड़ी सीढ़ियां दिखाई देती हैं। इस मामले को लेकर हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस की अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री कहती हैं कि अब तक के एएसआई के सर्वे में जिस तरह से एक के बाद अवशेष, मूर्तियां और भग्नावशेष मिल रहे हैं। इन सभी से एक बात तो पूरी तरह से स्पष्ट हो जाती है कि यही स्थान असली भोजशाला है, जिसे राजा भोज ने बनाया था।
भोजशाला ही सरस्वती मंदिर था। जबकि, मुस्लिम पक्ष इसे लगातार कमाल मौला मस्जिद बताता रहा है। हालांकि, एएसआई के सर्वे ने एक बार फिर से मुसलमानों के झूठ की पोल खोल कर रख दी है। बहरहाल, अभी एएसआई का सर्वे चल रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और अधिक प्रमाण सामने आ सकते हैं।
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50वें दिन के सर्वे में मिली थीं दीवारें
इससे पहले 50वें दिन के सर्वे के दौरान भोजशाला परिसर के उत्तर दिशा में खुदाई की गई, जहां टीम ने दीवारों के कई हिस्सों की पहचान की थी। इन दीवारों में दो दीवारें पूर्व से पश्चिम और एक दीवार उत्तर से दक्षिण की ओर जा रही थीं। यह दीवारें इतिहास और वास्तुकला के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
भोजशाला ही था सरस्वती मंदिर
भोजशाला ही ‘सरस्वती मंदिर’ था। इस बात का दावा पूर्व पुरातत्वविद के के मुहम्मद ने बीते दिनों किया था। उनका कहना था कि भोजशाला, जिसे मुस्लिम पक्ष ‘कमल मस्जिद’ असल में वो कोई मस्जिद नहीं, बल्कि सरस्वती मंदिर था। लेकिन बाद में इस्लामवादियों ने इस्लामी इबादतगाह में बदल दिया।
केके मुहम्मद का कहना था कि धार स्थित भोजशाला के बारे में ये ऐतिहासिक तथ्य है कि ये सरस्वती मंदिर ही था। बाद में इसे मस्जिद बनाया गया। उल्लेखनीय है कि हिन्दू समुदाय लगातार ये दावा करता आ रहा है कि यहां पर कोई मस्जिद कभी थी ही नहीं, बल्कि ये मां सरस्वती का मंदिर था।
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