भारत के पड़ोसी इस्लामी देश की कंगाली ऐसी है कि उसे बार बार अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के आगे हाथ फैलाने पड़ रहे हैं। राजनीतिक रूप से अस्थिर रहे उस देश में सरकार सिर्फ नाम की है, काम कुछ नहीं हो रहा है। अर्थव्यवस्था कंगाली का रोना रो रही है। बार बार जिन्ना का देश दूसरे देशों के आगे भीख का कटोरा बढ़ा रहा है जबकि दूसरे देश उससे भरपूर दूरी बनाकर रखना चाहते हैं। ऐसी परिस्थितियां देख कर जिन्ना के देश के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी का दर्द छल्का है। उन्हें पाकिस्तान की बदहाली नहीं देखी जा रही और इस चक्कर में उनके मुंह से सच निकला है।
अब्बासी ने कहा है कि पाकिस्तान का वक्त वक्त पर आईएमएफ के सामने हाथ फैलाना अफसोसजनक है। उसके साथ हुए समझौतों के कारण पाकिस्तान तरक्की नहीं कर पा रहा है, इसलिए महंगाई बढ़ती रही है। उनका कहना है कि यह सही आईएमएफ देश को जिंदा रखे हुए है लेकिन इससे आर्थिक हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
पड़ोसी इस्लामी देश आज आर्थिक रूप से घुटनों पर है। वहां बदहाली है। उस पर इतने कर्जे चढ़ चुके हैं कि ब्याज तक देने की हालत नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान को मजबूर होकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आगे भीख कटोरा रखकर कुछ दिन के लिए रोटी खाने का जुगाड़ करना पड़ता है। अभी हाल में उसने फिर से आईएमएफ के आगे राहत पैकेज के लिए हाथ फैलाए हैं, जिस पर शायद अगले महीने समीक्षा बैठक हो।
विदेशी मुद्रा भंडार रीत चुका है और नकदी का भयंकर संकट है। इसे देखकर ही वहां के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने इन हालात को देश का असफल होना कहा है। अब्बासी कहते हैं कि आईएमएफ से बार बार राहत पैकेज की मांग करना दिखाता है कि हम असफल रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री का कहना है कि अर्थव्यवस्था लगातार उतार की ओर जाना चिंता पैदा करता है।
अब्बासी कल लाहौर में अस्मां जहांगीर सम्मेलन में शामिल हुए थे। उस सम्मेलन में ही पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि आईएमएफ के साथ जो शर्तें तय की गई हैं उनके कारण पाकिस्तान आर्थिक तरक्की नहीं कर पा रहा है। इससे महंगाई बढ़ती है। यह जरूर है कि आईएमएफ के पैसे से देश को जिंदा रहने की सहूलियत मिल जाती है, परन्तु इससे अर्थ तंत्र हर मोर्चे पर डगमगा जाता है।
अब्बासी का साफ संकेत है कि आईएमएफ से कर्जा लेने से विकास अटक जाता है। राहत पैकेज तो ऐसा होता है जैसे कोई आईसीयू में इलाज कराए। लेकिन ऐसा बार बार होना चिंता पैदा करता है। क्योंकि आईसीयू में बहुत ज्यादा रहने से रोग दूर नहीं होता। सिर्फ बाहर से कर्जा ही नहीं, आंतरिक ऋण भी पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ी बाधा हैं। ये दिखाते हैं कि सरकार मुश्किलों को दूर करने में नाकाम रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री को चिंता है कि क्यों सरकारें हर बात पर उधार लेने लगती हैं। उनका कहना है कि देश के कानूनी तंत्र में सुधार हुए बिना यहां कोई देश पैसा नहीं लगाना चाहेगा। अब्बासी ने कहा कि गरीबों की मदद को सरकार आटा बांटती तो है, लेकिन उसमें भी पैसा खा लिया जाता है। उसमें करीब 40 फीसदी पैसा खाया जाता है। इसके लिए उन्होंने राजनीतिक अस्थिरता की तरु संकेत किया और इसे उद्योग—धंधों की कामयाबी में अड़चन बताया। उनका कहना है कि ये सब बातें आपस में जुड़ी होती हैं, इसलिए कुछ अपने से नहीं सुधरता।
अब्बासी का साफ संकेत है कि आईएमएफ से कर्जा लेने से विकास अटक जाता है। राहत पैकेज तो ऐसा होता है जैसे कोई आईसीयू में इलाज कराए। लेकिन ऐसा बार बार होना चिंता पैदा करता है। क्योंकि आईसीयू में बहुत ज्यादा रहने से रोग दूर नहीं होता। सिर्फ बाहर से कर्जा ही नहीं, आंतरिक ऋण भी पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ी बाधा हैं। ये दिखाते हैं कि सरकार मुश्किलों को दूर करने में नाकाम रही है।
सम्मेलन में बलूच नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के अध्यक्ष अख्तर मेंगल का कहना था कि पाकिस्तान में इस वक्त मार्शल लॉ नहीं है, लेकिन यहां लोकतंत्र भी नहीं है। मेंगल ने तो यहां तक कहा कि हरे झंडे के पीछे तानाशाही छुपी हुई है।
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