वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के जरिए फैलने वाली एक खतरनाक बीमारी है ‘मेनिनजाइटिस’, जिसे आम भाषा में दिमागी बुखार भी कहा जाता है। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि कुछ मामलों में लक्षण दिखने के कुछ घंटे में ही मरीज की जान जा सकती है। यही कारण है कि दिमागी बुखार होने पर इसका तुरंत इलाज बेहद जरूरी है अन्यथा मामला गंभीर हो सकता है और मरीज की मौत भी हो सकती है। मेनिनजाइटिस को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को ‘विश्व मेनिनजाइटिस दिवस’ मनाया जाता है। यह एक वायरल संक्रामक रोग है लेकिन यह जीवाणु अथवा फंगल संक्रमण के कारण भी हो सकता है, जो लोगों के एक-दूसरे के निकट सम्पर्क में रहने से फैलता है। यह बीमारी मरीज के खांसने, छींकने और खाने के माध्यम से आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है और किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है। इसीलिए मेनिनजाइटिस दिवस के अवसर पर टीकाकरण पर विशेष जोर दिया जाता है। दरअसल यह ऐसी बीमारी है, जिसके विकसित किए गए टीके इसके जीवाणु को रोकते हैं। वैसे भी संक्रामक रोगों को रोकने के लिए टीकाकरण अभी भी सबसे प्रभावकारी तरीका है। इसीलिए इस बीमारी से बचाव के लिए बच्चों को बचपन में ही मेनिनजाइटिस के टीके लगाए जाते हैं।
मेनिनजाइटिस बीमारी एक प्रकार का संक्रमण है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की रक्षा करने वाले मेम्ब्रेन में सूजन पैदा कर देता हैं। इसीलिए इस बीमारी को मेम्ब्रेन मेनिन्जेस भी कहते हैं। यह बीमारी सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को ही होती है। मेनिनजाइटिस ब्रेन में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की सुरक्षात्मक झिल्लियों (मेनिन्जेस) की सूजन का कारण बनती है। टिश्यू की ये परतें मस्तिष्क को ढ़कती हैं और इसे कपाल की हड्डियों और रीढ़ की हड्डी, वर्टिब्र से अलग करती हैं। जब मेनिन्जेस सूज जाते हैं तो वे दूसरे अंगों को दबाते हैं। यह रोग के लक्षण का कारण बनता है। मेनिनजाइटिस मेनिन्जेस में शुरू होता है और यह सेप्सिस में बदल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। मेनिनजाइटिस बीमारी में मृत्यु दर करीब दस फीसदी है अर्थात् प्रत्येक 100 में से 10 मरीजों की मौत हो जाती है। हालांकि स्पेनिश बाल चिकित्सा एसोसिएशन का मानना है कि 30 फीसदी से भी ज्यादा लोग नहीं जानते कि मेनिनजाइटिस को रोका जा सकता है। मेनिनजाइटिस को खतरनाक रोग माना जाता है क्योंकि शरीर पर इसके कई हानिकारक प्रभाव देखने को मिलते हैं लेकिन बीमारी के लक्षणों को शुरूआत में ही पहचानकर इसका इलाज करा लेने से मेनिनजाइटिस के रोगी को ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि बुखार अथवा शरीर दर्द जैसे लक्षणों को सामान्य समस्या समझकर नजरअंदाज करने के बजाय अपने चिकित्सक से सम्पर्क कर आवश्यक जांच कराएं। इसके अलावा घर में छोटे बच्चों सहित सभी सदस्यों को मेनिनजाइटिस का टीका अवश्य लगवाएं।
मेनिनजाइटिस के टीके इस बीमारी के मुख्य जीवाणुओं हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी, मेनिंगोकॉकस और न्यूमोकॉकस को रोक सकते हैं। हालांकि टीके से बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस की रोकथाम होती है, जो ज्यादा खतरनाक होता है। वायरल मेनिनजाइटिस, बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस की तुलना में कम गंभीर होता है। सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली वाले अधिकांश व्यक्ति, जो वायरल मेनिनजाइटिस से पीड़ित हैं, प्रायः इलाज के बिना भी ठीक हो सकते हैं जबकि फंगल मेनिनजाइटिस संक्रमण केवल कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित करता है। मेनिनजाइटिस को खतरनाक रोग इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इससे शिशु का दिमाग अविकसित या अल्प विकसित हो सकता है, छोटे बच्चों को सीखने में परेशानी हो सकती है। रोगी की याद करने की क्षमता खत्म हो सकती है और सुनने की क्षमता भी सदा के लिए जा सकती है। इस बीमारी में किडनी फेल होने का भी खतरा रहता है और कुछ मामलों में व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।
मेनिनजाइटिस के लक्षणों की बात करें तो अचानक तेज बुखार आना, सामान्य से थोड़ा अलग सिरदर्द होना, धुंधला दिखना, सिरदर्द के साथ उल्टी अथवा मितली, बेचैनी, मांसपेशियों तथा शरीर के सभी बाहरी हिस्सों में कमजोरी महसूस होना, पेट तथा जोड़ों में दर्द, गर्दन, पीठ व कंधों में अकड़न होना, नींद न आने की समस्या, किसी कार्य में ध्यान लगाने में परेशानी, भूख-प्यास कम लगना, तेज रोशनी से परेशानी होना, त्वचा पर लाल चकत्ते होना दिमागी बुखार के प्रमुख लक्षण हैं। शिशुओं के मामले में तेज बुखार, शिशु का लगातार रोना, शिशु को अत्यधिक नींद आना या चिड़चिड़ापन लगना, सुस्ती और थकान, खाना-पीना छोड़ देना या दूध न पीना, बच्चे के सिर के हिस्से में उभार आना, शिशु के शरीर और गर्दन का अकड़ जाना, मायूस रहने लगना छोटे बच्चों में दिमागी बुखार के लक्षण हैं। अगर इस प्रकार के लक्षण नजर आएं तो तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए ताकि समय रहते उचित इलाज संभव हो सके। दिमागी बुखार की पहचान रक्त जांच, एक्स-रे और सीटी स्कैन के माध्यम से की जा सकती है।
गर्भावस्था के दौरान मेनिनजाइटिस से बचाव के लिए महिलाओं को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होती है। इस बीमारी से बचने के लिए अपने आसपास सफाई का पर्याप्त ध्यान रखें, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर कम जाएं और खांसते या छींकते समय मुंह पर रूमाल रखें। जिस व्यक्ति को पहले से बुखार है, उसके सम्पर्क में आने से यथासंभव बचें। मेनिनजाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को खाना देने के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं। विशेष रूप से बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस काफी गंभीर किस्म की बीमारी है, जो बहुत घातक हो सकती है। इसका इलाज यदि समय से नहीं कराया जाए तो इससे मस्तिष्क की क्षति के अलावा कुछ मामलों में मरीज की मृत्यु की संभावना भी रहती है। इसलिए अगर उपरोक्त लक्षण नजर आएं तो उन्हें नजरअंदाज करना उचित नहीं।
टिप्पणियाँ