नई दिल्ली । कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य के सभी मुस्लिमों को आरक्षण का लाभ देने के लिए उन्हें पिछड़ा वर्ग में शामिल कर लिया है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के इस फैसले को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) हैरान है। पिछड़ा वर्ग आयोग ने कहा है कि कर्नाटक सरकार के इस फैसले ने अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों का हनन किया है। इस तरह वर्गीकरण सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है।
बीते सोमवार (22/04/2024) रात को एनसीबीसी ने बयान जारी कर कहा कि राज्य में मुस्लिमों की सभी जातियों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानकर राज्य में पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है। इससे उन्हें शिक्षण संस्थानों में दाखिले में और राज्य सेवाओं की भर्ती में आरक्षण का लाभ मिलेगा।
एनसीबीसी ने कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि सभी मुस्लिम समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का फैसला सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करेगा। आयोग ने कहा है कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों और समूहों को एक पूरे मजहब के स्तर पर नहीं देखा जा सकता। कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय की सभी जातियों और समूहों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े के रूप में दर्ज कर लिया गया है। यह सही नहीं है।
आयोग के मुताबिक इस वर्गीकऱण से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी 17 जातियों को कैटेगरी-1 और 19 जातियों को कैटेगरी-दो ए में आरक्षण की सुविधा मिल गई है। सिद्दरमैया सरकार ने अपने इस फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकार छीन लिए हैं।
बता दें कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के इस फैसले से स्थानीय निकाय चुनाव में मिलने वाले आरक्षण पर भी प्रभाव पड़ेगा। कर्नाटक में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए स्थानीय निकाय चुनाव में 32 प्रतिशत आरक्षण का दिया जाता है। राज्य में मुस्लिम जनसंख्या करीब 12.92 प्रतिशत है।
हालांकि, एनसीबीसी ने जोर दिया कि मुस्लिम समुदाय के भीतर वास्तव में वंचित और हाशिए पर रहने वाले लोग हैं, लेकिन पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़ा मानने से मुस्लिम समाज के भीतर विविधता की अनदेखी होती है।
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