17 जनवरी वर्ष 2016 में हैदराबाद मे एक छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी। उसकी आत्महत्या तब से लेकर अभी तक एक विशेष राजनीतिक मुद्दा बनी हुई है, क्योंकि उसे एक संस्थागत भेदभाव के रूप में प्रस्तुत किया गया था और यह कहा जा रहा था कि चूंकि वह दलित था, इसलिए उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। उसे लेकर यह कहा था कि उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित करने में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का हाथ है और इसे लेकर भाजपा सांसद बंडारू दत्तात्रेय पर एफआईआर तक दर्ज की गई थी।
जबकि उन्होंने तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी को अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन द्वारा आतंकी याकूब मेनन की फांसी का विरोध करने को लेकर पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने लिखा था कि जब एबीवीपी के सुशील कुमार ने इस का विरोध किया तो उनपर हमला किया गया और अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
इस पत्र के बाद जब प्रशासन ने कदम उठाए थे तो उन कदमों को ही प्रताड़ना आदि का आधार बनाकर सांसद बंडारू दत्तात्रेय का नाम इसमें घसीटा गया था। रोहित वेमुला की इस आत्महत्या को लेकर मायावती से लेकर राहुल गांधी तक भाजपा नेताओं पर हमलावर रहे थे। वर्ष 2016 के इस मामले को लेकर अब तेलंगाना पुलिस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि वह दलित नहीं था और चूंकि वह अपनी असली जाति छुपा रहा था, इसलिए उसने अपनी पोल खुल जाने के डर के कारण आत्महत्या की थी।
न्यूज़ पोर्टल द न्यूज़ मिनट के अनुसार, तेलंगाना पुलिस यह रिपोर्ट शुक्रवार 3 मई 2024 को उच्च न्यायालय में रखेगी। यह रिपोर्ट scribd वेबसाइट पर अपलोड की गई है। जहां रोहित वेमुला की आत्महत्या का लाभ लेने के लिए उसे दलित बताकर आंदोलन चलाया जा रहा था। रिपोर्ट के अनुसार, जांच अधिकारी इस कारण रोहित की जाति की जांच करने में सफल नहीं हो पा रहे थे।
जांच अधिकारी ने जब रोहित के पिता से बात की तो पता चला कि रोहित वेमुला वद्देरा जाति से था, जो पिछड़ा वर्ग में आती है। रोहित के पिता ने जांच अधिकारी को बताया था कि उनकी और रोहित की माँ की परिवार की पसंद से शादी हुई थी और वे दोनों ही वद्देरा जाति से संबंधित हैं, जो पिछड़ा वर्ग में आती है, अनुसूचित जाति में नहीं। जांच अधिकारी ने गाँव की सरपंच से भी रोहित की जाति के विषय में पूछताछ की, तो उन्होंने भी यही कहा कि वे मृतक के परिवार को भली भांति जानती हैं और वे लोग वद्देरा जाति के ही हैं।
एक आरोप यह भी लगाया जाता रहा कि रोहित वेमुला को उसकी फेलोशिप का पैसा नहीं मिल रहा था। इसके उत्तर में रिपोर्ट मे लिखा गया है कि वर्ष 2012 में रोहित वेमुला ने सीएसआईआर-एनईटी पास किया था और उसने जुलाई 2012 में एनिमल साइंस डिपार्टमेंट में एडमिशन लिया था और उसे 4,99,200 रुपए का भुगतान 1/7/2012 से 30/06/2014 के बीच किया गया था। फिर उसने 22 अप्रेल 2013 को एनिमल साइंस में आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और इसके लिए कैंसिलेशन ऑर्डर भी नवंबर 2013 में जारी कर दिए गए थे। इस प्रकार उसे 30 जून 2014 तक अधिक फेलोशिप मिली थी। इसके बाद उसने फिर सीएसआईआर/यूजीसी की परीक्षा मार्च 2014 में दी और फिर पीएचडी में जुलाई 2014 में एडमिशन लिया।
फंडिंग एजेंसी के दिशानिर्देशों के अनुसार, पीएचडी का कार्यकाल 5 वर्ष होता है, मगर चूंकि वह पहले ही 2014 तक फेलोशिप ले चुका था, इसलिए इसके मामले को आगे भेजा गया। वर्ष 2012 से फेलोशिप की राशि को सीधे खाते मे भेजा जाने लगा था तो यूनिवर्सिटी का काम केवल कन्टिन्यूईटी पत्र जारी करना ही रह जाता है। फिर भी 2 जुलाई 2014 से 1 जुलाई 2015 तक उसे फेलोशिप मिली और उसके बाद नहीं मिली। हाँ, नवंबर 2015 में उसे फेलोशिप एनहेनसमेंट राशि मिली थी। जो 54,000 रुपए थी।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन दंड को उत्पीड़न बताया जा रहा थी, वे दंड यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार ही लगाए गए थे और इसमें भाजपा के सांसद को भी क्लीन चिट दी गई है।
जब आत्महत्या के कारणों का प्रश्न इस रिपोर्ट में किया गया है तो उसके उत्तर में रोहित वेमुला के पत्र का उल्लेख है, जो उसने अपने मरने से पहले लिखा था। उस पत्र के अनुसार वह बहुत परेशान था और यह परेशानी उसे बचपन से थी। वह लिखता है कि उसका जन्म एक बड़ी दुर्घटना थी। पुलिस की इस रिपोर्ट के अनुसार रोहित का परिवार उसकी मृत्यु से एक महीने पहले गुन्टूर से उप्पल, हैदराबाद में रहने के लिए आ गया था। इसलिए पैसे की तंगी अर्थात फेलोशिप का रुकना समस्या नहीं हो सकती है, क्योंकि वह अपने परिवार के साथ रुक सकता था।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिनांक 18 दिसंबर 2015 को वीसी को लिखे गए पत्र में उसने आत्महत्या के लिए जहर और रस्सी की मांग की थी। जहां तक परिवार की बात है तो यह पता चलता है कि उसके माता-पिता काफी पहले अलग हो गए थे और उसके छोटे भाई की मंगनी हो चुकी थी। रिपोर्ट में लिखा है कि यदि मृतक के विषय में और जानें तो यह पता चलता है कि वह पढ़ाई से अधिक राजनीतिक मुद्दों में अधिक शामिल रहता था।
उसके बाद लिखा है, “इसके अतिरिक्त, मृतक को खुद भी इस बात का पता था कि वह उस जाति का नहीं है, जिस जाति का प्रमाण पत्र उसकी माँ ने उसे बनवाकर दिया है। हो सकता है कि उसे यह डर सता रहा हो कि यदि यह सच सामने आ गया तो इतने वर्षों से उसकी अकादमिक मेहनत बेकार हो जाएगी। इस प्रकार मृतक के इतने मुद्दे थे कि उसने आत्महत्या कर ली।
राहुल गांधी ने दलित बताकर किया था हंगामा
जहां तेलंगाना में 13 मई को लोकसभा चुनाव होने हैं तो वहीं उससे दस दिन पहले कॉंग्रेस शासित तेलंगाना से यह रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है। यह याद रखा जाना चाहिए कि उस समय स्मृति ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री थीं और वह प्रधानमंत्री मोदी का प्रथम कार्यकाल था। इस मामले में ईकोसिस्टम ने हंगामा करना चालू रखा था। राहुल गांधी के ट्वीट्स अब लोग वायरल कर रहे हैं। अभी हाल ही में जब कॉंग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ों यात्रा निकाल रहे थे तो तेलंगाना में रोहित वेमुला की माँ उसमें भी उनके साथ जुड़ी थी।
किसी भी देश के युवा का असमय जाना उस देश की हानि है, परंतु उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण है उसकी असमय एवं असहज मृत्यु को अपनी राजनीति की सीढ़ी बनाना, उसे अपने राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग करना। जबकि वर्ष 2017 में भी केंद्र सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग ने यह साबित किया था कि रोहित वेमुला की आत्महत्या में कॉलेज प्रशासन का कोई हाथ नहीं था।
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