मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का सर्वे बीते करीब एक माह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) सर्वे कर रहा है। इस सर्वे का नतीजा अब दिखने लगा है। एएसआई के सर्वे से ये स्पष्ट होने लगा है कि जिस भोजशाला को मुस्लिम पक्ष कमल मौला मस्जिद कह रहा है वो दरअसल, सरस्वती मंदिर है। बीते दिन एएसआई की टीम ने भोजशाला के मुख्य भवन के 8 ब्लाकों में से 4 में खुदाई की। इस खुदाई में दीवार जैसी संरचना मिली है। केंद्रीय हाल से एक खंडित मूर्ति भी मिली है।
भोजशाला के सर्वे को लेकर हिन्दू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा का कहना है कि भोजशाला के अंदर से 50 फीट लंबी दीवार जैसा ढांचा मिला है। इस तरह की चार संरचनाएं मिली हैं। वक्त बीतने के साथ ही इस बात की उम्मीद जगी है कि और अधिक सबूत मिलेंगे। फिलहाल अभी एएसआई के पास 8 हफ्ते का समय है। पुरातत्व विभाग अभी उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर खुदाई का काम कर रही है। बताया गया है कि तथ्यों के नष्ट होने के डर से श्रमिक धीरे-धीरे खुदाई कर रहे हैं और आस्ते से गाद को बाहर निकाल रहे हैं।
गोपाल शर्मा ने कहा कि कथित कमाल मौला मस्जिद के अंदर से भी कई शिलालेख मिले हैं, जिन्हें एएसआई की टीम बहुत ही सावधानी के साथ कागज पर ट्रेस कर रही है। वहीं मुस्लिम पक्ष के काजी वकार सादिक ने एएसआई पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
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भोजशाला ही था सरस्वती मंदिर
भोजशाला ही ‘सरस्वती मंदिर’ था। इस बात का दावा पूर्व पुरातत्वविद के के मुहम्मद ने किया है। उनका कहना है कि भोजशाला, जिसे मुस्लिम पक्ष ‘कमल मस्जिद’ असल में वो कोई मस्जिद नहीं, बल्कि सरस्वती मंदिर था। लेकिन बाद में इस्लामवादियों ने इस्लामी इबादतगाह में बदल दिया।
केके मुहम्मद का कहना है कि धार स्थित भोजशाला के बारे में ये ऐतिहासिक तथ्य है कि ये सरस्वती मंदिर ही था। बाद में इसे मस्जिद बनाया गया। उल्लेखनीय है कि हिन्दू समुदाय लगातार ये दावा करता आ रहा है कि यहां पर कोई मस्जिद कभी थी ही नहीं, बल्कि ये मां सरस्वती का मंदिर था।
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