भारत की नरेन्द्र मोदी सरकार ने जम्मू—कश्मीर से अगस्त 2019 में धारा 370 हटाने का जो साहस दिखाया उससे न सिर्फ भारत और पाकिस्तान में बल्कि पूरे विश्व में संदेश गया कि भारत की मोदी सरकार सिर्फ बयानों तक सीमित नहीं रहती अपितु फैसलों को धरातल पर क्रियान्वित भी करती है। भारत की संसद ने 22 फरवरी 1994 को सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया था कि संपूर्ण जम्मू—कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसके पूर्ण विलय का कार्य किया जाना बाकी है।
जम्मू—कश्मीर के एक बड़े भूभाग पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की वजह से पाकिस्तान का कब्जा है। उस हिस्से को भी भारत के साथ जोड़ने के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री अनेक अवसरों पर कर चुके हैं। और हर बार पाकिस्तान ने गला फाड़कर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दुहाई दी है कि ‘भारत कश्मीर को बंधक बनाए हुए है’। ऐतिहासिक तथ्यों को जिन्ना के देश ने हमेशा तोड़—मरोड़कर ही पेश किया है और इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के इस्लामी राष्ट्रों से अपने पक्ष में बयान दिलवाए हैं। लेकिन भारत की वर्तमान केन्द्र सरकार अपने इरादों से टस से मस कभी नहीं हुई।
अभी विदेश मंत्री जयशंकर एक साक्षात्कार में फिर से इस बात को दोहराया है कि जम्मू कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा है, जम्मू कश्मीर के उस अधिक्रांत हिस्से (पीओजेके) सहित पूरा जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जयशंकर ने इस संबंध में संसद के प्रस्ताव का भी स्मरण दिलाया है।
जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान अधिक्रांत पीओजेके भारत से बाहर कभी नहीं था, आज भी वह इस देश से बाहर नहीं है। वह हमारे देश का भाग है, उस कतई स्वीकार नहीं कर सकते कि हमारे उस हिस्से पर किसी अन्य का कब्जा हो। दिलचस्प बात यह है कि जयशंकर के इस बयान से ठीक पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बात के संकेत दिए हैं।
जयशंकर ने आगे यह भी कहा कि पाकिस्तान अधिक्रांत पीओजेके भारत से बाहर कभी नहीं था, आज भी वह इस देश से बाहर नहीं है। वह हमारे देश का भाग है, उस कतई स्वीकार नहीं कर सकते कि हमारे उस हिस्से पर किसी अन्य का कब्जा हो। दिलचस्प बात यह है कि जयशंकर के इस बयान से ठीक पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बात के संकेत दिए हैं।
अपने कहे को पूरा करके दिखाने के लिए दुनिया में मशहूर भारत के प्रधानमंत्री मोदी तथा अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के बयानों को नि:संदेह पाकिस्तान का सत्ता अधिष्ठान एक गंभीर संकेत मान रहा है तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। जम्मू कश्मीर के संदर्भ में भारत के लगातार आ रहे ऐसे बयानों पर पाकिस्तान के नीतिकार चर्चा कर रहे हैं। उनकी चर्चा में यह बात साफ तौर पर उभरी है कि भारत इस दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
पाकिस्तानी विश्लेषकों के अनुसार, ‘जयशंकर का बयान पर्याप्त गंभीरता झलकाता है। उनके बयान से दुनिया के सामने यह संदेश जा रहा है कि भारत बदलता जा रहा है। भारत के विदेश मंत्री हिन्दू धर्म और संस्कृति को लेकर तेवर कड़े करते दिख रहे हैं। भारत के नेताओं के बयानों से यह भी दिखता है कि वे भारत के लोगों को रक्षात्मक दृष्टिकोण को त्यागकर व्यावहारिकता से चीजों को देखने का संकेत दे रहे हैं। इससे भारत के युवाओं को एक विशेष संदेश देने की कोशिश हो रही है।’
इसमें संदेह नहीं है कि विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का दृष्टिकोण खुलकर विश्व के सामने रखा है। विश्व को बताया कि भारत एक नए रास्ते पर बढ़ रहा है। विश्व के अनेक देश भारत की साफगोई और नीतियों से प्रभावित हैं। इसके मुकाबले पाकिस्तान आज सिर्फ एक कंगाल और भिखमंगे देश के नाते जाना जा रहा है जिसकी न कोई विदेश नीति है, न ही कोई कद्दावर नेता है।
एक वरिष्ठ पाकिस्तानी टिप्पणीकार का कहना है कि भारत के विदेश मंत्री ने हिन्दुत्व के दृष्टिकोण के अनुकूल विदेश नीति पर कदम बढ़ाया है। उसके अनुसार इस नीति को दुनिया में कुछ जगहों पर मान्य भी किया गया है। इस टिप्पणीकार को इस बात का अफसोस है कि इसके बरअक्स पाकिस्तान के नेता भारत के कश्मीर को लेकर दिए गए बयानों पर चुप्पी ओढ़े अपनी ही सियासत में उलझे हुए हैं। ऐसा लगता है जैसे पाकिस्तान के नेता मुंह में दही जमाए बैठे हैं।
हालांकि पाकिस्तान के विश्लेषक विदेश नीति के क्षेत्र में भारत के किए कामों से बहुत प्रभावित हैं। और विश्लेषक ही क्यों, पहले पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, फिर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और हाल में सांसद मौलाना फजलुर्रहमान ने भारत के विकास और दुनिया में एक बड़ा दर्जा पाने के प्रयासों की खुलकर तारीफें की हैं।
लेकिन इसमें संदेह नहीं है कि विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का दृष्टिकोण खुलकर विश्व के सामने रखा है। विश्व को बताया कि भारत एक नए रास्ते पर बढ़ रहा है। विश्व के अनेक देश भारत की साफगोई और नीतियों से प्रभावित हैं। इसके मुकाबले पाकिस्तान आज सिर्फ एक कंगाल और भिखमंगे देश के नाते जाना जा रहा है जिसकी न कोई विदेश नीति है, न ही कोई कद्दावर नेता है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए खुद पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक कयास लगा रहे हैं कि संभवत: आम चुनाव के बाद भारत जम्मू—कश्मीर के संदर्भ में कोई बड़ा कदम उठाएगा। भारत में भी राष्ट्रीय सोच के लोगों का मानना है कि भारतीय संसद द्वारा जम्मू—कश्मीर पर सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव की अक्षरश: पालना की जाएगी और देश एक बार फिर अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त करेगा।
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