इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ध्रुव राठी, रवीश कुमार, अजीत अंजुम, अभिसार शर्मा, पुण्य प्रसून वाजपेई जैसे दर्जनों यूट्यूबरों के वीडियो को यूट्यूब प्रमोट करता है। मीडिया मुगल रूपर्ट मर्डोक के अनुसार मार्केट में कंटेंट नहीं, डिस्ट्रीब्यूशन किंग है।
ध्रुव राठी जैसे यूट्यूबर का वीडियो विदेश में बनता है और 24 घंटे में एक करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचता है। उन तक भी जिन्होंने कभी न इस नाम को सर्च किया है और न इस नाम को जानते हैं। एक मित्र यूट्यूब नोटिफिकेशन में कांग्रेस इको सिस्टम के प्रोपगेंडा वाले नामों को देख कर कभी लिंक पर चटका नहीं लगाते।
लेकिन उनके नोटिफिकेशन में बार-बार ध्रुव, रवीश, अजीत के वीडियो ठेल दिए जाते हैं। इन्हें हर्ष वर्धन त्रिपाठी, मनीष कुमार और मनीष ठाकुर के वीडियो देखने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती है। रचित कौशिक की भाषा के फैन हैं लेकिन उनके चैनल से मानो यूट्यूब कोई दुश्मनी निकाल रहा है जबकि ध्रुव के झूठ को शेयर करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री को न्यायालय में माफी मांगनी पड़ी। ध्रुव राठी तो भगोड़ा है, इंडिया से बाहर रहकर अपना प्रोपगेंडा भारत पर थोप रहा है। उसके वीडियो यूट्यूब खूब-खूब प्रमोट करता है। मतलब एक घंटे में एक करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचा देता है।
यूट्यूब के इस मनमाने बर्ताव की जांच होनी चाहिए। उस एल्गो की जांच होनी चाहिए, जिसके आधार पर यू ट्यूब वीडियो को प्रमोट करता है और सबसे महत्वपूर्ण बात, जिनके वीडियो को वह पांच लाख से अधिक लोगों तक पहुंचा रहा है, उनके वीडियो के फैक्ट चेक की जिम्मेवारी यूट्यूब को लेनी चाहिए। वरना ध्रुव राठी, अजीत अंजुम और रवीश कुमार जैसे लोग अफवाह फैला कर निकल जाएंगे। तथ्यों से गलत तरीके से खेल जाएंगे और जब तक उनके झूठ पर स्पष्टीकरण आएगा, देर हो चुकी होगी।
यह सावधान होने का समय है क्योंकि यूट्यूब का डिस्ट्रीब्यूशन मनमाना है और उनकी सच्चाई को सामने लाने के लिए कोई भी स्वदेशी सोशल मीडिया विकल्प भारत से प्रेम करने वालों के पास नहीं है। यह चिंता की बात है, जिस पर विचार करने की जरूरत है।
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