अपने विस्तारवादी रवैए और पड़ोसी देशों पर बेवजह की धमक दिखाकर हावी होने की चीन की शैतान मानसिकता दुनियाभर में कुख्यात हो चुकी है। भारत पहले भी अनेक बार चीन को उसकी बिना मतलब के विवाद खड़ा करने की आदत को लेकर कूटनीतिक स्तर पर अपना विरोध दर्ज कराता रहा है, विशेषकर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के नापाक इरादों की कलई खोल चुका है। लेकिन लगता नहीं कि कम्युनिस्ट ड्रैगन ने इससे कोई सबक लिया है। ताजा जानकारी के अनुसार, चीन सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के लगभग 30 स्थानों के नाम बदलकर एक नया विवाद खड़ा करने का काम किया है।
भारत के अभिन्न अंग अरुणाचल प्रदेश पर चीन का यही दावा रहा है कि वह ऐतिहासिक रूप से उसकी भूमि है। तिब्बत पर जबरन कब्जे के बाद से इसे वह ‘दक्षिणी तिब्बत’ बताता आ रहा है। भारत के विदेश विभाग ने एक नहीं अनेक बार बीजिंग के इस दावे को निराधार ठहराया है। कहा है कि चीन का यह सफेद झूठ किसी तरह स्वीकार्य नहीं है, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा।
चीनी अखबार की रिपोर्ट आगे बताती है कि चीन के सिटीजन अफेयर्स विभाग ने कहा है कि “विभाग ने इससे जुड़े अन्य विभागों के साथ मिलकर चीन के ‘जांगनान’ में कुछ नामों को मानकीकृत किया है। रिपोर्ट में है कि जिन स्थानों के नामों को बदला गया है, उनमें अरुणाचल प्रदेश के 11 जिले, 12 पहाड़ी क्षेत्र, एक झील, एक पहाड़ी दर्रा तथा कुछ जमीनी हिस्सा शामिल किया गया है। इन सभी स्थानों को तिब्बती लिपि में दर्शाया है।
भारत के इस रवैए से चिढ़े चीन ने भारत के लगभग सभी पड़ोसी देशों पर अपने पैसे के बल पर अपनी धमक बढ़ाते जाने का भी कुचक्र चलाया हुआ है। लेकिन भारत उसके ऐसे सभी पैतरों पर करारा जवाब देता आया है। इसलिए अब कम्युनिस्ट चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों के नाम बदलने की दुर्नीति अपनाई है। स्थानों के नाम बदलने की इस चाल का खुलासा चीन के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ में छपी रिपोर्ट देती है। रिपोर्ट बताती है कि बीजिंग में सिटिजन अफेयर्स विभाग ने 30 मार्च को कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश यानी जांगनान पर चीन का दावा है। इससे बढ़कर विभाग ने कहा कि यह तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा है।
इस चीनी अखबार की रिपोर्ट आगे बताती है कि चीन के सिटीजन अफेयर्स विभाग ने कहा है कि “विभाग ने इससे जुड़े अन्य विभागों के साथ मिलकर चीन के ‘जांगनान’ में कुछ नामों को मानकीकृत किया है। रिपोर्ट में है कि जिन स्थानों के नामों को बदला गया है, उनमें अरुणाचल प्रदेश के 11 जिले, 12 पहाड़ी क्षेत्र, एक झील, एक पहाड़ी दर्रा तथा कुछ जमीनी हिस्सा शामिल किया गया है। इन सभी स्थानों को तिब्बती लिपि में दर्शाया है।
चीन की अरुणाचल प्रदेश पर तिरछी नजर गत माह भी स्पष्ट हुई थी जब उसने अरुणाचल प्रदेश पर अपना ‘दावा’ दोहराया था जिस पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए उसे तथ्यहीन और निराधार करके निरस्त किया था। चीन ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश सदा से उसका इलाका रहा है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अटूट हिस्सा है। इस तथ्य में चीन के भ्रामक दुष्प्रचार के बावजूद कोई अंतर नहीं आने वाला है।
भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने साफ कहा कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत ने अनेक बार अपनी स्थिति साफ साफ बताई है। चीन अपने निराधार दावों को चाहे जितना दोहरा ले, इससे भारत की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आने वाला है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अटूट हिस्सा है और हमेशा रहेगा।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर खुद चीन को इस संबंध में कड़ा संकेत दे चुके हैं। उन्होंने साफ कहा है कि अरुणाचल प्रदेश स्वाभाविक तौर पर भारत का अंग है। जयशंकर ने सिंगापुर दौरे के बीच एक प्रश्न के जवाब में कहा था कि यह नया मुद्दा नहीं है। चीन इस संबंध में अपने पुराने दावे को ही दोहराता आ रहा है।, जो कि हंसी पैदा करने वाले हैं। हम इस बारे में बहुत साफ है, बहुत तार्किकता के साथ बात करते हैं।
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