लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की विदेश नीति के समझ पर प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी वह नेता हैं, जो कि जब विदेशों के दौरे पर होते हैं तो वहां वह चीन की तारीफ में कसीदे पढ़ते हैं और भारत में होते हैं तो चीन का मुद्दा उठाते हैं। ये कांग्रेसियों की आदत है।
चीन द्वारा भारत की जमीन पर अतिक्रमण के मुद्दे पर विदेशमंत्री कहते हैं कि अब देश को खासतौर पर युवाओं को ये जानने और समझने की जरूरत है कि वर्ष 1950 में चीन के बारे में किस तरह की नीति अपनायी जाए इसको लेकर विचार विमर्श हुआ था। उस दौरान तब के केंद्रीय गृहमंत्री सरदार पटेल ने पंडित नेहरू को एक पत्र लिखकर चीन की मंशा पर सवाल उठाए थे। उन्होंने स्पष्ट बताया था कि चीन की चाल हमारे बारे में सकारात्मक नहीं है। भारत के लिए दो फ्रंट खतरा हैं। एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन।
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सरदार पटेल ने 1950 में ही नेहरू से ‘टू फ्रंट वॉर’ के हिसाब से तैयारी करने का सुझाव दिया था। लेकिन नेहरू का कहना था कि सरदार पटेल का चीन को लेकर शक बेबुनियाद है। जयशंकर कहते हैं कि पंडित नेहरू को लगता था कि हिमालय पार करके चीन हमला करेगा ये असंभव है, लेकिन 12 वर्ष बाद 1962 में चीन ने हमला कर दिया। अक्साई चिन हमारे हाथ से गया।
नेहरू पीओके के मुद्दे को यूएन ले गए
इसके साथ ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानि कि पीओके के मुद्दे पर बात करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि आज देश में पीओके पर बात होती है। एक वक्त ऐसा भी था कि लोग पीओके को भूल गए थे। ये बात युवाओं को पता होनी चाहिए कि पीओके के मामले को पंडित नेहरू संयुक्त राष्ट्र लेकर गए। हम क्यों यूएन गए, यूएन ने हमें धोखा दिया। सरदार पटेल के मना भी किया, क्योंकि उन्हें पता था कि यूएन पाकिस्तान का पक्षधर है। बावजूद इसके नेहरू घर की लड़ाई को बाहर ले गए।
DMK के दोगलेपन की पोल खोली
कच्चातिवु द्वीप को लेकर विवाद के बीच आज तक से बात करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डीएमके की दोमुंही बातों की पोल खोल दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब 1974 में भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा तय की गई थी, तब कच्चातिवु द्वीप उसके हिस्से में चला गया। लेकिन तब के विदेश मंत्री ने ये स्पष्ट कहा था कि इससे हमारे फिशरमैनों के हक में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। लेकिन, इसके ठीक 2 साल बाद उन्होंनें एक और समझौता किया और भारतीयों को वहां जाने से मना कर दिया गया। अब डीएमके कहती है कि उसे इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है।
विदेशमंत्री ने कहा कि डीएमके कमरे के अंदर कुछ और होती है और संसद में कुछ और बोलती है। ये लोग लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
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