बाजार में जब कोई खास उत्पाद या सेवा आती है या फिर कोई बड़ी किताब आती है, तो संबंधित कंपनी यूट्यूबरों के पास पहुंचती है- अपने उत्पाद को प्रचारित करने के लिए विशेष वीडियो बनाने के प्रस्ताव के साथ। यूट्यूबरों की आय का यह एक बड़ा माध्यम है, जिसे हम उत्पाद आधारित प्रमोशनल वीडियो कहेंगे। उदाहरण के लिए, सैमसंग का कोई नया स्मार्टफोन मॉडल जारी हुआ है या फिर निकोन का कोई नया कैमरा आया है, तो इन कंपनियों की कोशिश होगी कि डिजिटल तकनीक, स्मार्टफोन, कैमरों या फोटोग्राफी आदि से जुड़े शीर्ष चैनलों से कहा जाए कि वे इस नए मॉडल पर वीडियो बनाएं।
यह वीडियो उत्पाद की ‘अनबॉक्सिंग’ के रूप में हो सकता है, जिसमें यूट्यूबर कंपनी से आए पैकेट को खोलकर उसके भीतर की चीजों को एक-एक करके वीडियो में दिखाता है और उनकी विशेषताओं की चर्चा करता है। दूसरी श्रेणी का वीडियो उस उत्पाद की समीक्षा का हो सकता है, जिसमें उसके एक-एक फीचर का ब्यौरा दिया जाए। तीसरा वीडियो उसी कंपनी के पिछले मॉडल और इस मॉडल की तुलना करते हुए हो सकता है। चौथा, उसके किसी खास पक्ष पर (जैसे इस स्मार्टफोन का कैमरा कैसा है) केंद्रित हो सकता है। संभावनाएं बहुत सारी हैं और ऐसे वीडियो के जरिए उत्पादों का बहुत अच्छा प्रचार होता है। सबसे अधिक आय भी ऐसे वीडियो से ही होती है। यह हजारों से लेकर लाखों रुपये तक हो सकती है।
आप समझ सकते हैं कि आम धारणा के विपरीत, यूट्यूब पर लोगों की आय के दर्जनों माध्यम हैं। बात सिर्फ गूगल एडसेंस के विज्ञापनों तक सीमित नहीं है, जो गूगल के विज्ञापन कार्यक्रम की सदस्यता लेने के बाद मिलने लगते हैं। एक बार कोई चैनल जम जाता है, तो उसे विज्ञापनों की अपेक्षा दूसरे माध्यमों से अधिक आय होती है।
अधिकांश सफल यूट्यूब चैनलों की कमाई स्पॉन्सरशिप से भी होती है। यह बात विशेषकर उन चैनलों पर लागू होती है, जो किसी खास विषय पर केंद्रित हैं और जिनकी अपने दर्शकों में अच्छी साख है। जिन कंपनियों को उसी विषय में दिलचस्पी रखने वाले दर्शकों तक पहुंचना है, उनके लिए यह माध्यम काफी अनुकूल है। अखबारों, पत्रिकाओं और वेबसाइटों पर विज्ञापन देकर वे सामान्य दर्शक वर्ग और पाठक वर्ग तक पहुंचते हैं, जिनमें ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम होगी जिन तक वे अपना संदेश पहुंचाना चाहते हैं। दूसरी तरफ, इन पर विज्ञापन की दरें बहुत अधिक होंगी। जैसे- पाक कला से जुड़े किसी चैनल को देखने वाले वही लोग होंगे, जो खाना पकाने और खाने में दिलचस्पी रखते हैं। इसी तरह, किताबों पर आधारित चैनल के दर्शकों में अच्छे पुस्तक प्रेमी, पाठक और किताबों के खरीदार मिलने की बेहतर संभावना है। ऐसे में किसी अच्छे मिक्सर, जूसर, किचन मशीन आदि का विज्ञापन देने के लिए पहला यूट्यूब चैनल ज्यादा अनुकूल सिद्ध हो सकता है। इसी तरह, किसी नई किताब का प्रमोशन करने के लिए दूसरा चैनल बेहतर होगा।
ये चैनल अपने विषय पर जानकारी भर नहीं देते हैं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से उस विषय से जुड़े विभिन्न हितधारकों को भी एक जगह पर सबस्क्राइबर्स की शक्ल में इकट्ठा करते हैं। निशा मधुलिका के पाक कला आधारित चैनल पर करीब एक करोड़ 40 लाख सबस्क्राइबर हैं और ‘कबीता’ज किचन’ पर एक करोड़ 30 लाख। सबस्क्राइबर्स की यह बड़ी संख्या कंपनियों को स्पॉन्सरशिप के लिए ललचाती है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट एशिया में डेवलपर मार्केटिंग के प्रमुख हैं)
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