भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में मजहबी कट्टरपंथी जमातों, विशेषकर विपक्षी दल बीएनपी और जमाते इस्लामी के भारत विरोधी अभियान की हवा निकल गई है। इसके तहत ‘भारत के बहिष्कार’ का राग अलापा था लेकिन पता चला है कि इस राग को अब वे अकेले ही गा रहे हैं। उन्हें देशवासियों का समर्थन नहीं मिल रहा है।
भारत विरोधी इस अभियान के तहत पड़ोसी हिन्दू बहुल देश की तरक्की से चिढ़े इस्लामवादियों ने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया था, लेकिन यह मुहिम अपनी मौत मरती दिखाई दे रही है। वहां भारत के विरुद्ध लक्षित इस अभियान को हसीना सरकार ने ही बयान दिया था और कहा था कि भारत से उत्पाद न लेना देश की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त झटका लगा सकता है। इसके साथ ही, आम बांग्लादेशी भी संभवत: कट्टर तत्वों के झांसों में नहीं आ रहे हैं। इसका सबूत पिछले सप्ताह भारत आए बांग्लादेशी पर्यटकों की संख्या से लग जाता है। आंकड़े बताते हैं कि गत सप्ताह करीब डेढ़ लाख बांग्लादेशी भारत घूमने आए थे।
इस संबंध में एक अन्य आंकड़े के अनुसार, भारत और बांग्लादेश सीमा से प्रतिदिन 10 से 12 हजार बांग्लादेशी भारत में आए हैं। पाठकों को ध्यान होगा कि सागर में टापू देश मालदीव ने भी भारत विरोधी बयानबाजी करके अपने यहां भारत विरोधी माहौल बनाने की कोशिश की थी। ठीक वैसे ही पड़ोसी इस्लामी देश में कट्टरपंथी जमातों ने चिढ़कर या कथित बाहरी ताकत के इशारे पर अपने यहां लोगों से भारतीय उत्पादों को न खरीदने का आह्वान किया था, लेकिन मालदीव की तरह बांग्लादेश में भी इस प्रकार की चालें काम नहीं आई हैं।
दरअसल भारत आज वह देश है जिनके सामने बांग्लादेश और मालदीव की आर्थिक स्थिति कहीं टिकती नहीं है। विश्व में आज हर महत्वपूर्ण मंच पर भारत के प्रधानमंत्री को आमंत्रित कर विभिन्न विषयों पर उनके विचार जानने और मानने की आतुरता रहती है। इसलिए दुनिया में आज, निहित स्वार्थि तत्वों की बात छोड़ दें तो भारत के प्रति लोगों के मन में सम्मान बढ़ा है।
मोदी सरकार के अंतर्गत भारत पड़ोसी देशों के साथ संबंध मधुर बनाने का पैरोकार रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना को ईद की बधाई भेजी थी। भारत के विदेश विभाग के सूत्र बताते हैं कि अभी ईद आने से बहुत पहले से बांग्लादेश से वीजा मांगने वालों की संख्या बढ़ती देखी गई थी। बांग्लादेश के ढाका, चटगांव और राजशाही में कार्यरत भारतीय मिशन कार्यालय इस मांग को देखते हुए रात—दिन काम में जुटे रहे थे।
बांग्लादेशी पर्यटकों का इतनी बड़ी संख्या में भारत आना उनके देश में भारत विरोधी इस अभियान की कलई खोल देता है। भारत के आप्रवासन ब्यूरो का कहना है कि अकेले 8 से 14 अप्रैल के मध्य प्रतिदिन 10 से 12 हजार बांग्लादेशी लोग सीमा पार करके भारत आए हैं। यह एक प्रकार से रिकार्ड बनना भी कट्टर मजहबी तत्वों की नींद उड़ाए हुए है। हजारों बांग्लादेशी गत सप्ताह कोलकाता, मुंबई, दिल्ली और चेन्नै जैसे महानगरों में घूमने आ रहे हैं।
पड़ोसी बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग मेडिकल जांच आदि, पर्यटन, खरीदारी वगैरह के लिए भारत के विभिन्न स्थानों में आते हैं। वहां के अंग्रेजी अखबार ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट है कि भारत ने यहां तक कहा है कि पहले कभी सात दिनों के अंतराल में इतनी बड़ी तादाद में बांग्लादेशी लोग भारत नहीं आए हैं। अखबार कहता है कि बांग्लादेश में ऑनलाइन उपभोक्ताओं और नेताओं के चलाये ‘इंडिया आउट कैंपेन’ को देखते हुए पर्यटकों की यह संख्या हैरान करने वाली है।
मोदी सरकार के अंतर्गत भारत पड़ोसी देशों के साथ संबंध मधुर बनाने का पैरोकार रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना को ईद की बधाई भेजी थी। भारत के विदेश विभाग के सूत्र बताते हैं कि अभी ईद आने से बहुत पहले से बांग्लादेश से वीजा मांगने वालों की संख्या बढ़ती देखी गई थी। बांग्लादेश के ढाका, चटगांव और राजशाही में कार्यरत भारतीय मिशन कार्यालय इस मांग को देखते हुए रात—दिन काम में जुटे रहे थे।
टिप्पणियाँ