भगवान बद्री विशाल के कपाट खुलने से पहले टिहरी दरबार से जाएगा तेल का कलश

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दिनेश मानसेरा

गाढ़ूघड़ा यात्रा 25 अप्रैल से टिहरी राज दरबार से शुरू होगी, रानी माला राज लक्ष्मी के साथ क्षेत्र की दुल्हनें इस कलश यात्रा को हरी झंडी दिखा कर रवाना करेंगी। इन दिनों टिहरी रियासत के राजमहल और दरबार में तिल से तेल निकालने का काम चल रहा है। परंपरा के अनुसार, यहां तिल का तेल दरबार से पिरोया जाता है और कलश में भरा जाता है, इस तेल में से लगभग पांच किलो भगवान बद्री विशाल के विग्रह रूप को श्रृंगार के लिए चढ़ाया जाता है। राज दरबार में एकत्र सुहागिन महिलाएं, बसंत पंचमी के दिन से पीले वस्त्र पहन कर तिल को कूट कूट कर तेल निकालने की परंपरा का निर्वाह करती हैं।

श्री बद्रीश डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि 25 अप्रैल को नरेंद्र नगर दरबार से गाढ़ूघड़ा यात्रा को महारानी रवाना करेंगी जो उसी दिन ऋषिकेश पहुंच जाएगी। 28 अप्रैल को ये यात्रा डिमर ग्राम में पहुंचेगी। इसके बाद ये यात्रा परंपरा का अनुसरण करते हुए 7 मई को लक्ष्मी नारायण मंदिर, 9 मई को नरसिंह मंदिर जोशीमठ में पहुंचेगी। 10 मई को आदि शंकराचार्य गद्दी स्थल पहुंचेगी,बद्रीनाथ धाम के रावल, धर्माधिकारी, वेद पाठी के सानिध्य में ये यात्रा बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करते हुए 11 मई को बद्रीनाथ धाम पहुंचेगी, अगले दिन 12 मई को भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के वक्त ये तेल कलश वहां श्रृंगार के लिए अर्पित कर दिया जाएगा।

उत्तराखंड सरकार 15 अप्रैल से बद्री केदार और अन्य धामों की यात्रा के लिए पंजीकरण पोर्टल खोल रही है। तीर्थयात्रियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है ताकि उन्हें धाम की यात्रा के दौरान किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े, साथ ही राज्य सरकार को भी तीर्थयात्रियों की संख्या और उनके लिए की जा रही व्यवस्थाओं के कारण कोई समस्या न हो।

पिछले साल रिकार्ड संख्या 52 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने चारधाम के दर्शन किए थे। उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र की इकॉनमी चारधाम धाम यात्रा पर ही टिकी हुई है। यात्रा सीजन चलने से ही पर्यटन तीर्थाटन से जुड़े लोगो को अगले छ सात माह तक रोजगार मिलता रहता है, शरद काल में कपाट बंद हो जाने से यात्रा बंद रहती है जिसका असर आर्थिकी पर पड़ता है। अब मोदी सरकार की आल वेदर रोड योजना पूरी हो जाने के बाद बद्री केदार के शीतकालीन प्रवास स्थलो तक तीर्थ यात्रा सुगम हो जाने से यहां तीर्थ यात्रियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है।

 

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