मध्य प्रदेश के धार जिला स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का (Dhar Bhojshala ASI) सर्वे किया जा रहा है। अब तक 16 दिन का सर्वे हो चुका है। इसी क्रम में आज रविवार को भी छुट्टी के बावजूद ASI की टीम भोजशाला में सर्वे के लिए पहुंची है। केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन धार की भोजशाला में वैज्ञानिक पद्धति से सर्वेक्षण किया जा रहा है।
बता दें कि एक दिन पहले 16वें दिन के सर्वे के दौरान एएसआई की टीम ने गर्भगृह परिसर में हवन कुंड के पास में एक बडे हिस्से से मिटटी हटाने का काम शुरू किया गया था। जहां पर पहले दिन 500 तगारी मिट्टी हटाने की बात सामने आई थी। अब रविवार को भी टीम के कई सदस्य इस और ही काम करेंगे। क्योंकि अभी दो दिन काम पर्याप्त समय टीम के पास है।
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एएसआई की टीम भोजशाला के अंदर बने पिल्लरों की लंबाई, चौडाई, इन पिल्लारों की एक दूसरे से दूरी व उस पर बनी आकृति को देख रही हैं। इसका पूरा ड्राइंग भी बनाया जा रहा है। साथ ही भोजशाला के बाहरी हिस्से में भी टीम काम कर रही है। हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने कल साढ़े तीन हजार तगारी मिट्टी हटाने की बात कही थी। ऐसे में आज भी इसी और काम आगे बढ़ने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि धार भोजशाला के सातवें दिन के सर्वे के दौरान ही जांच टीम को कई सारी आकृतियां मिली थीं, जिस हवन कुंड मिला था, जिसके बाद हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ता गोपाल शर्मा ने दावा किया था कि ये अवशेष सीधे तौर पर सनातन संस्कृति के प्रतीक हैं।
भोजशाला ही था सरस्वती मंदिर
भोजशाला ही ‘सरस्वती मंदिर’ था। इस बात का दावा पूर्व पुरातत्वविद के के मुहम्मद ने किया है। उनका कहना है कि भोजशाला, जिसे मुस्लिम पक्ष ‘कमल मस्जिद’ असल में वो कोई मस्जिद नहीं, बल्कि सरस्वती मंदिर था। लेकिन बाद में इस्लामवादियों ने इस्लामी इबादतगाह में बदल दिया।
केके मुहम्मद का कहना है कि धार स्थित भोजशाला के बारे में ये ऐतिहासिक तथ्य है कि ये सरस्वती मंदिर ही था। बाद में इसे मस्जिद बनाया गया। उल्लेखनीय है कि हिन्दू समुदाय लगातार ये दावा करता आ रहा है कि यहां पर कोई मस्जिद कभी थी ही नहीं, बल्कि ये मां सरस्वती का मंदिर था।
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