अहमदाबाद के वस्त्रापुर विस्तार की इंडियन ओवरसीज बैंक के साथ गंभीर विश्वास घात और भ्रष्टाचार कर बैंक की आर्थिक निधि को नुकसान करने के केस में गुजरात की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस केस में आरोपी आईओबी के पूर्व सीनियर मैनेजर महिला को सात साल की सजा और 15 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है।
गुजरात में यह पहला मामला है जिसमें किसी वित्तीय घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने इतनी कड़ी सजा दी है। यह वित्तीय घोटाला साल 2000 में इंडियन ओवरसीज बैंक के साथ किया गया था। आईओबी के पूर्व सीनियर मैनेजर प्रीति विजय साहिजवानी ने फर्जी लोगों के नाम पर फर्जी डिपॉजिट रिसिप्ट बनाकर फर्जी सुरक्षा दस्तावेज के आधार पर लोन दे दिए थे। आश्चर्य की बात यह है कि कर्ज के दस्तावेज तैयार करने वाले भी आरोपी ही थे और कर्ज को मंजूर करने वाले भी आरोपी ही थे। फर्जी लोग अकाउंट का संचालन करते थे। इस तरह से आरोपियों ने ऋण की रकम का गबन कर लिया। साल 2000 में यह घोटाले किए गए और 2001 तक 1.32 करोड़ से ज्यादा की रकम बैंक में वापस जमा नही कराई।
इसके अलावा पूर्व सीनियर मैनेजर प्रीति साहिजवानी ने बैंक के ग्राहक दक्षा और नरेंद्र पटेल की एफसीएनआर डिपॉजिट की रकम अलग-अलग तारीखों पर समय से पहले निकाल ली थी। यह निकाली गई रकम दक्षा और नरेंद्र पटेल के अकाउंट में जमा करने के बजाय फर्जी अकाउंट मीरा और लाल कुंदनानी के खाते में जमा कर दी गई और ऐसे पूर्व सीनियर मैनेजर ने ग्राहकों की आर्थिक निधि का भी निजी इस्तेमाल किया।
इस प्रकार पूर्व सीनियर मैनेजर ने बैंक और ग्राहक दोनों के साथ गंभीर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार किया। बैंक और ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करने के बाद पूर्व सीनियर मैनेजर प्रीति साहिजवानी 12 साल तक विदेश में फरार थी। उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बारे में जानकारी होने के बावजूद भी वह कोर्ट के सामने पेश नहीं हो रही थी। आखिरकार प्रत्यार्पण प्रक्रिया के माध्यम से उन्हें भारत लाया गया।
इस ऐतिहासिक फैसले में सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने कहा कि आरोपी मैनेजर ने 1.94 करोड़ से भी ज्यादा रकम का निजी इस्तेमाल किया। जब यह गुनाह किया गया तब 2001 का साल था और अब 2024 चल रहा है। आरोपी खुद बता रही है कि उस वक्त बैंक का लोन ब्याज दर 17 फीसदी था। उस ब्याज दर पर अगर ब्याज की गिनती की जाए तो आज का मूल्य 84 करोड़ 17 लाख से भी ज्यादा हो रहा है। आरोपी ने शेयर मार्केट में भी बड़े पैमाने पर निवेश किया हुआ है जिसको ध्यान में लेते हुए आरोपी को सजा के साथ-साथ बड़ी रकम का जुर्माना लगाना भी जरूरी है। जिसके चलते सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने आईओबी की पूर्व सीनियर मैनेजर प्रीति विजय साहिजवानी को सात साल की कैद और 15 करोड़ का जुर्माना लगाया है।
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