बस्तर आपरेशन में 29 माओवादियों को मार गिराया गया। इसके लिए कब से तैयारी चल रही थी?
बस्तर के इस क्षेत्र में कांकेर, नारायणपुर और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की सीमाएं लगती हैं। इस इलाके में माओवादियों की सक्रियता बहुत ज्यादा रही है। कुछ दिन पहले वहां खूंखार माओवादियों के होने को लेकर सूचना प्राप्त हुई थी। इसके बाद हम लोगों ने 16 अप्रैल को आपरेशन शुरू किया। माओवादियों के साथ हुई पुलिस की मुठभेड़ में 29 माओवादी मारे गए। मारे गए लोगों के पास से काफी मात्रा में हथियार बरामद किए गए हैं। इसके बाद पुलिस ने पूरे इलाके में सर्च आपरेशन चलाया।
मारे गए माओवादियों का आपराधिक इतिहास क्या रहा है?
जितने भी नक्सली-माओवादी मारे गए हैं, वे सभी प्रतिबंधित माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख सदस्य एवं कमांडर थे। नक्सली घटनाओं में इनकी मुख्य भूमिका रहती थी। ये सभी गुटों में निचले स्तर से गुरिल्ला अनुभव लेते हुए शीर्ष तक पहुंचे थे। ये सभी माओवादी स्थानीय लोगों के लिए सिरदर्द बने हुए थे। स्थानीय लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाते रहते थे। सार्वजनिक संपत्ति और संसाधनों का भी नुकसान करते थे। ये माओवादी ग्रामीणों को डरा कर घटनाओं को अंजाम दिया करते थे। इन घटनाओं की चपेट में कई बार स्थानीय लोग भी आ जाते थे। मारे गए सभी माओवादियों के विरुद्ध 15-15 मामले दर्ज हैं। इन माओवादियों के कैडर के हिसाब से प्रशासन ने इनके विरुद्ध पांच लाख रु. से लेकर पच्चीस लाख रु. तक के ईनाम रखे थे।
पिछले चार महीने में 80 से ज्यादा नक्सली सुरक्षाबलों के आपरेशन में मारे जा चुके हैं। कुछ लोगों को आत्मसमर्पण भी कराया है। क्या अब जमीन पर इनकी पकड़ ढीली पड़ने लगी है?
हम यहां की जनता को विश्वास में लेकर मजबूती से कदम आगे बढ़ा रहे हैं। माओवादियों के पैरों के नीचे से जमीन खिसकती जा रही है। इनका सफाया करने में हम काफी हद तक सफल हो रहे हैं। अब माओवादियों को स्थानीय स्तर पर लोगों का समर्थन भी नहीं मिल रहा है। माओवादी इन्हें डराने-धमकाने की कोशिश करते हैं, लेकिन लोगों ने उनके असली चेहरे को पहचान लिया है। अब स्थानीय लोग ही चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी माओवादियों का खत्मा हो। युवा पीढ़ी भी चाहती है कि अब बस्तर को लोग माओवादियों के कारण नहीं, यहां की शांति के लिए जानें। बस्तर के आसपास तीन जिलों में माओवादी गतिविधियां समाप्ति की ओर हैं। जो थोड़ा-बहुत आतंक शेष है, उसको भी खत्म करने के प्रयास जारी हैं। इसके साथ ही, दंतेवाड़ा वगैरह में इनकी स्थिति कमजोर पड़ गई है। बस्तर के पश्चिम क्षेत्र में इनकी उपस्थिति कुछ ज्यादा है। कुल मिलाकर माओवादियों की हरकतों को समाप्त करने तैयारी हो रही है और कई क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति शून्य हो भी चुकी है।
माओवादियों के पास से ऐसे हथियार जब्त हुए हैं, जो हमारे देश में प्रतिबंधित हैं। ये हथियार उन्हें कौन दे रहा है?
इनके पास जो हथियार पकड़े गए हैं, उन्हें माओवादियों ने दूसरों से लूटा है। सुरक्षाबलों के शिविरों पर हमला कर वे हथियार लूटते हैं। उन्हीं से वे सुरक्षाबलों पर भी हमले करते हैं। इसके अलावा उनके पास से जो हथियार मिले हैं वे अमेरिका, जर्मनी इत्यादि देशों के हैं। इन सब पर सख्ती से नजर रखी जा रही है। इसमें काफी काम हो चुका है, थोड़ा बहुत शेष है, उसको भी जल्दी पूरा कर नक्सलियों और माओवादियों को पूर्णत: समाप्त कर दिया जाएगा।
क्या नक्सलवाद को बढ़ावा देने के लिए आईएसआई मदद करती है?
देखिए, चाहे नक्सली हों या माओवादी या फिर जिहादी, इन सबकी विचारधारा एक है। कुछ आतंकी संगठन निश्चित रूप से इन्हें मदद करते हैं, यह मैं मानता हूं। ऐसे में हम लोग समय-समय पर छानबीन करते हैं और उसी के आधार पर आगे की रणनीति तैयार करते हैं। इनकी नीति यह है कि ये लोग चुनी हुई सरकारों को अस्थिर कर जन प्रतिनिधियों को रास्ते से हटाते हैं, ताकि वे एक समानांतर सरकार चला सकें।
इस आपरेशन को लेकर स्थानीय लोगों का क्या मानना है?
माओवादी संगठन स्थानीय लोगों को डरा-धमका कर उनके बच्चों को अपने गुट में शामिल करता रहा है। इससे क्षेत्र में बहुत विक्षोभ पैदा हुआ है, लेकिन आज यहां की जनता अच्छी तरह से जान चुकी है कि सच क्या है। अभी जो माओवादियों के विरुद्ध कार्रवाई हुई है उससे जनता में एक सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई दे रही है। यहां की जनता विकास चाहती है।
देश के गृहमंत्री कहते हैं कि 3 साल के अंदर नक्सलवाद का इस क्षेत्र से पूर्ण सफाया करेंगे। आपका क्या कहना है?
हम तो चाहते हैं कि बस्तर क्षेत्र से नक्सलियों का पूरी तरह सफाया कर दें। इसी दिशा में हम लोग लगातार काम कर रहे हैं। जिस तरह से हमें सफलता मिल रही उससे यही लगता है कि हम बहुत जल्दी सभी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर माओवादियों को बस्तर एवं उसके आसपास के क्षेत्र से मिटा देंगे। स्थानीय लोगों की मदद से अब हमारा प्रयास पिछड़े क्षेत्रों तक भी पहुंच रहा है। अब हम इन क्षेत्रों में भी पुलिस चौकी, मोबाइल कनेक्टिीविटी उपलब्ध करा रहे हैं, ताकि जनता और प्रशासन के बीच नजदीकी आए। उम्मीद है कि बहुत जल्दी नक्सलवाद को समाप्त कर इस क्षेत्र में शांति बहाल कर दी जाएगी।
आप उन लोगों को क्या संदेश देंगे, जो इन हत्यारों को संरक्षण देते हैं?
देखा जाए तो 20 साल के अंदर इस क्षेत्र में लगभग 1,800 निर्दोष लोगों की जानें गई हैं। 1,200 से अधिक सुरक्षाकर्मी बलिदान हुए हैं। फिर भी जो लोग इस तरह के हिंसक संगठन को सहयोग देते हैं ऐसे लोगों पर भी हमारी नजर है। बहुत जल्दी ऐसे लोगों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बस्तर की जनता को भी हम यह संदेश देना चाहते हैं कि इस क्षेत्र में शांति स्थापित करना हम सबकी जिम्मेदारी है। इसके लिए शासन-प्रशासन, सुरक्षा बलों के साथ-साथ स्थानीय जनता को भी एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी होगी।
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