आरोप वीर, माफी वीर, दावा वीर और वायदे करने में महारथी कट्टर ईमानदार सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट से लगातार दो झटके मिले हैं, या यूं कहें कि दो सबक उन्हें मिले। पहला तो उनके शिक्षा मॉडल की बखिया हाईकोर्ट ने उधेड़ दी और दूसरा यह है कि ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को अवैध ठहराने की उनकी याचिका हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए गिरफ्तारी को वैध बताया।
बहरहाल, हम यहां बात कर रहे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस शिक्षा मॉडल की जिसका डंका वे दिन रात बजाते हैं। यहां तक कि न्यूयार्क टाइम्स में भी दिल्ली के शिक्षा मॉडल की तारीफों के पुल बांधते हुए लेख लिखे जाते हैं। 2022 में जब तक आबकारी घोटाले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। इसे संयोग ही कहा जाए जिस दिन रिपोर्ट छपी उसी दिन सीबीआई ने सिसौदिया के घर पर रेड की थी। तब केजरीवाल ने न्यूयार्क टाइम्स की इस रिपोर्ट को ट्ववीट कर इसे बदले की कार्रवाई बताया था।
केजरीवाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि जिस दिन न्यूयॉर्क टाइम्स के फ्रंट पेज पर दिल्ली शिक्षा मॉडल की तारीफ करते हुए मनीष सिसोदिया की तस्वीर छापी गई, उसी दिन केंद्र सरकार ने उनके घर सीबीआई भेज दी।
न्यूयॉर्क टाइम्स के इंटरनेशनल वर्जन के फ्रंट पेज पर छापी गई इस रिपोर्ट को ‘अवर चिल्ड्रन आर वर्थ इट’ शीर्षक दिया गया था। न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए इस रिपोर्ट को दिल्ली के एक पत्रकार करण दीप सिंह ने लिखा था।
रिपोर्ट में लिखा गया था कि भारत में जहां लाखों परिवार गरीबी दूर करने के लिए शिक्षा की ओर देख रहे हैं, वहां के स्कूलों की लंबे समय से जर्जर इमारतों, कुप्रबंधन, खराब शिक्षा और यहां तक कि दूषित भोजन देने वाली प्रतिष्ठा रही है, लेकिन आज हालात बदल गए हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में साल 2014 में 10वीं और 12वीं के बच्चों के पास होने का आंकड़ा 89 और 82 परसेंट थे, वो 2021 में पूरा 100 फीसदी रहा।
रिपोर्ट में लिखा गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्कूलों की कायापलट के लिए करोड़ों रुपया खर्च किया। दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल से प्रभावित होकर भारत के अन्य राज्य जैसे तेलंगाना और तमिलनाडु की सरकारें, अपनी शिक्षा व्यवस्था ऐसी ही करने की कोशिश कर रही हैं।
अब आते हैं दिल्ली के शिक्षा मॉडल को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा की गई तल्ख टिप्पणी पर, जो दिल्ली के उत्तरपूर्वी दिल्ली के स्कूलों की खस्ता हालत को लेकर की गई। दरअसल सोशल ज्यूरिस्ट, सिविल राइट ग्रुप की तरफ से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने दिल्ली के स्कूलों की स्थिति को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। गत् 20 मार्च को हाईकोर्ट ने स्कूलों का दौरा कर एक रिपोर्ट देने को कहा था। उन्होंने लगातार स्कूलों के दौरे किए और स्कूलों में जो स्थिति थी उसके बारे में हाईकोर्ट के सामने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट को देखने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को स्कूलों की स्थिति को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि मात्र विज्ञापन देकर ये न बताएं कि सब कुछ बढ़िया है बल्कि असल में धरातल पर उतर कर काम करो।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि दूसरी सबसे तल्ख टिप्पणी कोर्ट ने यह कि की दिल्ली की जेलों दस हजार कैदियों के रहने की क्षमता है, लेकिन हैं 23 हजार कैदी। इसका शिक्षा से सीधा लेना देना है, आप शिक्षा तो दे ही नहीं रहे हैं इसलिए अपराध बढ़ रहे हैं और जेलें भर रही हैं।
याचिका पर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने सख्त लहजे में दिल्ली के शिक्षा सचिव को कहा कि स्कूलों की बदहाली को दूर करने के लिए जल्द ही अपने शपथ पत्र में इस पर ध्यान दें और स्थितियों को बदलें, नहीं तो आपके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
इन स्कूलों का किया गया था दौरा
कोर्ट के आदेश के बाद अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने उत्तरपूर्वी दिल्ली के स्कूलों का दौरा किया था। इन स्कूलों में सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल खजूरी खास, सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल पूर्वी गोकुलपुर, सर्वोदय कन्या विद्यालय सी-1 यमुना विहार, सर्वोदय कन्या विद्यालय खजूरी खास, सर्वोदय कन्या विद्यालय सोनिया विहार, श्री राम कॉलोनी में निर्मित नए स्कूल सर्वोदय कन्या विद्यालय, सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल भजनपुरा, सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल दयालपुर, सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल सभापुर, सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल सभापुर, सर्वोदय कन्या विद्यालय खादर बदरपुर के साथ चार नगर निगम स्कूलों का दौरा कर रिपोर्ट बनाई थी।
कुछ स्कूलों की स्थिति
सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल भजनपुरा
पूरे स्कूल में टीन की छतों के नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हुए मिले। स्कूल में दो पाली में 3600 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं। लगभग सभी डेस्क टूटे हुए थे। जो महौल स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के लिए मिलना चाहिए था वह कहीं नजर नहीं आया। गर्मियां आ चुकी हैं बावजूद इसके बच्चे टीन की छतों के नीचे बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं।
सर्वोदय कन्या विद्यालय सी—1 यमुना विहार
दो पाली में स्कूल चलता है। सुबह की पाली में तकरीबन पांच से छह हजार छात्राएं पढ़ती हैं और दोपहर की पाली में भी लगभग इतने ही छात्र यहां पर पढ़ाई करते हैं। एक सेक्शन में तकरीबन 70 से 80 बच्चे पढ़ते हैं। जबकि नियमों के हिसाब से यह संख्या 40 होनी चाहिए। दो सेक्शन को एक ही कक्षा में पढ़ाया जाता है। यहां पर कमरों की भारी कमी है। इसी स्कूल के प्रांगण में एक पुरानी बिल्डिंग को 2019 से बनाया जा रहा है अभी तक वह बनकर तैयार नहीं हुई है।
सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल पूर्वी गोकुलपुर
स्कूल में एक ही कमरे को साइंस लैब,आर्ट रूम और लाइब्रेरी के तौर पर प्रयोग किया जा रहा है। एक कक्षा में 70 से 80 बच्चे हैं। दोनों पालियों में लगभग 4 हजार छात्र-छात्राएं यहां पढ़ते हैं। स्कूल में कुल 15 कमरे हैं, लेकिन अधिकारिक तौर पर 7 साल पहले इस स्कूल की बिल्डिंग को खतरनाक घोषित कर दिया गया है। स्कूल की बिल्डिंग में जगह-जगह दरारें पड़ी हुई हैं।
रिपोर्ट कमोबेश लगभग यही लगभग यही स्थिति सभी स्कूलों की बताई गई है। एक अप्रैल से वर्तमान सत्र की शुरुआत हो चुकी है। प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को अभी तक कापी-किताब पेंसिल आदि भी मुहैया नहीं कराई गई हैं। दिल्ली के शिक्षा मॉडल को आदर्श बताकर, अखबारों में विज्ञापन देकर दावा वीर सरकार के लोग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है।
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