गुजरात: सौराष्ट्र में प्राकृतिक आपदा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान पर छात्र ने की पीएचडी

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सोनल अनडकट

कर्णावती: गुजरात मे बाढ़ हो या सूखा, सौराष्ट्र को प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा सौराष्ट्रवासियों के साथ में खड़ा रहा है। संघ के इसी लोकसेवा कार्य पर जूनागढ़ के एक छात्र ने महाशोधन तैयार कर पीएचडी की डिग्री हासिल की है।

नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के छात्र प्रतीक गढ़वी ने सौराष्ट्र प्रांत में प्राकृतिक आपदा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान पर बहुत कुछ लिखा है। इस महाशोधन के बारे में पाञ्चजन्य से बात करते हुए प्रतीक गढ़वी ने कहा, “मैं 15 साल की उम्र से शाखा में स्वयंसेवक रहा हूं। इतने वर्षों से मेरी भावनाएं संघ के साथ जुड़ी हुई हैं और इसीलिए संघ की प्राकृतिक आपदा के समय निभाई गई अनूठी भूमिका के बारे में पीएचडी करने का विचार आया। यह विचार मेरे मार्गदर्शक विशाल जोशी के सामने रखा और उनकी मंजूरी पर महाशोधन की मेरी यात्रा शुरू हुई। आरएसएस की स्थापना, शाखा की शुरुआत, संघ के विभिन्न कार्य और आयामों, आरएसएस की सेवाओं, 1962 में चीन के साथ एवं 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान पीड़ितों को सहायता, मोरबी में मछु नदी की बाढ़, सौराष्ट्र के विभिन्न जिलों में बारिश और सूखे के दौरान संघ की लोकसेवा और वर्ष 2001 के भूकंप और कोरोना की महामारी में भी संघ के सेवाकार्य का अध्ययन शामिल था। इसके लिए वरिष्ठ स्वयंसेवकों से मुलाकात कर साल 1950 से 2020 तक संघ की लोक सेवा का अध्ययन किया। तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद यह महाशोधन तैयार हुआ।

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