भारत के पड़ोसी जिन्ना के देश को कंगाली से गुजरते हुए छठी का दूध याद आ रहा है। भारत से बेवजह तनाव बढ़ाना और भारत में आतंकवाद को हवा देने का उसका शैतानी एजेंडा उसके गले की ऐसी फांस बन चुका है कि अब उसे भारत और भारत के साथ कारोबार की याद आ रही है। हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री का इस संबंध में आया बयान विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बना है।
आतंकवाद का जनक भारत का पड़ोसी जिन्ना का बनाया इस्लामी देश दुनिया भर में इतना बदनाम हो चुका है कि, चीन को छोड़ दें तो अब न कोई देश उसे कर्ज के नाम पर भीख देने को तैयार है, न उसके साथ किसी तरह का कारोबारी नाता रखना चाहता है। भारत के साथ पाकिस्तान के कारोबार पर साल 2019 में रोक लग गई थी। उसके बाद से दोनों देशों के बीच दोतरफा बातचीत और कारोबार ठप पड़ा है, जिसका मोल चुका रहा पाकिस्तान अब मलाल का अनुभव कर रहा है। लेकिन अब वहां बनी शाहबाज सरकार शायद भारत से कारोबारी रिश्ते कायम करने को छटपटा रही इच्छुक है।
इस बात का अंदाजा गत दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री के बयान से मिलता है। विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि उनका देश भारत के साथ फिर से कारोबार शुरू करने को लेकर गंभीरता से सोच रहा है। डार के इस बयान से पाकिस्तान ही नहीं दुनिया के अनेक विशेषज्ञों में चर्चा शुरू हुई। यह भांप कर राजधानी इस्लामाबाद में बैठी हुूकूमत ने फौरन बयान जारी कर दिया कि कोई यह न सोचे कि उसकी आर्थिक नीति में कोई बदलाव आया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री पिछले दिनों लंदन में थे, वहीं उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहा कि भारत के साथ कारोबार दोबारा शुरू करने को लेकर वे गंभीरता से सोच रहे हैं।
डार के इस बयान पर पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया ने कारोबार शुरू करने की बात पर कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है। बिसारिया ने आगे कहा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तथा कपड़ा उद्योग तो खासतौर पर भारत के कच्चे माल पर टिका है। अगर दोनों देशों के बीच कारोबार फिर से शुरू हुआ तो पाकिस्तान जानता है, फायदा उसे ही होगा। इसलिए विदेश मंत्री डार ने यह विचार सामने रखा है। भारत को तो ऐसी कोई जल्दी नहीं है। बिसारिया ने यह भी कहा कि आगामी जून माह में भारत में नई सरकार आने के बाद, इस बारे में शायद कोई प्रस्ताव सामने आए।
भारत आज भी इस बात पर कायम है और पूरी गंभीरता से कायम है कि जब तक सीमापार से आतंकवाद जारी है, पड़ोसी इस्लामी देश के साथ कैसे भी संबंध नहीं रखे जाएंगे। भारत ने यह बात हर देशी—विदेशी मंच से उठाई है कि आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बनाने वाले देश से कोई राजनयिक या अन्य संबंध नहीं रखे जाएंगे।
उधर पाकिस्तानी भूराजनीति विशेषज्ञ डार के उक्त बयान की आलोचना में लग गए हैं। वहां के एक स्तंभकार मुशर्रफ जैदी तो कहते हैं कि जब दोनों देशों के बीच दोस्ती जैसी कोई चीज ही नहीं है तो क्यों पाकिस्तान के नीति नियंता दोस्ती की बात करते रहते हैं! जैदी इसे चिंता की बात मानते हैं। ध्यान रहे कि इशाक डार पिछली सरकार में भी मंत्री रहे थे, उनके पास तक वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी थी। उन्हें पता है कि भारत के साथ पाकिस्तान के कारोबार न कर पाने से उन्हीं के देश के कारोबारियों के लिए चिंता की बात है। कारण, पाकिस्तान के पास इस वक्त चीजें बरास्ते दुबई पहुंच रही हैं।
एक अमेरिकी विश्लेषक माइकल कुगेलमैन का कहना है कि इसमें संदेह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार जल्दी शुरू हो पाएगा। उनके हिसाब से, दोनों के रिश्ते पहले भी बिगड़े तो रहे हैं, लेकिन तो भी कारोबार चलता रहा था। परन्तु इधर कुछ साल से इनमें और गिरावट आई है। कुगेलमैन भी मानते हैं कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है, इस नाते दोनों के बीच कारोबार फिर से शुरू होने से भारत को तो कम, लेकिन पाकिस्तान को ज्यादा लाभ पहुंचेगा। उसे कच्चा माल सीधे मिल जाएगी जिससे उसके यहां का कपड़ा उद्योग सांस लेने लगेगा। अमेरिका के विश्लेषक मानते हैं कि शायद भारत में चुनाव के बाद, इस तरफ आगे बढ़ा जाए।
लेकिन भारत आज भी इस बात पर कायम है और पूरी गंभीरता से कायम है कि जब तक सीमापार से आतंकवाद जारी है, पड़ोसी इस्लामी देश के साथ कैसे भी संबंध नहीं रखे जाएंगे। भारत ने यह बात हर देशी—विदेशी मंच से उठाई है कि आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बनाने वाले देश से कोई राजनयिक या अन्य संबंध नहीं रखे जाएंगे।
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