भीख मांगने को मोहताज जिन्ना के कंगाल इस्लामी देश के प्रधानमंत्री का सऊदी अरब जाकर भीख के लिए गिड़गिड़ाना आखिर काम आया। रहम खाते हुए सऊदी अरब के शाहों ने पाकिस्तान के कटोरे में 2 अरब डॉलर डाल ही दिए। रोटी को तरसते देश को तिनके का सहारा मिला है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ अभी तीन दिन के लिए सऊदी अरब होकर आए हैं। वहां उन्होंने मक्का, मदीना जाने के अलावा हुकूमत के सामने अपने देश में ‘निवेश’ को लेकर हाथ पसारे। इसी पर शायद तरस खाते हुए वहां के हुक्मरानों ने जिन्ना के इस्लामी देश को मामूली ही सही, कुछ धनराशि तो दे ही दी है।
आखिर यह पैसा दिया किस मद में गया है, क्योंकि ‘तरस खाकर दिया’ जैसे शब्द तो पाकिस्तानी सरकार इस्तेमाल नहीं करेगी, इसलिए आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि 2 अरब डॉलर सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ एक ‘बड़ा समझौता’ करने के बदले दिए हैं। यानी स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान में जमा सऊदी अरब के पैसे को बढ़ाकर 2 अरब डॉलर तक करने का आदेश दिया गया है। पहले के पैसे को मिलाकर अब सऊदी अरब का बैंक में जमा पैसा 3 से 5 अरब डॉलर तक हो जाएगा।
इस बाबत सऊदी अरब होल्डिंग कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद अलकहतानी ने बताया है। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के सऊदी अरब दौरे और युवराज मोहम्मद बिन सलमान के साथ उनकी बातचीत के बाद, दोनों देश अपनी योजना के 5 अरब डॉलर में वृद्धि के लिए राजी हुए हैं।
गत सोमवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शरीफ सऊदी अरब से यही पैसा मांगने गए थे। उसी योजना के तहत उस दिन मक्का में शाहबाज शरीफ तथा युवराज के बीच समझौता हुआ था। बातचीत के बाद इस्लामाबाद और रियाद से एक संयुक्त वक्तव्य जारी हुआ था। बयान था कि दोनों नेताओं ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सऊदी अरब की मदद, कारोबार और निवेश के क्षेत्र में संबंध आगे ले जाने पर बात की। कहा गया कि दोनों पक्ष 5 अरब डॉलर के निवेश पैकेज की पहली खेप को तेजी से पूरा करने को तैयार हुआ।
सीईओ अलकहतानी का कहना है कि दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में नई तेल रिफाइनरी और तांबे की खदानों में पैसा लगाने की बात है। उनका कहना था कि वैसे इस संबंध में पहले ही व्यापक समझौते हो चुके हैं, नेताओं की बातचीत उन्हीं से जुड़ी थी। सऊदी अरब पाकिस्तान में 21 अरब डॉलर का निवेश करने की बात कर रहा है। इसमें तेल रिफाइनरी पर 14 अरब डॉलर की लागत आएगी तो तांबे की खदान में 7 अरब डॉलर खर्च होंगे।
प्रधानमंत्री शाहबाज की इस कवायद के दौरान कश्मीर पर सऊदी अरब का साथ पाना भी एजेंडा में था। लेकिन उस मुद्दे पर पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब के हुक्मरानों का साफ मत है कि यह द्विपक्षीय मसला है जिसे पाकिस्तान और भारत ही बातचीत से सुलझाएं। इस बारे में संयुक्त बयान कहता है कि दोनों देश अपने मुद्दे दोतरफा बातचीत से हल करें।
बताया यह भी गया है कि सऊदी अरब ने तो पिछले साल ही विशेष निवेश सुविधा परिषद के अंतर्गत अगले 5 साल के दौरान पाकिस्तान में 25 अरब डॉलर निवेश करने का वायदा किया था।
प्रधानमंत्री शाहबाज की इस कवायद के दौरान कश्मीर पर सऊदी अरब का साथ पाना भी एजेंडा में था। लेकिन उस मुद्दे पर पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब के हुक्मरानों का साफ मत है कि यह द्विपक्षीय मसला है जिसे पाकिस्तान और भारत ही बातचीत से सुलझाएं। इस बारे में संयुक्त बयान कहता है कि दोनों देश अपने मुद्दे दोतरफा बातचीत से हल करें। शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। इस विषय में किसी तीसरे पक्ष या देश के दखल का सवाल ही नहीं उठता।
इसमें संदेह नहीं है कि सऊदी अरब के इस प्रकार के मत से सिर्फ शाहबाज शरीफ ही नहीं, पाकिस्तान के कट्टर मजहबियों और कश्मीर को लेकर आहें भरने वाले फरेबी नेताओं के सिर पर घड़ों पानी पड़ा होगा।
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