पिछले दिनों भारत और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अपमान करने वाले चीन के पिट्ठू मालदीव की आर्थिक सेहत जर्जर हो चली है। मुख्यत: पर्यटन पर टिकी उसकी अर्थव्यवस्था को भारत के पर्यटकों द्वारा दिखाए ठेंगे से ऐसा चूना लगा है कि उसका इलाज शायद चीन भी नहीं कर पा रहा है। मालदीव अब ऐसे तरीके निकाल रहा है जिनसे भारत के लोगों को फिर से वहां आने के लिए रिझा सके।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू कट्टर चीन समर्थक के नाते जाने जाते हैं। उनके तेवर नरम करने का भी भारत के पर्यटकों पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है। भारतीयों ने कभी अपने पसंदीदा समुद्रतट रहे मालदीव से बहुत बड़ी तादाद में किनारा कर लिया है। मालदीव को उनसे होने वाली आय ऐसी घटी है कि आर्थिक हालत औंधे मुंह आ गिरी है। संभवत: इसीलिए वहां की विपणन एवं जनसंपर्क विभाग की प्रबंध निदेशक को यह कहना पड़ा है कि देश का पर्यटन बोर्ड भारतीय पर्यटकों की तादाद को बढ़ाने की बहुत गंभीरता से कोशिश कर रहा है। प्रबंध निदेशक फातिमा तौफीक ने कहा है कि भारत से आने वाले पर्यटकों की घटती तादाद चिंताजनक है और कोशिश की जा रही है कि उन्हें फिर से वहां आने को आकर्षित किया जाए।
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का चीन के प्रति बहुत ज्यादा झुकाव कुछ वक्त पहले उनके पद पर आने के बाद से ही भारत तथा मालदीव के बीच राजनयिक रिश्तों को बहुत नुकसान पहुंचा चुका है। गत जनवरी माह में मालदीव के तीन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर जो अभद्र टिप्पणी की थी उसे भारतीयों ने हल्के में न लेते हुए मालदीव जाने की अपनी टिकटें निरस्त करानी शुरू कर दी थीं। उस घटना के बाद से ही दोनों देशों में संबंध सबसे निचले स्तर पर बने हुए हैं। भारत में मालदीव का बहिष्कार करने का भाव अब भी बना हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इस साल भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की तादाद में रिकॉर्ड कमी आना मालदीव को घुटनों पर ला चुका है।
इसमें संदेह नहीं है कि मालदीव के लिए भारत सबसे महत्वपूर्ण पर्यटक स्रोत रहा है। मालदीव में उद्योग के जानकारों में भी इस बात से चिंता पैदा हो रही है और वे मान रहे हैं कि वहां के उद्योग जगत को भी यह स्थिति अगर लंबी चली तो ले डूबेगी। उधर तौफीक ने खुलासा करते हुए कहा कि पर्यटन बोर्ड भारतीय यात्रियों को लुभाने के लिए प्रचार अभियान में तेजी लाने के प्रयास शुरू किए हैं। इसके लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किये जा चुके हैं।
छोटे से टापू देश मालदीव के विपणन एवं जनसंपर्क विभाग की प्रबंध निदेशक तौफीक का साफ कहना यह बताता है कि पर्यटन बोर्ड को भारतीय पर्यटकों की उस देश में अरुचि की वजह से जोर का झटका लगा है। यही वजह है कि अब ऐसी कोशिशें की जा रही हैं जिनसे भारत से लोग एक बार फिर उस देश के प्रति आकर्षित हों।
यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि 2021 से 2023 के बीच मालदीव में पर्यटन के मामले में भारत से जाने वाले पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक पाई गई थी। लेकिन 2024 में अभी तक भारत के पर्यटकों की संख्या छठी पायदान पर है जो भारत के लिए गर्व और मालदीव के लिए शर्मनाक बात है।
इसमें संदेह नहीं है कि मालदीव के लिए भारत सबसे महत्वपूर्ण पर्यटक स्रोत रहा है। मालदीव में उद्योग के जानकारों में भी इस बात से चिंता पैदा हो रही है और वे मान रहे हैं कि वहां के उद्योग जगत को भी यह स्थिति अगर लंबी चली तो ले डूबेगी। उधर तौफीक ने खुलासा करते हुए कहा कि पर्यटन बोर्ड भारतीय यात्रियों को लुभाने के लिए प्रचार अभियान में तेजी लाने के प्रयास शुरू किए हैं। इसके लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किये जा चुके हैं।
मालदीव इसके लिए हवाई सेवाओं के साथ भी भागीदारी करके प्रचार कर रहा है। भारतीय पर्यटकों का मालदीव का इस साल का लक्ष्य 20 लाख का है जिसे पाने के लिए जीतोड़ प्रयास चल रहे हैं। लेकिन मालदीव की उम्मीद से परे भारत के लोग अपने सबसे प्रिय नेता के प्रति अपमानजनक भाषा को सहने के लिए कतई तैयार नहीं हैं। वे चाहते हैं कि चीन परस्त मालदीव की सरकार बाकायदा अपनी उस हरकत के लिए अधिकृत रूप से माफी मांगे तभी कुछ हो पाएगा। लेकिन इसके लिए अब भारत वालों में कोई जल्दी नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री के आह्वान पर भारत का लक्षद्वीप पर्यटकों को लुभा रहा है। मालदीव की प्राकृतिक सुंदरता को पीछे छोड़ते हुए लक्षद्वीप का सौंदर्य इक्कीस साबित हो रहा है।
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