पिछले हफ्ते पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वाह जिले में एक फिदायीन हमले में पांच चीनी नागरिकों की मौत से कम्युनिस्ट ड्रैगन बौखलाया हुआ है। इसके बाद न सिर्फ चीन ने पाकिस्तान की जांच पर यकीन न करते हुए अपना जांच दल भेजा, बल्कि बीजिंग में बैठी सरकार ने यहां तक कहा है कि अगर जिन्ना का देश चीन के नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर सकता तो वह ऐसा खुद करेगा। पाकिस्तान के अखबारों ने छापा है कि इसका अर्थ यह है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस मुद्दे पर बहुत गंभीर हैं और वे यहां अपनी फौज भेजना चाह रहे हैं।
ऐसी खबरों के बाद से प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ इस्लामाबाद के राजनीतिक गलियारे आका चीन की फटकार से आशंकित हो गए हैं। अब कल प्रधानमंत्री शाहबाज ने चीन को इस बात का यकीन दिलाने की कोशिश की है कि वे चीनी नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी लेंगे।
कल इस्लामाबाद में जिन्ना के कंगाल देश के प्रधानमंत्री शाहबाज ने बयान दिया है कि पाकिस्तान सरकार अपने यहां विभिन्न परियोजनाओं में काम करने वाले चीनी कामगारों व इंजिनियरों की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरतेगी। उन्होंने एक प्रकार से गारंटी देते हुए कहा कि अब से चीनी नागरिकों की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है। हालांकि यह जिम्मेदारी तो उन पहले से ही है, लेकिन वे इसे निभाने में कामयाब रहे हैं। और फिलहाल जिन्ना के देश का पेट पाल रहा कम्युनिस्ट ड्रैगन इस बात को जानता है। यही वजह है कि वह अब इस काम के लिए अपनी फौज तक भेजने का मन बना रहा है।
गत रविवार को चीन का एक बयान आया था जिसमें उसने साफ कहा था कि यदि पाकिस्तान उसके नागरिकों की हिफाजत नहीं कर पा रहा है तो यह काम चीन खुद करेगा। इस विषय पर पड़ोसी इस्लामी देश के अखबारों में आएदिन रिपोर्ट छप रही हैं। इन्हीं में यह उल्लेख भी आया है कि विस्तारवादी कम्युनिस्ट चीन चीनी नागरिकों की हिफाजत का जिम्मा अपने कंधों पर ही लेना चाहता है। यानी चीन अपनी फौज भेजने का मन बना रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री शाहबाज के कल के बयान के बाद शायद चीन फिलहाल फौज भेजने का इरादा टाल दे, लेकिन इसमें शक नहीं है कि गत 26 मार्च को खैबर पख्तूनख्वाह में फिदायीन हमले में पांच चीनी इंजीनियरों की हत्या को चीन गंभीरता से ले रहा है। पाकिस्तान में बीआरआई और सीपैक परियोजनाओं पर काफी काम चल रहा है। इसमें चीनी कंपनियों के लोग बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं और इसलिए पाकिस्तान में ही रह रहे हैं। 26 मार्च का घटना अपनी तरह की पहली और इकलौती घटना नहीं थी। चीनियों पर वहां ऐसे हमले कई बार हो चुके हैं। हर बार पाकिस्तान की हुकूमत किसी तरह चीन का गुस्सा शांत करती रही है।
चीन का गुस्सा शांत करने के लिए ही कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने घटनास्थल दासू पहुंचकर उक्त बयान दिया था। उन्होंने वहां काम में लगे चीनियों का हालचाल लिया और सुरक्षा का भरोसा दिलाने का जतन किया। इन्हीं चीनियों के सामने भाषण देते हुए शाहबाज ने कहा कि उनका देश फिदायीन हमले के जिम्मेदारों को ऐसी सजा देगा कि आगे कभी कोई ऐसा हमला करने की हिम्मत नहीं कर सकेगा।
ताजा घटना में मारे गए चीनी इंजिनियर दासू विद्युत परियोजना में काम कर रहे थे। उन पर फिदायीन हमला तब हुआ जब वे चीनी एक गाड़ी से इस्लामाबाद से दासू जा रहे थे। इस घटना की जांच के लिए पाकिस्तान की बनाई जांच टीम को चीन ने भरोसे लायक न मानते हुए अपना जांच दल भेजा। चीन के उस जांच दल का कहना है कि पाकिस्तान ने सुरक्षा में ढील बरती थी जिसकी वजह से आतंकवादी हमला कर पाए।
पाकिस्तान की लचर हालत के लिए चीन पहले भी उसे खरी—खोटी सुना चुका है, लेकिन भारत के ठीक पड़ोस में होने की वजह से चीन की वहां खास दिलचस्पी है ताकि वह उसके जरिए भारत पर आंख रख सके।
चीन का गुस्सा शांत करने के लिए ही कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने घटनास्थल दासू पहुंचकर उक्त बयान दिया था। उन्होंने वहां काम में लगे चीनियों का हालचाल लिया और सुरक्षा का भरोसा दिलाने का जतन किया। इन्हीं चीनियों के सामने भाषण देते हुए शाहबाज ने कहा कि उनका देश फिदायीन हमले के जिम्मेदारों को ऐसी सजा देगा कि आगे कभी कोई ऐसा हमला करने की हिम्मत नहीं कर सकेगा।
टिप्पणियाँ