भारत के पड़ोसी जिन्ना के कंगाल देश के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ इन दिनों भीख का कटोरा लिए सऊदी अरब गए हुए हैं। आधिकारिक रूप से इस यात्रा की वजह ‘निवेश की संभावनाएं तलाशना’ बताई जा रही है, लेकिन असल में तो धनवान इस्लामी देश से शाहबाज को कुछ उगाही होने और कश्मीर पर साथ मिलने की ही उम्मीदें लगी हैं। लेकिन इन दो में से एक मुद्दे पर तो सऊदी अरब के शासकों ने पाकिस्तान को दो टूक कह दिया है कि कश्मीर पर हम कोई बात नहीं करेंगे। इसे सुनकर बेशक शाहबाज को ही नहीं, पाकिस्तान के पूरे सत्ता अधिष्ठान और उन मजहबी उन्मादियों को 440 वोल्ट का झटका लगा होगा जो कश्मीर पर ‘इस्लाम के रहनुमा’ का वरदहस्त होने की उम्मीदें पाले थे।
सऊदी अरब के युवराज सलमान ने शाहबाज के साथ बातचीत तो की लेकिन उनको साफ कह दिया है कि कश्मीर पर उसका कोई दखल नहीं रहेगा। दोनों की वार्ता के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया है। इसमें पाकिस्तान तथा भारत के मध्य तमाम लंबित विषयों को सुलझाने के लिए बातचीत करने का आवश्यकता पर बल दिया गया है। इसमें कश्मीर के साथ ही अन्य क्षेत्रीय विषयों पर भी हुई चर्चा का बयान में जिक्र किया गया।
भारत और पाकिस्तान के बीच 2019 से ही राजनयिक स्तर पर बातचीत बंद है। भारत की शर्त है कि जिन्ना का देश पहले सीमापार आतंकवाद पर रोक लगाए उसके बाद ही उससे कोई बात की जा सकती है। यह उल्लेख भारत ने विभिन्न देशी—विदेशी मंचों पर किया है। कश्मीर पर भारत का पहले से ही स्पष्ट मत है कि यह भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। अब आगे बात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को मुक्त कराने की है।
यहां ध्यान दें कि अभी 8 फरवरी को पाकिस्तान में हुए आम चुनावों के बाद, प्रधानमंत्री बनते ही शाहबाज शरीफ ने असेम्बली में कश्मीर का रोना रोया था। अपनी इस पहली विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब को चुनना भी उन्हें दूर की कौड़ी मालूम दिया होगा। लेकिन सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के साथ हुई वार्ता से उन्हें मायूसी ही हाथ लगी होगी। इस बात का कुछ संकेत संयुक्त बयान दे ही रहा है। पाकिस्तान को यह स्पष्ट नसीहत देना कि कश्मीर उसका और भारत का द्विपक्षीय मामला है और इस पर आगे बात करके इसे सुलझाया जाए, यह जिहादी मानसिकता वाले पाकिस्तान के गले मुश्किल से ही उतरेगा।
युवराज सलमान को साफ कहना है कि विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर का सुलझा लिया जाएगा तभी क्षेत्रीय तनाव कम हो पाएगा। हालांकि संयुक्त बयान यह जरूर कहता है कि शाहबाज शरीफ और युवराज सलमान दोनों देशों के बीच भाईचारा बढ़ाने तथा विभिन्न क्षेत्रों में मदद के रास्ते तलाशने पर सहमत हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 2019 से ही राजनयिक स्तर पर बातचीत बंद है। भारत की शर्त है कि जिन्ना का देश पहले सीमापार आतंकवाद पर रोक लगाए उसके बाद ही उससे कोई बात की जा सकती है। यह उल्लेख भारत ने विभिन्न देशी—विदेशी मंचों पर किया है। कश्मीर पर भारत का पहले से ही स्पष्ट मत है कि यह भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। अब आगे बात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को मुक्त कराने की है। भारत का यह भी कहना रहा है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है। इस विषय में भारत तथा पाकिस्तान के अलावा किसी भी तीसरे देश की दखल का कोई प्रश्न ही नहीं है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए संविधान से अनुच्छेद-370 हटाया गया था। उसके बाद से न सिर्फ जम्मू कश्मीर के महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला जैसे अलगाववादी नेता तिलमिलाए हुए हैं, बल्कि पाकिस्तान वाले संयुक्त राष्ट्र सहित दुनियाभर के मंचों पर इसे लेकर दुष्प्रचार करते घूम रहे हैं।
लेकिन सऊदी अरब की नसीहत के बाद भी जिन्ना के देश वालों को कुछ समझ आएगी इसमें संदेह है। क्योंकि पड़ोसी देश के नेता कश्मीर पर भारत का हौव्वा दिखाकर ही बवाम को गुमराह करके अकूत पैसा बना रहे हैं और कुर्सी पा रहे हैं।
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