धुंधलाती गरीबी, उभरती खुशहाली

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डॉ. विशेष गुप्त

आजकल चारों ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी की चर्चा है। इससे पहले इस शब्द की चर्चा देश-विदेश में भौतिक वस्तु अथवा सेवा से जुड़ी गुणवत्ता और उसके निष्पादन के औपचारिक आश्वासन से होती रही है। परंतु नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में गारंटी शब्द इतना प्रचारित व विस्तारित हुआ कि इस शब्द की गूंज समाज की आखिरी पायदान पर खड़े लोगों तक पहुंच गई है। मोदी की गारंटी का मतलब है देश में कल्याणकारी नीतियों के निर्माण,नीयत में ईमानदारी व प्रतिबद्धता और नेतृत्व में वैश्विक दृष्टिकोण।

डॉ. विशेष गुप्त, शिक्षाविद्

मोदी स्वयं कहते हैं कि ‘मोदी की गारंटी’ चुनाव जीतने का कोई सूत्र नहीं है। यह गरीब लोगों का भरोसा है। यह उनके दशकों के परिश्रम का प्रतिफल है और समाज के प्रति संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है। यही कारण है कि देशवासियों को अब यह भरोसा हो चला है कि मोदी देश पर अपना सब कुछ न्योछावर कर देंगे, परंतु अपने गरीब भाइयों और बहनों का विश्वास टूटने नहीं देंगे। आज देश का हर गरीब व्यक्ति जानता है कि पूर्व की सरकारों ने किस प्रकार गरीबों का भरोसा तोड़ा है। इसी का परिणाम है कि आज देश का प्रत्येक नागरिक मोदी की गारंटी को देशहित में पूर्ण करने और देश की कल्यााणकारी नीतियों को जमीनी स्तर पर पूरी करने की गारंटी मानकर चल रहा है।

विश्व स्तर पर बनी साख

राष्ट्रहित में कल्याणकारी नीतियों के निर्माण और ईमानदारी की नीयत से उनका क्रियान्वयन करने पर आज मोदी जी की यह गारंटी विश्व के स्तर पर भी अपना परचम लहरा रही है। अमेरिका,आस्ट्रेलिया व पापुआ न्यूगिनी के नेताओं की ओर से नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में प्रयोग होने वाले शब्द आज एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते दिखाई पड़ रहे हैं। हिरोशिमा में जी-7 की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन स्वयं मोदी से मिलने आए और ‘आटोग्राफ’ मांगा। और तो और, पापुआ न्यूगिनी के प्रधानमंत्री ने हवाई अड्डे पर मोदी जी की अगवानी करते हुए भारतीय परंपरा के अनुरूप उनके चरण स्पर्श कर प्रणाम किया और मोदी को विश्व गुरु और ‘ग्लोबल साउथ’ का नेता बताया।

ध्यान रहे कि मोदी की यह गारंटी देश-विदेश में अनायास ही उभरकर सामने नहीं आई है। इसे उनके विगत दस वर्षों के कार्यकाल में किए गए अथक परिश्रम, कल्याणकारी नीतियों के निर्माण, उनकी निगरानी और उनके प्रभावी क्रियान्वयन से जोड़कर देखना समीचीन होगा। मोदी की इस गारंटी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय सिद्धांत की भी बड़ी भूमिका रही है। अंत्योदय का सिद्धांत कहता है कि समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास हो। इतना ही नहीं, देश के विकास में आखिरी पंक्ति के उस व्यक्ति की भी हिस्सेदारी हो। वह भी स्वयं को इस राष्ट्र का महत्वपूर्ण अंग महसूस करे।

अंत्योदय का सीधा सा अर्थ है कि रोटी, कपड़ा, मकान, स्वच्छता, बिजली, जल व रोजगार की न्यूनतम सुविधा से इस अंतिम व्यक्ति का उदय होना ही वास्तविक राष्ट्रीय प्रगति का परिचायक है। मोदी की गारंटी में इसका प्रतिबिंब बनता साफ दिखाई दे रहा है। पूर्व की सरकारों ने इस अंत्योदय के सिद्धांत से इतर जाकर जो मार्ग अपनाए, उन सभी में असफलता ही हाथ लगी। देश की आजादी के बाद साम्यवादी, समाजवादी और पूंजीवादी जैसे प्रतिमानों ने राष्ट्र के कल्याण की जगह नुकसान अधिक पहुंचाया। 2014 में मोदी जी ने जबसे देश की बागडोर संभाली है तभी से देश की नीतियों में अंत्योदय और एकात्म मानववाद का प्रतिबिंब बनता स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

अभी कुछ ही दिन पूर्व नीति आयोग की ओर से मल्टीडायमेन्शनल पावर्टी इन इंडिया (एमपीआई) नाम से एक रिपोर्ट जारी हुई है। इसमें खुलासा हुआ है कि विगत नौ वर्ष में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे से बाहर आए हैं। रिपोर्ट संकेत करती है कि गरीबी से बाहर आने वाले लोग अब स्वयं को गरीब होने का अनुभव नहीं करते। यह इसलिए, क्योंकि उन्हें मध्यम व उच्च आय वर्ग वालों की तरह कई तरह की सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो रहा है।

ज्ञातव्य है कि देश की 138 करोड़ आबादी को केंद्र में रखकर इसका एमपीआई तैयार किया गया। नीति आयोग ने एमपीआई की गणना करने के लिए बारह संकेतकों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया था। इनमें पोषक तत्व, बाल मृत्यु दर, माताओं का स्वास्थ्य, बच्चों के स्कूल जाने की उम्र, स्कूल में बच्चों की उपस्थिति, रसोई ईंधन, स्वच्छता, पेय जल, बिजली, आवास, संपदा व बैंक खाता जैसे प्रमुख संकेतकों को रखा गया था।

इन संकेतकों को केंद्र में रखकर जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे साफ होता है कि 2013-14 के वित्तीय वर्ष में देश में 29.17 प्रतिशत आबादी एमपीआई की गणना के हिसाब से गरीब थी। परंतु 2022-23 में इसी एमपीआई की गणना में देश में अब केवल 11.28 प्रतिशत ही गरीब रह गए हैं। यानी विगत नौ वर्ष में 17.89 प्रतिशत लोग गरीबी की सीमा रेखा से बाहर आ गए। रिपोर्ट ने यह भी साफ किया है कि एमपीआई के मानकों के हिसाब से देश में अब केवल 15 करोड़ लोग ही गरीब रह गए हैं। ये वे लोग हैं जिनको केंद्र व प्रदेश की गरीबी उन्मूलन के लिए संचालित योजनाओं का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया है।

प्रभावी नीतियां

यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि आजादी के बाद देश की दो तिहाई आबादी गरीबी को जद में थी। इसके बावजूद भी कई दशकों तक देश में अनेक आयामों के साथ गरीबी की परिभाषाएं बदलती रहीं। इससे गरीबी उन्मूलन से जुड़ीं नीतियां भी प्रभावित हुईं। गरीबी हटाओ के नाम पर पुरानी सरकारों द्वारा कई चुनाव लड़े गए। सरकारें आतीं, जाती रहीं, मगर गरीबी उन्मूलन को लेकर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका।

देश व प्रदेश की वर्तमान सरकारों के इस नौ साल के कालखंड में गरीबी उन्मूलन से जुड़ी बहुआयामी योजनाओं को धरातल पर उतारने से ही नीति आयोग की यह रिपोर्ट सामने आई है। बहुआयामी गरीबी का यह सूचकांक साफ करता है कि इससे जुड़े सभी बारह संकेतकों में अपेक्षित सुधार आया है। पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है। इससे भी आगे बढ़कर आज मोदी सरकार की इन कल्याणकारी योजनाओं का यह लाभ हुआ है कि इन गरीब,उपेक्षित व वंचित लाभार्थियों में देश में सम्मान के साथ जीने की एक आकांक्षा पैदा हुई है।

इन योजनाओं की चर्चा करते समय ध्यान में आता है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में आर्थिक रूप से कमजोर 10 करोड़ परिवारों को मुफ्त में गैस ‘कनेक्शन’ दिए गए। प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत आज देश में लगभग छह करोड़ से अधिक बैंक खाते खुलवाकर इसमें 51 करोड़ से अधिक गरीबों को बैंकिग व्यवस्था से जोड़ा गया। इनमें 60 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 40 प्रतिशत खाते शहरी क्षेत्रों में खोले गए। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में आज 82 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन प्रदान किया जा रहा है। अब इस योजना को 2029 तक बढ़ा दिया गया है।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आज 37 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। केंद्र सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत है, जिसमें लोगों को पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त प्रदान किया जा रहा है। जल जीवन मिशन योजना के तहत अभी तक 14 करोड़ घरों तक जल का ‘कनेक्शन’ दिया जा चुका है।

2024 के अंत तक 19 करोड़ घरों तक यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत 53 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण का वितरण, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 1.73 करोड़ युवाओं का प्रशिक्षण और पांच लाख से अधिक नियुक्ति पत्रों का वितरण, पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत तीन लाख कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ, 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण कराया गया।

इन योजनाओं के अतिरिक्त सौभाग्य योजना के तहत बिजली में सुधार,पीएम आवास योजना, महिलाओं के लिए लखपति दीदी, ड्रोन दीदी, स्वयं सहायता समूह तथा मुद्रा लोन और समग्र शिक्षा जैसी योजनाओं ने केंद्र व राज्य सरकारों की मंशा को देश के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाया है। प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी वाले वाहन के साथ विकसित भारत संकल्प यात्रा इन सभी योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ लाभार्थी के द्वार तक पहुंची है। पिछले दो माह में यह यात्रा 40 करोड़ लोगों को जोड़ते हुए 80 प्रतिशत पंचायतों तक अपनी पहुंच बना चुकी है। यही मूल वजह है कि देश की पुरानी सरकारों द्वारा दिए गए गरीबी के इस अभिशाप से यह देश अब बाहर निकल रहा है।

देश-दुनिया की कई रिपोर्ट बताती हैं कि आज भारत दुनिया की पांच सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले समूह में शामिल है और शीघ्र ही उसके दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की तैयारी है। देश में आज एक लाख से भी अधिक ‘स्टार्टअप’ और 111 ‘यूनिकॉर्न’ बन गए हैं। कारोबार व निवेश के मामले में आज भारत दुनिया का सबसे भरोसेमंद देश बन गया है। डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारत भविष्य की संभावनाओं का लाभ उठाने के मामले में भी सर्वश्रेष्ठ देशों की सूची में शामिल हो गया है।

मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास पर भी बहुत तेजी से कार्य किया है। इसका परिणाम है कि विगत 10 वर्ष में ‘फोर लेन’ और इससे अधिक ‘लेन’ वाले राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई तीन गुना बढ़कर 47 हजार किलोमीटर से भी अधिक हो गई है। मोबाइल व आटोमोबाइल उद्योग, मेट्रो रेल, वंदे भारत ट्रेन, हवाई अड्डों का निर्माण जैसे अनेक ढांचागत कार्य हैं, जो मोदी की गारंटी को उभारते साफ नजर आ रहे हैं।

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