आज तक ई-कॉमर्स कंपनियां (जो किसी उत्पाद को आनलाइन बेचती हैं) बॉर्नविटा जैसे दूध-पूरक उत्पादों को सेहत बढ़ाने वाला बताकर बेचती रही हैं। विशेषकर बॉर्नविटा के बारे में यह प्रचारित किया जाता रहा है कि इसके पीने से बच्चा सेहतमंद होता है। यही कारण है कि प्राय: हर मां अपने बच्चों को बॉर्नविटा पिलाती ही है। लेकिन अब पता चला है कि बॉर्नविटा सहित इस तरह के कुछ अन्य पेय पदार्थ सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। इसलिए गत 10 अप्रैल को भारत सरकार ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी वेबसाइट से विभिन्न पेय पदार्थों को ‘स्वास्थ्य पेय’ की श्रेणी से हटाने का आदेश दिया।
यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एन.सी.पी.सी.आर.) द्वारा केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय को लिखे एक पत्र के बाद आया है। इस मामले में कार्रवाई तेजी से हो इसलिए आयोग ने अपने पत्र की प्रति स्वास्थ्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भी भेजी थी। अब इस संबंध में वाणिज्य मंत्रालय ने कार्रवाई की है। इसके बाद से बॉर्नविटा जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में खलबली मच गई है।
वास्तव में यह विवाद एक वर्ष पुराना है। बता दें कि पिछले वर्ष अप्रैल माह में पोषण विशेषज्ञ रेवंत हिमंतसिंगका ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि बॉर्नविटा में चीनी की मात्रा अधिक है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि बॉर्नविटा में कुछ ऐसे तत्व भी हैं, जिनसे कैंसर होने का खतरा रहता है।
रेवंत ने कहा था कि बॉर्नविटा को अपनी ‘टैग लाइन’ ‘तैयारी जीत की’ की बजाय ‘तैयारी डायबिटीज की’ कर देनी चाहिए। उनकी इस पोस्ट के बाद बॉर्नविटा की निर्माता कंपनी कैडबरी ने एक बयान जारी कर कहा था, ‘‘बॉर्नविटा को सात दशक से अधिक समय से भारतीय उपभोक्ताओं का प्यार और भरोसा प्राप्त है। इसमें विटामिन ए सी डी, आयरन, जिंक, कॉपर आदि हैं और ये सब रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।’’ इसके साथ ही कैडबरी ने 17 अप्रैल, 2023 को रेवंत को एक कानूनी नोटिस भेजा था। नोटिस मिलने के बाद रेवंत ने सोशल मीडिया से अपनी पोस्ट को हटा लिया और कैडबरी से माफी भी मांगी।
उस समय भले ही कानूनी पचड़ों से बचने के लिए रेवंत ने माफी मांग ली हो, लेकिन एन.सी.पी.सी.आर. के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने उनके द्वारा उठाए गए इस मामले को सही माना। इसके बाद एन.सी.पी.सी.आर. ने बॉर्नविटा को नोटिस भेज कर कहा कि वह ‘स्वास्थ्य पेय’ का दावा न करे और इस संबंध में जो भी लिखा जा रहा है, उसे हटाए। इसका असर यह हुआ कि बॉर्नविटा में चीनी की मात्रा थोड़ी कम कर दी गई। इसके साथ ही एन.सी.पी.सी.आर. की एक समिति ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 की धारा 14 के अंतर्गत इस मामले की जांच की।
एन.सी.पी.सी.आर. ने वाणिज्य मंत्रालय और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफ.एस.एस.ए.आई.) और कई राज्य सरकारों को पत्र लिखा। उपभोक्ता मामलों के विभाग को पत्र लिखकर कहा गया था कि बॉर्नविटा सहित किसी भी पेय पदार्थ को ‘स्वास्थ्य पेय’ की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए। एन.सी.पी.सी.आर. ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण से उन कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की अपील की, जो सुरक्षा मानकों और दिशानिर्देशों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
इन सबका परिणाम यह हुआ कि 10 अप्रैल को जारी अधिसूचना में वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सी.आर.पी.सी. अधिनियम 2005 की धारा 14 के अंतर्गत अपनी जांच के बाद निष्कर्ष निकाला है कि देश में खाद्य कानूनों के तहत कोई भी पेय ‘स्वास्थ्य पेय’ या ‘हेल्दी ड्रिंक्स’ के रूप में परिभाषित
नहीं है।’’
‘रूह आफजा’ पर भी उठी अंगुली
एक मीडिया रपट के अनुसार हमदर्द कंपनी के उत्पाद ‘रूह आफजा’ मेें भी वे तत्व नहीं हैं, जिनके होने का दावा यह कंपनी करती है। ‘रूह आफजा’ की बोतल पर यह लिखा रहता है कि ‘इसमें 36 प्रकार के ताजे फलों के रस, मूल्यवान औषधीय पौधों और ताजे फूलों के अर्क को शामिल किया गया है।’ पर अब एक मीडिया रपट में आरोप लगाया गया है कि यह कंपनी भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और मध्य पूर्व में अपने लाखों ग्राहकों को झूठे दावों के जरिए धोखा दे रही है।
कुछ दिन पहले ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन (डी.एस.सी.सी.) ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों के हवाले से पत्रकारों को बताया है कि विज्ञापनों में उल्लिखित सामग्री ‘रूह आफजा’ में मौजूद नहीं है। ‘रूह आफजा’ के सेवन से लोगों, विशेषकर मधुमेह से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है। इससे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी नुकसान हो सकता है।
खबर यह भी थी कि बांग्लादेश में हमदर्द के प्रबंध निदेशक डॉ. हकीम मुहम्मद यूसुफ हारुन भुइयां ने उत्पाद के ऐसे गलत प्रचार के लिए लिखित में माफी मांगी है। ढाका स्थित स्थानीय दैनिक ‘कालबेला’ के अनुसार डॉ. हारुन ने इस मामले को पर्दे के पीछे रखने के लिए रिश्वत की कथित पेशकश की थी। ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन ने भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (ए.सी.सी.) और खाद्य विभाग को लिखित शिकायतें सौंपकर ऐसे गंभीर अपराध के लिए हमदर्द की प्रयोगशालाओं के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई करने की मांग की थी।
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