सनातन धर्म को खत्म करने के डीएमके नेता उदयनिदि स्टालिन के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। कोर्ट ने स्टालिन के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को एक साथ जोड़ने की याचिका पर कई राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी किया है।
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने की। कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन को आर्टिकल 32 के तहत दायर उनकी याचिका को संशोधित करने का भी आदेश दिया। दरअसल, स्टालिन ने आर्टिकल 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने आपत्ति जताते हुए इसे सीआरपीसी की धारा 406 के साथ जोड़ने का आदेश दिया था।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि डीएमके का रुख हमेशा से सनातन धर्म विरोधी रहा है, जिसका असर तमिलनाडु की सियासत में देखा जाता है। इसी क्रम में पिछले साल सितंबर में चेन्नई में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स आर्टिस्ट एसोशिएशन की ओर से ‘सनातन धर्म उन्मूलन’ विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन होता है। इसमें बतौर मुख्य अतिथि उदयनिधि स्टालिन को बुलाया जाता है। जहां बोलते हुए उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोराना वायरस, डेंगू, मलेरिया और मच्छरों से की।
डीएम नेता ने कहा कि जिस तरह से इन सभी बीमारियों को खत्म करने की आवश्यकता है उसी तरह से सनातन धर्म को भी जड़ से ही खत्म करना होगा। बाद में इस पर जब बवाल मचा तो उदयनिधि स्टालिन ने इस पर माफी मांगने से भी इनकार कर दिया। इसके बाद डीएमके नेता के खिलाफ कई राज्यों में लोगों ने केस दर्ज कराए। मार्च में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन को फटकार लगाई कि उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (19) ए और विवेक की स्वतंत्रता (25) का सीधे-सीधे दुरुपयोग किया है।
262 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को लिखा था पत्र
गौरतलब है कि सनातन धर्म को खत्म करने के मामले में उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ 14 सेवानिवृत्त उच्च न्यायालयों के जजों सहित 262 व्यक्तियों ने एक पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट से स्टालिन की विवादास्पद टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का आग्रह किया था।
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