इलाहाबाद हाई कोर्ट का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट करने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में ही एक याचिका दायर की गई है। ये जनहित याचिका दीपांकर कुमार नाम के व्यक्ति ने दायर की है।
पीआईएल दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता दीपांकर कुमार पेशे से वकील हैं और उन्होंने ये याचिका वकील अशोक कुमार के जरिए दायर की है। याचिका में उनका कहना है कि जिस शहर में उच्च न्यायालय की स्थापना हुई थी, उसके नाम पर उच्च न्यायालय का नाम रखने की प्रथा अंग्रेजों ने शुरू की थी। लेकिन स्वतंत्र भारत में इस तरह की प्रथा नहीं जारी रहनी चाहिए। खासकर भारतीय संविधान को अपनाने के बाद।
अपनी याचिका में दीपांकर कुमार कहते हैं देश के सभी हाई कोर्ट संविधान की देन हैं, न कि किसी आक्रमणकारी, ब्रिटिश सरकार के द्वारा बनाए गए किसी कानून या चार्टर की देन हैं। ऐसे में ये सरकार का कर्तव्य था कि संविधान के अस्तित्व में आने के बाद इसका नाम बदलना चाहिए था। क्योंकि अधिकतर राज्यों के हाई कोर्ट के नाम उस राज्य के नाम पर हैं।
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इसलिए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार और अन्य संबंधित प्राधिकारियों को सभी अधिसूचनाओं, संचार, निर्णयों, आदेशों और डिक्री में इलाहाबाद उच्च न्यायालय को “उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय” के रूप में संदर्भित करने का निर्देश दे। इसके साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय नियम 1952 का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय नियम करने की मांग भी की गई है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट नाम से होता है भ्रम
याचिकाकर्ता का तर्क है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के सही नाम को लेकर अस्पष्टता है। इस कारण वकीलों, लोगों, अधिकारियों और जजों के साथ ही अदालत रजिस्ट्री के अधिकारियों के बीच भ्रम की स्थिति को पैदा कर दिया है। ऐसे में इसके नाम को बदला जाना चाहिए।
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