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भगवान कोरगज्जा, भक्तों की करते रक्षा, पाप कर्म पर देते दंड

शिव-सत्य हैं, शिव शाश्वत हैं, उनके क्रोध में भी सृजन है। भक्तों पर क्षण भर में ही कृपा करते हैं तभी तो भोलेनाथ हैं और काल के भी काल महाकाल हैं।

by Masummba Chaurasia
Apr 8, 2024, 03:49 pm IST
in भारत, संस्कृति
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शिव-सत्य हैं, शिव शाश्वत हैं, उनके क्रोध में भी सृजन है। भक्तों पर क्षण भर में ही कृपा करते हैं तभी तो भोलेनाथ हैं और काल के भी काल महाकाल हैं। शिव के ही एक अवतार हैं भगवान कोरगज्जा। जो कर्नाटक में ‘स्वामी कोरगज्जा’ नाम से प्रख्यात हैं। भक्तों का विश्वास है कि उनका कभी कोई अहित नहीं कर सकता क्योंकि उनके स्वामी शिव स्वरूप कोरगज्जा स्वयं उनकी रक्षा करते हैं।

कर्नाटक में एक जगह है तुलु नाडु। यहां कई सारे समुदाय हैं। उसी में से एक है कोरगा समुदाय। भगवान कोरगज्जा की कथा यहीं से शुरू होती है। एक बालक था तन्हैया। उसके माता-पिता का निधन उसके बचपन में ही हो जाता है। बताया जाता है कि एक बार वहां गंभीर बीमारी फैल गई थी। जिसके कारण कोरगा समुदाय के अस्तित्व पर संकट गहराने लगा। तन्हैया इससे दुखी होकर कल्लाकु नाम की जगह पर जाते हैं और वहां एक पेड़ के नीचे कई दिनों तक बैठे रहते हैं। भूख लगने पर रेती को चावल समझकर खाते हैं। उसी समय वैरक्की नाम की एक महिला जो ताड़ी बेचकर अपने बेटे चिन्मया के साथ वहां से निकली। उसकी नजर तन्हैया पर पड़ी। उनसे पूछा, तुम कौन हो बेटे… तुम्हारा नाम क्या है, तब तन्हैया बोले- मैं कोरगा समुदाय से हूं। इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है। इस पर वैरक्की ने कहा कि ऐसा मत बोलो, आज से तुम मेरे बेटे हो। वो तन्हैया को अपने साथ घर लेकर जाती हैं। कुछ दिनों बाद तन्हैया अपनी मां का हाथ बंटाने के लिए बाजार जाते हैं, इस पर वहां मौजूद लोग तन्हैया का रंग देखकर मजाक उड़ाते हैं। इस पर वैरक्की नाराज होती हैं। बदले की भावना से वहां मौजूद लोग वैरक्की की ताड़ी नहीं खरीदने की योजना बनाते हैं। इससे वैरक्की की आजीविका पर असर पड़ता है। घर चलाना मुश्किल हो जाता है। दुखी होकर वैरक्की भगवान शंकर से मन्नत मांगती है कि अगर उनकी सारी ताड़ी बिक जाएगी है, तो वह 7 ताड़ी, 7 नारियल के गुच्छे और 7 सुपारी फूल का चढ़ावा चढ़ाएंगी। इसके बाद भगवान के आशीर्वाद से वैरक्की की सारी ताड़ी बिक जाती है।

अगले ही दिन वैरक्की चढ़ावे का सारा सामान लाती हैं और तन्हैया से 7 लड़कों को बुलाने को कहती हैं, लेकिन बुलावे पर कोई नहीं आता है। इस पर तन्हैया बोलते हैं दुखी मत हो मां, मुझे आप 7 लोगों का भोजन कराओ। इस बात को मानकर वैरक्की खाना परोसती हैं और तन्हैया 7 लोगों का भोजन कर मन्नत का सामान अपने कंधों पर उठा लेते हैं। जाते वक्त मां वैरक्की को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वो कहते हैं कि आपने एक सगी मां की तरह प्यार से मेरा पालन पोषण किया है। आज मैं शायद वापस न आऊं, इस पर वैरक्की बोलती हैं- बेटा ऐसा क्यों बोल रहे हो। जिस दिन से तुम्हारे कदम मेरे घर में पड़े हैं। उस दिन से मेरा नसीब चमक उठा है। तू नहीं जाएगा तन्हैया… ऐसा कहकर वैरक्की उन्हें रोकती हैं, लेकिन तन्हैया कहते हैं कि मैंने एक बार जो कह दिया वह करूंगा। मां मैं आपकी सारी परेशानियों को अपने कंधों पर उठाकर ले जा रहा हूं। ऐसा कहकर वह मंदिर की तरफ चले जाते हैं।

वह चढ़ावे को मंदिर के आंगन में रखते हैं। इसी दौरान उनकी नजर मंदिर के शिखर पर पड़ती है। वह देखता हैं कि शिखर के पास आम के पेड़ में कच्चे आम लटक रहे हैं। वह आम को तोड़ने का मन बनाते हैं और मंदिर के शिखर पर चढ़ते हैं। इस दौरान वह फिसल कर नीचे गिर जाते हैं और तभी वहां भगवान शिव प्रकट होते हैं। तन्हैया को देखकर बोलते हैं, तू मेरा ही अंश है… धर्म स्थापना करके अपने भक्तों का रक्षण करना। यह बोलकर आशीर्वाद देते हैं। तभी से तन्हैया कोरगज्जा बनकर लोगों की रक्षा कर रहे हैं।

भगवान कोरगज्जा भक्तों की रक्षा तो करते ही हैं, पापकर्म पर दंड भी देते हैं। वर्ष 2021 में एक घटना हुई थी। तीन मुस्लिमों ने मंदिर की दानपेटी में कंडोम डाल दिया था। इनमें से एक की मौत हो गई, तो अन्य दोनों अपनी मौत के डर से स्वयं कोरगज्जा भगवान की शरण में आते हैं और माफी मांगते हैं। उन दोनों ने पुजारी को बताया कि नवाज के साथ मिलकर उन्होंने ही कुछ दिन पहले मंदिर की दानपेटी में कंडोम डाला था

जिसके बाद नवाज को खून की उल्टियां हुईं और फिर पेचिश पड़ने लगी। अंत में वह अपने घर की दीवारों पर सिर मारते हुए मर गया। मरते समय उसने कहा कि कोरगज्जा उन सबसे नाराज हैं। अब सिर्फ वही दोनों यानी अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफीक जिंदा हैं। कुछ दिनों बाद रहीम को भी खून की उल्टियां शुरू हो गईं। बिलकुल वैसे ही जैसे नवाज को हुई थी। उसके बाद दोनों भगवान कोरगज्जा की शरण में जाते हैं और माफी मांगते हैं। भगवान के सामने खड़े होकर दोनों ने अपनी गलती स्वीकार की।

भगवान कोरगज्जा के भक्त देश में ही नहीं, विदेश में भी हैं। उनके चेहरे पर तेज है। सिर पर नाग मुकुट, हाथ में नाग छड़ी, पैर में गगारा, मुख में पान और चंदन से ही अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। सदैव उनकी रक्षा करते हैं।

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