सेकुलर हिन्दू विरोधी तत्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। जब उनकी पोल खुल जाती है, तो बेशर्म बयानबाजी भी करते हैं। कानूनी प्रक्रिया के तहत शिकायत दर्ज होने पर ये लोग कानून से बचने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं, लेकिन उन्हें वहां भी राहत नहीं मिलती है। कुछ ही ऐसा ही हुआ है जनार्दन मून और उसके साथी पाशा के साथ।
ये दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने के लिए नई-नई हरकतें करते रहते हैं। यहां तक कि इन दोनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नामक एक संगठन ही बना लिया है। सोशल मीडिया में यह भी प्रचारित किया गया कि ‘जनार्दन मून राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संस्थापक अध्यक्ष है’। इस नाते ही वह जगह-जगह कार्यक्रम कर डॉ. हेडगेवार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करता रहा। इस कड़ी में 23 मार्च को नागपुर में जनार्दन मून और पाशा ने एक संवादादाता सम्मेलन आयोजित कर कहा था, ‘‘लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कांग्रेस का समर्थन करने का निर्णय लिया है।’’
साफ है कि इन दोनों की मंशा थी संघ को बदनाम कर स्वयंसेवकों और आम लोगों को भ्रम में डालने की। उनका यह कुत्सित प्रयास अब उन्हें ही महंगा पड़ गया है। जैसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों को इसकी जानकारी मिली, वे दंग रह गए। इसके बाद नागपुर महानगर के कार्यवाह रवींद्र बोकारे ने सीताबर्डी पुलिस थाने में दोनोें के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई। उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने आईटी कानून की धारा 66 (क तथा ड) और भारतीय दंड विधान की धारा 505 (2) के अंतर्गत जनार्दन मून आौर पाशा के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया।
इसके बाद जनार्दन मून और पाशा ने इस आपराधिक मामले को निरस्त करवाने के उद्देश्य से मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की। उस पर सुनवाई करने के बाद न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने दोनों की याचिका खारिज कर दी। यानी दोनों को न्यायालय से राहत नहीं मिली। अब दोनों को मुकदमे का सामना करना ही पड़ेगा।
इससे पहले जनार्दन मून ने आर.एस.एस. नामक संस्था के गठन के लिए नागपुर के सहायक निबंधक कार्यालय में आवेदन दिया था, पर वह आवेदन निरस्त हो गया था। इसको भी उसने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। वहां दाल नहीं गली तो उसने सर्वोच्च न्यायालय में भी विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। दोनों जगह उसकी मंशा पूरी नहीं हुई।
इसके बावजूद दोनों ने संवाददाता सम्मेलन करने का दुस्साहस किया। आने वाले समय में उनका यह कुकर्म उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दे, तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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