रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के वाहनों की रवानगी कल 9 मई को ऋषिकेश से होगी। गौरतलब है कि श्री बद्रीनाथ को छोड़कर तीनों धामों के कपाट 10 मई को खुलने जा रहे हैं। भगवान बद्री विशाल के द्वार 12 मई को खुलेंगे। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रप्रयाग पहुंचकर यात्रा तैयारियों और कपाट खुलने के समय होने वाले कार्यक्रमों की समीक्षा की। सीएम धामी ने कपाट खोले जाने के समय हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा किए जाने की बात कही। पुपुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जिस तरह से चारधाम में तीर्थयात्रियों के पंजीकरण के आंकड़े आ रहे हैं वह एक चुनौती है। श्रद्धालु देवभूमि से अच्छा संदेश लेकर जाएं, इसका ध्यान पुलिस प्रशासन को रखना होगा।
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए उचित प्रबंधन होना चाहिए। तीर्थयात्रियों के रहने खाने स्वास्थ्य और यातायात की बेहतर और पारदर्शी मूल्य व्यवस्था होनी चाहिए। पुष्कर सिंह धामी ने वन अग्नि रोकने के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं से फील्ड में जुटने के लिए कहा। सीएम ने कहा कि आपदा कि इस घड़ी में पार्टी कार्यकर्ताओं का जनसेवा करना उनका नैतिक दायित्व है।
सीएम ने किया पिरुल इकट्ठा
सीएम ने रुद्रप्रयाग मुख्यालय पहुंचने से पहले पिरुल को सांकेतिक रूप से स्वयं एकत्र किया और *पिरुल लाओ पैसा पाओ* योजना की शुरुआत करते हुए कहा कि आग का सबसे बड़ी वजह चीड़ के पेड़ो से गिरने वाला पिरुल है जोकि ज्वलनशील है, ग्रामीण इसे एकत्र करें बदले में सरकार इसका 50 रु किलो के हिसाब से भुगतान करेगी। उन्होंने कहा कि आज से इस योजना को हर जिले में लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिरूल खरीद के लिए 50 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं।
केदारनाथ की डोली फाटा से रवाना
बाबा केदारनाथ की डोली आज फाटा से गौरी कुंड के लिए रवाना हो गई, बाबा केदार, हर-हर महादेव के जयघोष करते नाचते गाते श्रद्धालु डोली के साथ साथ पैदल यात्रा कर रहे हैं। गढ़वाल रेजिमेंट के मशक बैंड की धुन पर आगे बढ़ते हुए डोली कल शाम को अंतिम पड़ाव केदार धाम पहुंच जाएगी।
गाढ़ू घड़ा यात्रा ,मदिर की और
भगवान बद्रीविशाल के नित्य महाभिषेक में प्रयोग किए जाने वाला तिलों का तेल (गाडू घड़ा तेल कलश) यात्रा ने डिम्मर गांव स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर से पूजा अर्चना करने के बाद आज अगले पड़ाव की ओर प्रस्थान कर लिया है । 11 मई को बद्रीनाथ धाम में पहुंचेगी। गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा 12 मई को कपाट खुलने से पूर्व गाडू घड़ा बद्रीनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
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