ईरान की इस्लामिक कट्टरपंथी सरकार में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन किसी की इतनी हिम्मत नहीं होती है कि कोई भी सीधे ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामनेई के ऊपर उंगली उठा सके। इसी कारण वहां के मौलवी और लोग अली खामनेई के करीबी अधिकारियों और मौलवियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे हैं। इसके अलावा अब कुछ ईरानी मौलवियों ने भी हिजाब को लागू करने के ईरानी सरकार के रवैये के खिलाफ आवाज उठाई है।
ईरान सरकार के खिलाफ ये आवाज बुलंद की है वहां के अयातुल्लाओं ने। अयातुल्लाओं ने सरकार पर वित्तीय गड़बड़ियों ओर अनिवार्य हिजाब से जुड़े मुद्दों से निपटने के सरकार के तरीके पर सवाल खड़ा किया है। सवाल किया जा रहा है कि तेहरान में जुम्मे की नमाज अदा करने वाले इमाम काजम सेदीघी, जिन्होंने तेहरान में 20 मिलियन डॉलर की जमीनों पर अवैध कब्जे की बात को कबूल कर लिया था, उनके खिलाफ कोई एक्शन लिया गया?
इसे भी पढ़ें: China पर जासूसी का आरोप लगाने वाले European देशों में क्या करने पहुंचे हैं President Xi Jinping!
ईरानी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रमुख मौलवियों में से एक हैं मौलवी ग्रैंड अयातुल्ला जावेदी अमोली, जिन्होंने हिजाब के मुद्दे पर खामनेई सरकार की कड़ी भर्त्सना की थी। जावेदी अमोली कहते हैं कि हिजाब की समस्या को संगीनों के बल पर हल नहीं किया जा सकता।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, ईरान की कट्टरपंथी खामनेई सरकार ने ईरान में महिलाओं की आजादी को कुचलते हुए ईरानी महिलाओं के लिए हिजाब (काला लंबा लबादा) को अनिवार्य कर दिया है। कई महिलाओं ने हिजाब का विरोध किया तो ईरानी सरकार की कथित मॉरल पुलिस ने उन महिलाओं को इतना टॉर्चर किया कि उनकी मौत हो गई।
इन्हीं मामलों पर बोलते हुए जावदी अमोली ने ईरानी सरकार को चिढ़ाते हुए कहा, “अधिक बालों को ढकने के लिए हिजाब को अनिवार्य करना शुद्धता की गारंटी नहीं देता है और निश्चित रूप से यह वित्तीय भ्रष्टाचार को नहीं रोकेगा। उन्होंने कहा कि हिजाब की समस्या को कठोर उपायों से हल नहीं किया जा सकता। एकमात्र चीज़ जो इस तरह के उपाय कर सकती है वह है लोगों को हिजाब नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना। अन्यथा, समस्या अनसुलझा बनी रहेगी।
गौरतलब है कि ईरानी सरकार ने हिजाब के नियमों को और अधिक कठोर करते हुए हाल ही में ऑपरेशन नूर लॉन्च किया है।
टिप्पणियाँ