प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभार: BBC)
बेल्जियम में एक चौदह वर्ष की बच्ची को उसके बॉयफ्रेंड ने बलात्कारियों के हवाले कर दिया और वे बलात्कारी भी केवल 11 से लेकर 16 वर्ष की आयुवर्ग के हैं। और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह कहा जा रहा है कि बलात्कारी अप्रवासी मूल के बच्चे हैं।
मगर यह कहानी केवल बच्ची के साथ बलात्कार की नहीं है। चौदह वर्षीय बच्ची का बलात्कार पिछले महीने ईस्टर की छुट्टियों के दौरान हुआ था। हालांकि, सुरक्षा कारणों से बच्ची की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया गया। इस बच्ची को उसका कथित बॉयफ्रेंड वेस्ट फ़्लैंडर्स (फ्रांसीसी सीमा से पांच मील दूर) के कॉर्ट्रिज्क में काबाउटरबोस नामक एक जंगली इलाके में ईस्टर स्कूल की छुट्टियों के दौरान ले गया था।
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इस जंगल में अधिकांश पर्वतारोही आते हैं, वे बाइक से पर्वतारोहण करते हैं। उसे जंगल में उसके कथित बॉय फ्रेंड ने उसके साथ बलात्कार करने से पहले उसे मारा और फिर कई और लड़कों को बलात्कार के लिए बुलाया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बलात्कार का वीडियो भी बनाया गया और फिर उसे फ़ेसबुक आदि सोशल मीडिया पर भी जारी कर दिया गया।
पुलिस के अनुसार, सारे आरोपी किशोरावस्था में हैं और सबसे छोटा आरोपी 11 वर्ष का है। यह भी कहा जा रहा है कि ये सभी अप्रवासी मूल के हैं। पुलिस ने दस संदिग्धों को पकड़ लिया है और उनकी उम्र 11 से 16 वर्ष के बीच की है। मीडिया के अनुसार इस बलात्कार को लेकर जांच में बेहद गोपनीयता और सतर्कता का परिचय दिया गया और यह प्रयास किया गया कि जांच ऐसे की जाए, जिससे कि पीडिता और उसके परिवार के सदस्यों की पहचान जाहिर न हो। डेलीमेल के अनुसार, यह भी कहा जा रहा है कि यह कार्य बदला लेने जैसा भी हो सकता है।
दो दिनों तक लड़की जंगल में रही और उसके साथ दो बार बलात्कार हुआ। इसके साथ ही उसे लगातार इन किशोरों के समूह द्वारा प्रताड़ित किया जाता रहा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दो दिनों में एक बार भी किसी ने बच्ची पर हो रही प्रताड़ना का विरोध नहीं किया। 6 आरोपियों को एक बंद संस्थान मे रखा गया है तो वहीं चार आरोपियों को घर में ही गिरफ्तार करके रखा गया है। जांच में अब यह पता लगाया जाएगा कि आखिर किसने कितना अपराध किया है। वहीं इस जघन्य अपराध को लेकर बेल्जियम में बहस हो रही है।
nieuwsblad.be के अनुसार एक आरोपी का पक्ष रख रखने वाली युवा वकील केली का कहना है कि ये बहुत ही डराने वाले तथ्य हैं। प्रश्न यह है कि आखिर कैसे इन सब बच्चों की सोचने-समझने की शक्ति चली गई। हमें इनके साथ क्या करना है? हम इस समस्या का हल कैसे निकालेंगे?
यूरोप में कल्चरल एनरिचमेंट के नाम पर शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोले गए और जिन देशों ने विरोध किया उन्हें जेनोफोबिक कहा गया, जैसा कि हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने एक चुनावी भाषण में कहा था। मगर यूरोप में इस कल्चरल एनरिचमेंट का सबसे बड़ा शिकार बच्चे हो रहे हैं। बेल्जियम से भी आए दिन ऐसे तमाम वीडियो सामने आते रहते हैं।
हाल ही में एक 16 वर्षीय लड़के को शरणार्थियों के एक गैंग ने इसलिए निर्दयता से मारा था, क्योंकि वह उनके कहने पर न ही ड्रग्स बेच रहा था और न ही उन्हें रक्षा के लिए पैसे दे रहा था। इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था।
इस घटना में उस लड़के की बहुत बुरी तरह से चार अश्वेत व्यक्तियों ने पिटाई की थी और जब एक वृद्ध व्यक्ति ने बीच में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया था, तो उनकी भी पिटाई की थी। मीडिया के अनुसार, उस लड़के के पिता ने कहा था कि मेरे बेटे की नाक टूट गई है, उसके आँखों के आस-पास सूजन है।
लड़के के पिता ने यह भी कहा था कि हमारे लिए यह शर्म की बात है कि हमें अपने हाथों में मामले लेने पड़ रहे हैं। मुझे समझ नहीं आता कि एक समाज के रूप में हम कहाँ जा रहे हैं। ऐसे में लोग अब कल्चरल एनरिचमेंट पर प्रश्न उठा रहे हैं कि आखिर कल्चरल एनरिचमेंट के नाम पर बच्चों के साथ अत्याचार कब तक देखे जाएंगे?
कई वीडियो ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें शरणार्थी पुलिस पर भी हाथ उठाते हुए दिख रहे हैं। अभी हाल ही में ब्रिटेन के मौलाना अंजेम चौधरी का यह वीडियो भी वायरल हुआ था कि आने वाले 15-20 वर्षों में यूके, बेल्जियम और फ्रांस से लोकतंत्र गायब हो जाएगा और इस्लामिक शरिया कानून ही लागू होगा।
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