पाकिस्तान में आए दिन हिन्दू और ईसाई महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार या फिर कहें कि जबरन निकाह आदि के मामले आते रहते हैं। मगर पाकिस्तान की ओर से हिन्दू और ईसाई लड़कियों के साथ होने वाले इस अत्याचार पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है, बल्कि इन मामलों को दबाकर नकारा जाता है। परंतु अत्याचार छुपाए नहीं छिपता है और दर्द सही मंच तक पहुंचता ही है। पाकिस्तान में हिन्दू और ईसाई महिलाओं पर हो रहे इन अत्याचारों को लेकर अब संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेषज्ञों ने पाकिस्तान की निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि पाकिस्तान में गैर मुस्लिम महिलाओं के साथ जबरन निकाह के मामलों में कुछ नहीं हो रहा है।
इस्लामिक देश में अल्पसंख्यक महिलाओं और लड़कियों की रक्षा के अभाव के विषय में असंतोष व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “हिन्दू और ईसाई लड़कियों पर धार्मिक मतांतरण, अपहरण, तस्करी, बाल, जल्दी एवं जबरन निकाह, घरेलू नौकरानी बनाने एवं यौन हिंसा के खतरे बहुत अधिक हैं। यह भी कहा गया कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के साथ होने वाले इस व्यवहार को किसी भी प्रकार से न ही सही ठहराया जा सकता है और न ही सहन किया जा सकता है।”
संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर उपस्थित वक्तव्य में लिखा है कि विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों और महिलाओं के साथ जबरन निकाह और मतांतरण होता है और उसे अदालतों द्वारा सही भी ठहराया जाता है और उसके बाद मजहबी कानून के अनुसार लड़कियों को उनके अपहरणकर्ता के पास भेज दिया जाता है और उनके अभिभावकों के पास नहीं जाने दिया जाता है। इसमें यह भी कहा गया है कि पुलिस आम तौर पर यह कहकर मामले को दबा देती है कि अपनी मर्जी से लड़के और लड़की ने शादी कर ली है।
विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि किसी भी महिला का यह अधिकार होता है कि वह अपने मन से अपने जीवनसाथी का चयन कर सके और अपना जीवन सम्मान और समानता के साथ जी सके और इसकी रक्षा कानून द्वारा होनी चाहिए।
दो मामलों का उल्लेख इसमें किया गया है, जिसमें एक 13 वर्षीय लड़की स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही है और उसका बनूक की नोक पर अपहरण कर लिया जाता है और फिर उसका यौन उत्पीड़न होता है। यह घटना वर्ष 2022 की है और उसका इस्लाम में जबरन मतांतरण किया जाता है तथा साथ ही अपने अपहरण करने वाले से उसे निकाह करना पड़ता है। ऐसी ही वर्ष 2024 में एक ईसाई लड़की के अपहरण और अपहरण करने वाले के साथ धर्मतान्तरण के बाद निकाह किया गया है। इसमें हालांकि लड़की की उम्र कथित रूप से 18 वर्ष की थी। इस वक्तव्य मे पाकिस्तान की सरकार से यह भी कहा गया है कि वह जबरन मतांतरण पर रोक लगाए।
इसे भी पढ़ें: Iran पर इजरायली हमले को लेकर बोला अमेरिका, कहा-‘हम इजरायल की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध’
पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों का अपहरण बहुत ही आम बात है और सबसे दुखद बात यही है कि लड़कियों को जब्त किये जाने के बाद भी उन्हें परिवार को नहीं सौंपा जाता है। जब यह रिपोर्ट आई है, उस समय पाकिस्तान में एक हिन्दू बच्ची प्रिया के दो साल पहले हुए अपहरण को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 7 वर्षीय प्रिया का अपहरण तब हो गया था जब उसके पिता मुहर्रम पर शर्बत पिला रहे थे और वह उनकी सहायता कर रही थी। वह ऐसी जगह से गायब हुई थी, जहां पर हजारों लोग इकट्ठा थे, मगर पुलिस को उसके अपहरण को लेकर कोई भी जानकारी या सबूत नहीं मिल सका था। आज दो साल हो गए हैं और लोगों का धैर्य जबाव दे रहा है। प्रिया को लेकर अभी तक प्रदर्शन हो रहे हैं।
These voices won't be stopped. #BringBackPriyaKumaripic.twitter.com/5uaPv4i6ys
— Jassi Sharma (@SaffronSharma_) April 1, 2024
प्रिया जैसी न जाने कितनी कहानियाँ पाकिस्तान की जमीन में दफन हैं। हिन्दू लड़कियों के लिए पाकिस्तान सुरक्षित नहीं हैं। जीवनसाथी चुनने के उनके मूल अधिकार का हनन लगातार हो रहा है। जो हिन्दू अपनी जान और सम्मान बचाकर किसी प्रकार से भारत आ गए हैं, वे उन अत्याचारों के विषय में खुलकर बताते हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान की शिक्षा प्रणाली में किस प्रकार हिंदुओं के खिलाफ जहर भरा जाता है, वाब भी किसी से छिपा नहीं है। यह देखना होगा कि पाकिस्तान इस वक्तव्य पर क्या कदम उठाता है।
क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के धार्मिक अधिकारों को लेकर निंदा प्रस्ताव पारित किया हो। वर्ष 2023 में भी जनवरी में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं और लड़कियों के जबरन मतांतरण और निकाह को लेकर चिंता व्यक्त की थी। पिछले वर्ष भी पाकिस्तान सरकार से यह अनुरोध किया गया था कि वह अल्पसंख्यक महिलाओं और लड़कियों के साथ हो रही ज्यादतियों को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए।
परंतु पाकिस्तान ने पिछले वर्ष भी इसे अनदेखा ही किया था, क्योंकि यदि अनदेखा नहीं किया होता तो प्रिया कुमारी मिल गई होती, यदि प्रिया कुमारी के अपहरण के दो वर्ष बाद भी उसे वापस लाने के लिए विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान शायद असलियत देखना ही नहीं चाहता है। या फिर देखता है, समझता है और नकार रहा है।
टिप्पणियाँ