कोरोना के कहर को कौन भूला होगा? कौन भूला होगा चीन के वुहान शहर की उस लैब को जहां से वह कोरोना वायरस कथित रूप से फैलना शुरू हुआ था। उसके बाद उसने, तेजी से पूरी दुनिया को अपनी जानलेवा गिरफ्त में लेकर लाशों के अंबार लगा दिए थे। ऐसे में कम्युनिस्ट चीन में वैक्सीन के रूप में उस वायरस का पहला तोड़ लाने वाले वैज्ञानिक को ही कम्युनिस्ट ड्रैगन ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उस पर कड़ी कार्रवाई करते हुए संसद से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
चीन में पहली ‘इनएक्टिवेटेड कोविड-19 वैक्सीन’ को तैयार करने वाले चीन के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक यांग श्याओमिंग ने शायद सपने में भी न सोचा होगा कि उनके देश की सरकार उनके साथ ऐसा व्यवहार करेगी, उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ेगा। यांग चीन के नेशनल फार्मास्युटिकल ग्रुप के अध्यक्ष हैं। उन पर भ्रष्टाचार और कानून के उल्लंघन के आरोप लगे हैं।
आरोप साबित होने से पहले ही यांग को कम्युनिस्ट पार्टी ने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) से बाहर कर दिया। यांग श्याओमिंग उस देश के एक जाने—माने शोधकर्ता हैं। बड़े पदों पर रह चुके हैं। सरकारी की कंपनी सिनोफार्म में वैक्सीन बनाने वाली संस्था के प्रमुख रहे हैं। वहीं हैं जिनकी अध्यक्षता में सिनोफार्म के वैज्ञानिक दल ने चीन की कोरोना वैक्सीन तैयार की थी।
हालांकि दिसम्बर 2019 में ही चीन के वुहान की लैब कोरोना वायरस के रिसने और लोगों को संक्रमित करने का अंदेशा हो गया था, लेकिन आधिकारिक तौर पर बताया गया कि वहां मार्च 2020 में पहला केस आया। जो भी हो, वह वायरस देखते ही देखते दुनिया में तेजी से फैलता गया। धरती का कोई हिस्सा न बचा जहां इसने अपनी जबरदस्त मारक क्षमता से इंसानों को प्रभावित करके उनकी जान न ली हो। अस्पष्ट आंकड़ों के हिसाब से इससे लाखों लोग असमय काल के गाल में समा गए थे।
चीन के अंग्रेजी अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट है कि भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को चलाया ही इसलिए गया है कि पूरे तंत्र से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी बाहर किए जाएं, रिश्वतखोरी पर लगाम लगाई जाए। इसके दायरे में अस्पताल, दवा कंपनियां, बीमा अनुदान तथा बड़ी संख्या में अस्पतालों के अध्यक्ष सम्मिलित हैं। पिछले साल भी ऐसे कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
कम्युनिस्ट चीन की एनसीपी का यांग के संबंध में कहना है कि उन पर पार्टी की अनुशासनात्मक इकाई केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग की जांच चल ही रही है। यहां बता दें कि यांग की अगुआई में तैयार की गई सिनोफार्म वैक्सीन तथा सिनोवैक बायोटेक द्वारा बनाई कोरोनावैक वैक्सीन चीन में सबसे अधिक प्रयोग की गई थी। चीन ने बड़ी मात्रा में इन्हें दूसरे देशों को भी बेचा था।
यांग के विरुद्ध कार्रवाई राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने की मुहिम के तहत बताई जा रही है। भ्रष्टाचार विरोधी इस मुहिम के दायरे में चीन का स्वास्थ्य क्षेत्र भी है। कुछ नेताओं के विरुद्ध भी कार्रवाई की गई है। बताते हैं, इसी कार्रवाई में यांग को संसद से बर्खास्त किया गया है।
चीन के अंग्रेजी अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट है कि भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को चलाया ही इसलिए गया है कि पूरे तंत्र से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी बाहर किए जाएं, रिश्वतखोरी पर लगाम लगाई जाए। इसके दायरे में अस्पताल, दवा कंपनियां, बीमा अनुदान तथा बड़ी संख्या में अस्पतालों के अध्यक्ष सम्मिलित हैं। पिछले साल भी ऐसे कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
जब कोरोना महामारी पूरे उफान पर थी, तब दिसंबर 2020 में यांग के दल ने कोरोना की वैक्सीन बनाई थी और उसके प्रयोग की इजाजत भी दी जा चुकी थी। यांग को इस जानलेवा महामारी से लोहा लेने के लिए नेशनल अवार्ड भी दिया गया था। चीन की सोसाइटी ऑफ इम्यूनोलॉजी ने उन्हें स्कॉलर की उपाधि दी थी। उन्हें और भी अनेक पुरस्कार दिए गए थे।
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