Dhar Bhojshala: ASI ने कोर्ट से सर्वे के लिए 8 सप्ताह का और समय मांगा, कहा-प्रकृति को समझने में लग रहा समय
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Dhar Bhojshala: ASI ने कोर्ट से सर्वे के लिए 8 सप्ताह का और समय मांगा, कहा-प्रकृति को समझने में लग रहा समय

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने पहले से ही ASI सर्वे और भोजशाला विवाद की सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख तय की थी। उम्मीद है कि एएसआई की ताजा अर्जी पर भी सुनवाई हो सकती है।

by Kuldeep singh
Apr 23, 2024, 09:27 pm IST
in मध्य प्रदेश
Dhar Bhojshala was a saraswati Temple says KK Muhammad

धार भोजशाला का एक दृश्य (फोटो साभार: HT)

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मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वे कर रही है। अब तक के एएसआई सर्वे से इतना तो स्पष्ट हो चुका है कि भोजशाला कोई मस्जिद नहीं, बल्कि सरस्वती मंदिर था। ASI लगातार इसका सर्वे कर रहा है। करीब एक माह से चल रहे सर्वे के बीच जांच एजेंसी ने हाई कोर्ट से परिसर से प्राप्त हुई संरचनाओं की प्रकृति को समझने के लिए और 8 सप्ताह की मोहलत मांगी है।

दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने पहले से ही ASI सर्वे और भोजशाला विवाद की सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख तय की थी। उम्मीद है कि एएसआई की ताजा अर्जी पर भी सुनवाई हो सकती है। उल्लेखनीय है कि 11 अप्रैल को इंदौर खंडपीठ के आदेश दिया था, जिसके बाद 22 मार्च से ASI ने ऐतिहासिक भोजशाला का सर्वे स्टार्ट किया था। ये सर्वे फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर किया जा रहा है।

इसे भी पढ़ें: मुफ्तखोरी देश को कमजोर बनाती है, PM पद के लिए वोट करें, राष्ट्र के लिए करें वोट 

अब अपनी नई एप्लीकेशन में ASI ने कहा है कि भोजशाला विस्तृत सर्वेक्षण प्रगति पर है। वैज्ञानिक उपकरणों के जरिए इसका सर्वे किया जा रहा है। लेकिन, सर्वेक्षण का कार्य बहुत ही व्यवस्थित और धीमी प्रक्रिया है। इस कारण से इसे पूरा करने के लिए और अधिक समय की जरूरत है। पुरातत्व विभाग का कहना है कि प्रवेश द्वार के बरामदे में भराव करके इसकी संरचना की मूल विशेषताओं को छिपाया जा रहा है।

भोजशाला मस्जिद नहीं मंदिर है

भोजशाला ही ‘सरस्वती मंदिर’ था। इस बात का दावा पूर्व पुरातत्वविद के के मुहम्मद कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि भोजशाला, जिसे मुस्लिम पक्ष ‘कमल मस्जिद’ असल में वो कोई मस्जिद नहीं, बल्कि सरस्वती मंदिर था। लेकिन बाद में इस्लामवादियों ने इस्लामी इबादतगाह में बदल दिया।

केके मुहम्मद का कहना था कि धार स्थित भोजशाला के बारे में ये ऐतिहासिक तथ्य है कि ये सरस्वती मंदिर ही था। बाद में इसे मस्जिद बनाया गया। केके मुहम्मद पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देते कहते हैं कि इस कानून के तहत किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति आधार वर्ष 1947 निर्धारित है। उस वर्ष में अगर ये एक मंदिर था तो ये मंदिर ही रहेगा और अगर ये मस्जिद था तो ये मस्जिद ही रहेगा।

इसके साथ ही पूर्व पुरातत्वविद ने हिन्दुओं और मुसलमानों से कोर्ट के फैसलों का सम्मान करने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि हिन्दू समुदाय लगातार ये दावा करता आ रहा है कि यहां पर कोई मस्जिद कभी थी ही नहीं, बल्कि ये मां सरस्वती का मंदिर था।

बाबरी ढांचे के नीचे की थी राम मंदिर की पुष्टि

गौरतलब है कि पद्म पुरस्कार से सम्मानित केके मुहम्मद वही पुरातत्व विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने अयोध्या में कथित बाबरी ढांचे के नीचे राम मंदिर के अवशेषों के होने का पता लगाया था। वह 1976-77 में प्रोफेसर बीबी लाल के नेतृत्व में खुदाई टीम का हिस्सा थे।

 

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