शौहर से बेवफाई पर तालिबान का खौफनाक फरमान : सरेआम पत्थरों या कोड़ों से मारकर दी जाएगी मौत की सजा

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सोनाली मिश्रा

शौहर से की बेफवाई तो मिलेगी कोड़ों या पत्थरों से मौत की सजा, ऐसा अफगानिस्तान के तालिबानी नेता का कहना है। टेलीग्राफ के अनुसार तालिबान के सबसे बड़े लीडर मुल्ला हिबातुल्ला अखुंडजादा ने कहा कि पश्चिम जो अधिकार अफगानिस्तान की औरतों के लिए माँगता है, वह शरिया के खिलाफ है।

तालिबान के सबसे बड़े लीडर ने अफगानिस्तान में औरतों के लिए पत्थर या कोड़ों से मारकर मौत की सजा की बात की है। हिबातुल्ला का कहना है कि पश्चिमी लोकतंत्र के साथ उनका संघर्ष जारी रहेगा। बुधवार को जारी एक ऑडियो सन्देश में उन्होंने घोषणा की कि अफगानिस्तान में शरिया का इस्लामिक कोड लागू होगा।

ऑडियो सन्देश में यह कहा गया कि “आप कहते हैं कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है जब हम उन्हें (महिलाओं को) पत्थर मारकर मार देते हैं। लेकिन हम जल्द ही शौहर के साथ बेवफाई के लिए सजा लागू करेंगे। हम महिलाओं को सरेआम कोड़े मारेंगे। हम उन्हें सार्वजनिक रूप से पत्थरों से मार-मार कर मार डालेंगे,”

और यह भी कहा कि

“ये सब आपके लोकतंत्र के खिलाफ हैं लेकिन हम ऐसा करना जारी रखेंगे। हम दोनों कहते हैं कि हम मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं – हम इसे खुदा के प्रतिनिधि के रूप में करते हैं और आप शैतान के!”

पश्चिमी लोकतंत्र के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखते हुए यह भी कहा कि “क्या औरतों को वे हक चाहिए, जिनकी बात पश्चिमी कर रहे हैं? वे शरिया और मौलानाओं के विचारों के खिलाफ हैं, वे मौलाना जिन्होनें पश्चिमी लोकतंत्र को हराया। मैंने मुजाहिदीन से कहा कि हमने पश्चिम को बताया कि हम आपके खिलाफ 20 सालों से लड़ रहे हैं और बीस से अधिक सालों तक लड़ सकते हैं।”

हिबातुल्ला ने शरिया लागू करने की कसम खाई

यह सभी को ज्ञात है कि कैसे अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आने के बाद वहां की औरतों का जीवन दिनों दिन बदतर होता जा रहा है। उनके लिए स्कूल के दरवाजे बंद हैं, वे आदमियों के बिना सफ़र नहीं कर सकती हैं और वे पार्क, रेस्टोरेंट आदि भी नहीं जा सकती हैं। हिजाब सही से न पहनने पर उन्हें जेल में डाला जा सकता है और अब बेवफाई के आरोपों पर उन्हें पत्थर या कोड़ों से मारकर मौत के सुपुर्द भी किया जा सकता है।

जब बेवफाई की बात करते हैं, तो इसका दायरा क्या होगा, यह भी निश्चित नहीं होता है। हालांकि भारत में संवैधानिक लोकतंत्र एवं हिन्दू समाज के बहुसंख्यक होने के नाते ऐसी किसी सजा की कल्पना ही अकल्पनीय है, परन्तु जब मुग़ल राज था, तब ऐसी सजाएं होती थीं और तभी जरूरी है कि बेवफाई की परिभाषा स्पष्ट होनी चाहिए। यह घटना है एक यौन कनीज को धूप में बांधकर तड़पा-तड़पा कर मारने की और वह भी सलीम-अनारकली के नाम से प्यार का मसीहा घोषित किए गए जहांगीर द्वारा।

नूरजहाँ एम्प्रेस ऑफ मुग़ल इंडिया में एलिसन बैंक्स फ़िडली ने जहांगीर के व्यवहार के बारे में लिखा है। एक घटना जिसका उल्लेख वह करते हैं, हालांकि इतिहास में शायद जानबूझकर ही ऐसी घटनाओं का उल्लेख नहीं मिलता है और न ही सलीम अनारकली के इश्क की दास्ताँ बताने वाले फिल्मकारों ने यह बताया है। एलिसन बैंक्स फ़िडली ने लिखा है कि नूरजहाँ की एक बूढ़ी कनीज को जहाँगीर ने केवल इसलिए तीन दिनों तक धूप में भूखी-प्यासी रखा था क्योंकि उसने एक हिजड़े का चुम्बन ले लिया था।

दरअसल वह नूरजहाँ की खिदमत में आने से पहले जहांगीर की यौन कनीज रह चुकी थी, और उसकी उम्र तब तक तीस वर्ष से अधिक हो गयी थी, तो उसे दूसरे कामों में लगा दिया गया था! उसे नूरजहाँ के हवाले कर दिया गया था।

उसने एक हिजड़े का चुम्बन कर लिया था, तो जहांगीर ने आदेश दिया था कि उस औरत को एक गड्ढे में बाहों तक गाढ़ कर रखा जाए और तीन दिनों तक उसे भूखा प्यासा रखा जाए, अगर वह तीन दिनों तक जिंदा रह जाती है तो उसे माफी मिलेगी।

मगर वह मात्र डेढ़ ही दिनों में मर गयी थी। एक रखैल की भी कथित बेवफाई की सजा मौत है, तो बेवफाई की परिभाषा क्या है, यह भी तय नहीं होता है, फिर ऐसे में औरतों के हक़ की बात करना बेमानी ही है।

यह भी बहुत हैरत की बात है कि जो वर्ग जहांगीर को प्यार का मसीहा घोषित करता है वही वर्ग तालिबान को पश्चिमी ताकतों को परास्त करने वाला बताता है। जो वर्ग जहांगीर को इन्साफपसन्द बताते हुए इस कथित बेवफाई पर दी गयी मौत पर मौन रहता है वही वर्ग “सुधरे तालिबान” का नारा लगाते हुए, अमेरिका को कथित रूप से परास्त करने वाले तालिबान के इस फरमान पर चुप रहता है कि वह शौहर के साथ की गयी बेवफाई के आधार पर पत्थरों से या कोड़ों से मारी जा सकती है।

यह भी गौर तलब है कि जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था, तो भारत में कथित प्रगतिशील औरतों का एक बहुत बड़ा वर्ग मात्र इस कल्पना से रोमांचित हो गया था कि जैसे तालिबान ने पश्चिमी ताकतों को हराकर भगाया है, वैसे ही कोई ताकत भारत से नरेंद्र मोदी सरकार को पराजित करेगी! उस पूरे वर्ग का एक भी वक्तव्य वहां की महिलाओं के लिए नहीं आ रहा है, जो दिनों – दिन एक कैद में रहने के लिए अभिशप्त हैं।

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