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…और हिंगलाज माता के जयकारों से गूंज उठा हिंगोल नदी तट

हिंगलाज माता मंदिर पर प्रतिवर्ष भव्य मेला जुटता है जिसमें पूरे पाकिस्तान से हजारों हिन्दू आस्थावान माता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने पहुंचते हैं। हिंगोल नदी के तट पर पहाड़ में गुफा में बैठीं मां सबकी मनोकामना पूरी करती हैं

by Alok Goswami
May 10, 2024, 12:55 pm IST
in विश्व, संस्कृति
पहाड़ में प्राकृतिक गुफा के अंदर हिंगलाज माता के दर्शन

पहाड़ में प्राकृतिक गुफा के अंदर हिंगलाज माता के दर्शन

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पाकिस्तान के बलूचिस्तान सूबे में इस साल हिंगलाज माता मंदिर की तीर्थयात्रा बड़ी धूमधाम से सम्पन्न हुई। हिंगलाज माता का यह मेला गत 26 अप्रैल से आरम्भ होकर 28 अप्रैल तक चला। तीन दिन चली इस तीर्थयात्रा में माता के लाखों भक्त पैदल मीलों का कठिन सफर करके पहुंचे थे।

पाकिस्तान के हिन्दुओं में प्राचीन काल से ही हिंगलाज माता मंदिर यात्रा की बहुत मान्यता रही है। हिंगलाज माता मंदिर हिन्दुओं के उस देश में बचे कुछेक श्रद्धा स्थलों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष इन दिनों भव्य मेला भरता है जिसमें पूरे पाकिस्तान से हिन्दू माता हिंगलाज के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने पहुंचते हैं।यात्रा में कई पड़ाव आते हैं, चलते—चलते पैर जवाब देने लगते हैं लेकिन आस्था का ऐसा ज्वार व्याप्त होता है कि थकान महसूस होने ही नहीं देता।

मंदिर परिसर में हवन-पूजन करते श्रद्धालु

सबकी मनोकामना को पूर्ण करने वाली माता हिंगलाज की ऐसी ख्याति है कि प्रत्येक भक्त मन में कोई न कोई साध लिए आता है। यही वजह है कि जब यात्री यहां पहुंचते हैं तो अनेकों की आंखों से अश्रु बह निकलते हैं। ‘जय माता की’ के जयकारे से माहौल जोश से भरा-पूरा रहता है। कुछ लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं तो अनेक विशेष पाठ करते दिखते हैं।

जन मान्यता है कि माता सती के शिवलोक को प्रयाण के बाद भगवान् शिव उनकी देह को सिर पर उठा कुपित हो ताण्डव नृत्य करने लगे। इससे पृथ्वी डोलने लगी। इससे डरकर देवताओं ने विष्णु से प्रार्थना की। भगवान् विष्णु ने सुदर्शनचक्र से मां सती की देह के विभिन्न अंगों को काट दिया। माता के वे अंग पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर गिरे। प्राचीन काल से इन स्थानों को शक्ति पीठ कहा जाता है।

ढोल की थाप पर झूमते हिंगलाज माता के भक्त

आज पाकिस्तान के बलूचिस्तान सूबे में मकरान की खेरथार पहाड़ियों के बीच, मनमोहक हिंगोल नदी के तट पर स्थित हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के ही नहीं, दुनियाभर के हिन्दुओं का श्रद्धा-केन्द्र है, एक दिव्य शक्ति पीठ है।
मंदिर की आरे बढ़ते हुए भक्त मकरान तटीय राजमार्ग से कई किलोमीटर दूर ‘मड वोलकेनो’ तक पैदल चलकर जाते हैं। वे कठिन चढ़ाई चढ़ते हैं। ‘मड वोलकेनो’ पर एक छोटी सी पूजा के बाद तीर्थयात्री आगे की यात्रा पर बढ़ते हैं। वहां से लगभग 45 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर भक्त हिंगलाज माता मंदिर पहुंचते हैं। रास्तेभर तीर्थयात्रियों की टोलियां जयकारा लगाती सहयात्रियों में जोश भरती चलती हैं।

भक्तजन मंदिर में माता के दर्शन से पूर्व हिंगोल नदी में स्नान करते हैं। शास्त्रों में इस नदी के जल को गंगाजल के समान पवित्र बताया गया है। उसके बाद श्रद्धालु पास ही एक प्राकृतिक गुफा में अंदर बैठीं हिंगलाज माता के दर्शनों के लिए आगे बढ़ते हैं। मंदिर में माता के एक शिला रूप में दर्शन होते हैं। भक्त वहां बैठकर बड़ी श्रद्धा के साथ माता का पूजन करते हैं, देवी स्तोत्र का पाठ करते हैं और यथासंभव भेंट आदि अर्पित करते हैं।

गुफा के मुहाने पर लंबी पैदल यात्रा करके पहुंचे भक्तों की भारी भीड़

हिंगलाज माता के प्रति बढ़ती जन-आस्था को देखते हुए मंदिर की प्रशासन कमेटी की इच्छा है कि पाकिस्तान सरकार इसे दुनियाभर के हिन्दुओं के लिए सहज, सुगम बनाए। अभी सिर्फ पाकिस्तान में बसे हिन्दू ही मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। मंदिर प्रशासन चाहता है कि पाकिस्तान की सरकार सभी देशों से माता के दर्शनों के लिए आने की इच्छा रखने वालों को वीसा देना शुरू करे। ऐसी व्यवस्था हो कि दुनिया के किसी भी देश से इस शक्तिपीठ में माता का आशीर्वाद लेने आने के इच्छुक भक्त को कोई कठिनाई न आए।

प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच स्थित यह हिंदू तीर्थ अपने में एक विशेष स्थान रखता है। भारत में देवी के ऐसे अनेक भक्त हैं जिनकी इच्छा होती है कि वे भी इस मेले में शामिल हों, वे भी आस्था में रची-पगी उस लंबी पैदल तीर्थयात्रा का अंग बने हों, वे भी मंदिर परिसर में बैठकर हवन आदि करें और फिर मां हिंगलाज का आशीष लेकर जीवन को धन्य बनाएं।

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